राजस्थान के जैसलमेर जिले के पोखरण फायरिंग रेंज में डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (DRDO) द्वारा विकसित एंटी टैंक मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया। इस परीक्षण की सफलता ने भारत की रक्षा क्षमताओं को और मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित किया है, जिससे DRDO के वैज्ञानिकों और इंजीनियरों में भारी उत्साह का माहौल है।
इस अत्याधुनिक एंटी टैंक मिसाइल की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसे कंधे पर रखकर लॉन्च किया जा सकता है। यह पोर्टेबिलिटी इसे युद्ध के मैदान में एक बेहद प्रभावी हथियार बनाती है, खासकर उन परिस्थितियों में जहां बड़ी और भारी मिसाइल सिस्टम का उपयोग संभव नहीं होता। इसके अतिरिक्त, इस मिसाइल को डिजाइन करते समय इसे इस प्रकार तैयार किया गया है कि यह दिन के समय ही नहीं, बल्कि रात के अंधेरे में भी सटीकता के साथ अपने लक्ष्य को भेद सके। यह इसे युद्ध के दौरान, विशेष रूप से रात्रि अभियानों में, एक अत्यधिक महत्वपूर्ण और घातक हथियार बनाता है।
मीडिया सूत्रों के अनुसार, इस मिसाइल की मारक क्षमता 200 मीटर से लेकर 2.5 किलोमीटर तक है, जो इसे मध्यम दूरी के लक्ष्यों के लिए भी प्रभावी बनाती है। इस रेंज के साथ, यह मिसाइल न केवल नजदीकी युद्ध स्थितियों में बल्कि दूर से भी दुश्मन के टैंकों को निशाना बनाने में सक्षम है। इसकी सटीकता और मारक क्षमता इसे भारतीय सेना के लिए एक बहुमूल्य संपत्ति बनाती है, खासकर उन परिस्थितियों में जहां दुश्मन के टैंकों से सामना होने की संभावना अधिक होती है।
पोखरण में हुए इस सफल परीक्षण ने न केवल भारत की स्वदेशी रक्षा प्रौद्योगिकी को एक नई पहचान दी है, बल्कि यह भी दर्शाया है कि भारतीय वैज्ञानिक और इंजीनियर अत्याधुनिक और उच्च गुणवत्ता वाले हथियार सिस्टम विकसित करने में पूरी तरह सक्षम हैं। DRDO की इस उपलब्धि ने भारत को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक कदम और आगे बढ़ाया है। यह मिसाइल प्रणाली भविष्य में भारतीय सेना के टैंक रोधी अभियानों में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी और इसे दुश्मन के टैंकों के खिलाफ एक प्रभावी उपकरण के रूप में देखा जा रहा है।
इस परीक्षण की सफलता के साथ, DRDO ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि वह भारतीय रक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए अत्याधुनिक और स्वदेशी हथियार प्रणालियों के विकास में अग्रणी है। भविष्य में इस एंटी टैंक मिसाइल के और भी उन्नत संस्करण तैयार किए जा सकते हैं, जो भारतीय सेना को दुश्मन के खिलाफ और भी अधिक प्रभावी सुरक्षा प्रदान करेंगे।