सुप्रीम कोर्ट ने ममता सरकार से 77 मुस्लिम जातियों को OBC आरक्षण देने के फैसले पर मांगा जवाब
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार, 5 अगस्त को पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार से 77 मुस्लिम जातियों को OBC आरक्षण दिए जाने के फैसले पर जवाब मांगा है। यह कदम राज्य सरकार द्वारा कोलकाता हाई कोर्ट के मई में दिए गए उस फैसले को चुनौती देने के बाद उठाया गया है, जिसमें इन जातियों को OBC सूची से बाहर करने का आदेश दिया गया था। हाई कोर्ट ने आरक्षण को अवैध करार दिया था, जिसके खिलाफ ममता बनर्जी सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई।
सुप्रीम कोर्ट ने ममता सरकार से पूछा है कि इन जातियों को OBC में शामिल करने का आधार क्या था और इस पर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। मामले की सुनवाई के दौरान ममता सरकार के वकील ने कोलकाता हाई कोर्ट की टिप्पणियों पर आपत्ति जताते हुए कहा कि क्या उच्च न्यायालय ही राज्य को चलाना चाहता है। बंगाल सरकार की वकील इंदिरा जयसिंह ने सुप्रीम कोर्ट से हस्तक्षेप की मांग की, यह दावा करते हुए कि उच्च न्यायालय ने अपनी सीमा से बाहर जाकर फैसला दिया है। उन्होंने कहा कि हाई कोर्ट कहता है कि मुस्लिम समुदाय को राजनीतिक हित साधने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है और यह आरक्षण धर्म के आधार पर दिया गया है, जबकि हमने मंडल आयोग की सिफारिशों के आधार पर आरक्षण दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति जताई। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि बंगाल पिछड़ा वर्ग आयोग से चर्चा किए बिना 77 मुस्लिम जातियों को OBC में शामिल कर दिया गया, जो गंभीर मुद्दा है। इंदिरा जयसिंह ने कहा कि राज्य में आरक्षण व्यवस्था अटकी हुई है क्योंकि हाई कोर्ट ने कहा था कि जाति का दर्जा निर्धारण आयोग का काम है, राज्य सरकार का नहीं। 1993 में बने आयोग और 2012 में लाए गए राज्य सरकार के एक्ट के आधार पर ही जाति प्रमाण पत्र जारी किए जाने चाहिए।
पश्चिम बंगाल में आरक्षण विवाद पर विपक्ष की चुप्पी
राष्ट्रीय पिछड़ा आयोग (NCBC) के अध्यक्ष हंसराज अहीर ने पश्चिम बंगाल में OBC सूची में मुस्लिम जातियों के बड़े हिस्से को शामिल किए जाने पर प्रकाश डाला था। उन्होंने कहा कि बंगाल सरकार की संस्था कल्चरल रिसर्च इंस्टीट्यूट (CRI) की रिपोर्ट से पता चला है कि ममता सरकार ने हिंदू धर्म से धर्मांतरित होकर मुस्लिम बने लोगों को भी OBC की सूची में शामिल कर दिया है।
NCBC की पश्चिम बंगाल यात्रा के दौरान यह भी पता चला कि बंगाल सरकार ने OBC की लिस्ट में कुल 179 जातियों को शामिल किया है, जिनमें से 118 जातियाँ मुस्लिम और 61 जातियाँ हिंदू हैं। हंसराज अहीर ने कहा कि पश्चिम बंगाल की कुल जनसंख्या में 70% हिंदू और 27% मुस्लिम हैं। इसके बाद भी बड़ी तादाद में मुस्लिम जातियों को OBC सूची में शामिल किया गया है। बंगाल सरकार ने बांग्लादेश से आए मुस्लिमों को भी OBC आरक्षण सूची में शामिल कर दिया है, जिससे रोहिंग्या और बांग्लादेशी मुसलमान भी भारत में पिछड़ों को मिलने वाले आरक्षण का लाभ ले रहे हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि 2011 से पहले बंगाल में OBC की 108 जातियाँ थीं, लेकिन इसके बाद इसमें 71 जातियाँ और शामिल की गईं, जिनमें से 66 जातियाँ मुस्लिम और 5 जातियाँ हिंदू थीं। आयोग का मानना है कि बंगाल सरकार की संस्था CRI की गलत रिपोर्ट के कारण मुस्लिम जातियों को OBC सूची में शामिल किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, प्रदेश में OBC आरक्षण को दो हिस्सों में विभाजित किया गया है। इसमें कुल 179 जातियों में से 118 जातियाँ मुस्लिम और 61 जातियाँ हिंदू हैं।
इस विवाद पर विपक्ष की चुप्पी ने भी कई सवाल खड़े किए हैं। राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के अनुसार, मुस्लिम समुदाय को अल्पसंख्यक होने के नाते भी कई लाभ मिलते हैं, जो OBC/SC/ST को नहीं मिलते, क्योंकि सरकार की नजरों में ये बहुसंख्यक हिंदू हैं। वहीं, अब कई राज्य सरकारें मुस्लिम समुदाय को आरक्षण भी दे रही हैं, और इस पर चर्चा भी नहीं होती। जो भी इस पर आवाज उठाता है, उसे सांप्रदायिक करार दे दिया जाता है।