वायनाड में लैंडस्लाइड से अब तक 151 मौतें, 220 लापता : राहुल-प्रियंका का दौरा टला..!!

वायनाड/नई दिल्ली

केरल सरकार ने लैंडस्लाइड की घटना के बाद दो दिन (30-31 जुलाई) के राजकीय शोक की घोषणा की है।

केरल के वायनाड में तेज बारिश के बाद हुईं लैंडस्लाइड में मरने वालों का आंकड़ा 151 हो गया है। 116 अस्पताल में हैं, जबकि 220 से ज्यादा लोगों के लापता होने की खबर है।

यह लैंडस्लाइड सोमवार देर रात मुंडक्कई, चूरलमाला, अट्टामाला और नूलपुझा गांवों में हुई थीं। इनमें घर, पुल, सड़कें और गाड़ियां बह गईं।

प्रभावित इलाकों में आर्मी, एयरफोर्स, SDRF और NDRF की टीमें रेस्क्यू में जुटी हैं। देर रात तक 1 हजार लोगों को मलबे से निकाला जा चुका था। रात को रेस्क्यू बंद कर दिया गया था, जो सुबह फिर शुरू किया गया है।

मंगलवार को कन्नूर से आर्मी के 225 जवानों को वायनाड के लिए रवाना किया गया। एयरफोर्स के 2 हेलिकॉप्टर भी रेस्क्यू के लिए भेजे गए, लेकिन बारिश के चलते उन्हें कोझिकोड लौटना पड़ा।

लगातार बारिश की वजह से कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने वायनाड दौरा रद्द कर दिया है। वे बुधवार को यहां पीड़ितों से मिलने जाने वाले थे।

मौसम विभाग ने बुधवार को वायनाड समेत 5 जिलों मलप्पुरम, कोझिकोड, वायनाड कन्नूर और कासरगोड जिले में भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है, जबकि एर्नाकुलम, इडुक्की, त्रिशूर और पलक्कड़ जिलों में यलो अलर्ट जारी किया है।

हादसे के बाद राज्य में दो दिन के राजकीय शोक की घोषणा की गई है। 12 जिलों में स्कूल-कॉलेज में 30 जुलाई को छुट्टी घोषित कर दी गई। केरल यूनिवर्सिटी ने 30 और 31 जुलाई को होने वाली सभी परीक्षाएं स्थगित कर दी हैं। नई तारीखों का ऐलान बाद में किया जाएगा।

घटनास्थल को मैप से समझें…

पिछले 24 घंटे में क्या-क्या हुआ 5 पॉइंट्स में समझें…

1. मुंडक्कई गांव में सबसे ज्यादा नुकसान, यहां 250 लोग फंसे

वायनाड का मुंडक्कई गांव लैंडस्लाइड की वजह से सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है। यहां चूरलमाला को मुंडक्कई से जोड़ने वाला पुल बह गया है, जिससे क्षेत्र तक पहुंचना मुश्किल हो गया है। मुंडक्कई में करीब 250 लोगों के फंसे होने की खबर है। यहां कई घर बह गए हैं, जिनमें 65 परिवार रहते थे।

पास के एक टी एस्टेट के 35 कर्मचारी भी लापता हैं। कोझिकोड जिले के सभी पर्यटन स्थलों पर पर्यटकों के जाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। इसके अलावा, सभी ग्रेनाइट खदानों को अस्थायी रूप से बंद करने के लिए कहा गया है।

2. इन्हीं इलाकों में 5 साल पहले लैंडस्लाइड से 17 मौतें हुईं

वायनाड के 4 गांव- मुंडक्कई, चूरलमाला, अट्टामाला और नूलपुझा में लैंडस्लाइड की घटना हुई है। 5 साल पहले 2019 में भी भारी बारिश की वजह से इन्हीं गांवों में लैंडस्लाइड हुई थी, जिसमें 17 लोगों की मौत हुई थी। 5 लोगों का आज तक पता नहीं चला। 52 घर तबाह हुए थे।

3. चूरलमाला गांव से दो विदेशी नागरिकों को बचाया गया

जिला पंचायत अध्यक्ष समशाद मरईक्कर ने बताया कि मुंडक्कई सड़क मार्ग से पहुंचा नहीं जा सकता है। मोबाइल नेटवर्क भी ठप है। चूरलमाला गांव में भी नुकसान ज्यादा है। यहां रेस्क्यू जारी है। यहां कई घर बह गए हैं। कई लोगों को बचाया गया है, जिनमें दो विदेशी नागरिक भी शामिल हैं। ये एक होमस्टे में रुके थे। यहां रेस्क्यू टीम एक-एक घरों की जांच कर रही है।

4. कंट्रोल रूम बनाया गया, हेल्पलाइन नंबर जारी किए गए

वायनाड लैंडस्लाइड के बाद स्वास्थ्य विभाग ने कंट्रोल रूम बना दिया है। साथ ही दो हेल्पलाइन नंबर 8086010833 और 9656938689 जारी किए। केरल के स्वास्थ्य मंत्री ऑफिस ने बताया है कि वायनाड के चूरलमाला में घायलों का इलाज करने के लिए एक मस्जिद और मदरसे में टेम्परेरी हॉस्पिटल बनाया गया है।

5. केंद्र ने मुआवजा देने की घोषणा की

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केरल सरकार को केंद्र से हरसंभव मदद का आश्वासन दिया है। साथ ही मरने वालों के परिजन को 2-2 लाख रुपए मुआवजा देने की घोषणा की। घायलों को 50 हजार रुपए दिए जाएंगे। वहीं, लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने वायनाड की घटना पर सरकार से हर संभव मदद पहुंचाने की अपील की है।

वायनाड में लैंडस्लाइड के बाद की तस्वीरें…

लैंडस्लाइड के बाद पहाड़ के दोनों तरफ से पानी और मलबा आया और सब कुछ बहा ले गया

हादसे के बाद गांव नदी जैसा दिख रहा था। हर तरफ पानी, मिट्‌टी और मलबा था।

कई लोगों को हेलीकॉप्टर के जरिए सुरक्षित स्थानों पर भेजा गया।

रेस्क्यू टीम ने प्रभावित लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया।

आर्मी के जवान रस्सियों के सहारे गांव में फंसे लोगों को बाहर निकाल रहे हैं।

लैंडस्लाइड की वजह से घर, पेड़ और गाड़ियां बहकर जहां-तहां फंसे हुए थे।

रेस्क्यू टीम ने प्रभावित लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया।

NDRF और केरल डिजास्टर रेस्क्यू फोर्स लोगों को मलबे से निकालने में जुटी हैं।

रेस्क्यू टीम लाशों को निकालकर केबल के सहारे नदी के पार पहुंचा रही है।

सेना ने प्रभावित 4 गांवों में रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया।

पीड़ितों की आपबीती: किसी ने कहा- हमें बचा लीजिए, कोई बोला- सब तबाह हो गया

महिला ने रोते कहा, नौशीन दलदल में फंस गई: चूरलमाला गांव की एक महिला ने कहा, ‘घर में कोई व्यक्ति मलबे में फंस गया है और उसे बाहर नहीं निकाला जा सका। कृपया कोई आए और हमारी मदद करे। हमने अपना घर खो दिया है। हमें नहीं पता कि नौशीन जीवित है या नहीं। वह दलदल में फंस गई है। हमारा घर शहर में ही है।’

पीड़ित ने कहा- मेरा मकान अब भी हिल रहा: चूरलमाला की गांव की एक और निवासी ने फोन पर बताया, ‘उनका मकान अब भी हिल रहा है। धरती हिल रही है। एक अन्य व्यक्ति ने फोन पर बताया कि मुंडक्कई में बड़ी संख्या में लोग मलबे में फंसे हैं और जिंदा रहने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। कृपया हमें बचाइए।’

बुजुर्ग ने बताया- हम घर में सो रहे थे, सब तबाह हो गया: एक घायल बुजुर्ग ने एक टीवी चैनल से कहा, ‘मेरी पत्नी लापता है। हम घर में सो रहे थे। अचानक एक तेज आवाज सुनाई दी। हमने बड़े-बड़े पत्थर और पेड़ों को हमारे मकान की छत पर गिरते देखा। घर में बाढ़ का पानी घुस गया जिससे घर का दरवाजा टूट गया।’

मुस्तफा अहमद ने कहा- जाग रहे थे इसलिए बच गए: इस आपदा में जीवित बचे मुस्तफा का कहना है, ‘रात 1:40 बजे, एक तेज आवाज आई और मेरे कमरे से लगभग 30 मीटर दूर एक घर पूरी तरह से ढह गया। उस वक्त हम सो नहीं रहे थे, हम तुरंत बाहर भागे। कई लोग फंस गए हैं इस घटना में पूरे गांव के लोग फंस गए हैं, मुझे बचा लिया गया है।’

वायनाड में लैंडस्लाइड की क्या वजह है

वायनाड, केरल के नॉर्थ-ईस्ट में है। यह केरल का एकमात्र पठारी इलाका है। यानी मिट्टी, पत्थर और उसके ऊपर उगे पेड़-पौधों के ऊंचे-नीचे टीलों वाला इलाका। जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की 2021 की रिपोर्ट के मुताबिक, केरल का 43% इलाका लैंडस्लाइड प्रभावित है। वायनाड की 51% जमीन पहाड़ी ढलाने हैं। यानी लैंडस्लाइड की संभावना बहुत ज्यादा बनी रहती है।

वायनाड का पठार वेस्टर्न घाट में 700 से 2100 मीटर की ऊंचाई पर है। मानसून की अरब सागर वाली ब्रांच देश के वेस्टर्न घाट से टकराकर ऊपर उठती है, इसलिए इस इलाके में मानसून सीजन में बहुत ज्यादा बारिश होती है।

वायनाड में काबिनी नदी है। इसकी सहायक नदी मनंतावडी ‘थोंडारमुडी’ चोटी से निकलती है। लैंडस्लाइड के कारण इसी नदी में बाढ़ आने से भारी नुकसान हुआ है।

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