भारत बंद के आह्वान पर प्रशासन रहा हाई अलर्ट, क्षेत्र में फ्लैग मार्च कर रखी पैनी नजर

मृदुल कुमार कुलश्रेष्ठ ब्यूरो चीफ जिला मैनपुरी

कुरावली देश भर में भारत बंद को लेकर प्रशासन और शासन हाई अलर्ट पर रहे, जिसके मद्देनजर कुरावली नगर में अधिकारियो ने फ्लैग मार्च कर स्थिति पर पैनी नजर रखी। देश व्यापी भारत बंद का असर कुरावली क्षेत्र में न के बराबर दिखा परंतु देश के अन्य क्षेत्रों से बड़ी आंदोलन की सूचना सुनने को मिलती रही।
देश में बुलाया गया भारत बंद का असर देश के कई हिस्सों में देखने को मिला। जिसके मद्देनजर मैनपुरी जिले में भी प्रशासन और शासन हाई अलर्ट पर रहा। इसी क्रम में कुरावली क्षेत्र में उपजिलाधिकारी राम नारायन वर्मा, क्षेत्राधिकारी चंद्र केश सिंह, थाना प्रभारी धर्मेंद्र सिंह चौहान, उपनिरीक्षक, कस्बा इंचार्ज अभिषेक त्यागी, ऊदल सिंह, विजय सिंह,रहीस पाल,एलआईयू ब्रजमोहन, दिलीप कुमार और दर्जन भर पुलिस कर्मी मौजूद रहे। नगर पर पैनी नजर रखते हुए पूरे दिन पुलिस क्षेत्र में घूमती नजर आई और भारत बंद के असर को कम करने का काम किया।
अनुसूचित जाति व जनजाति आरक्षण में क्रीमीलेयर पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ देश भर के विभिन्न संगठनों ने आज (21 अगस्त)’ भारत बंद’ का आह्वान किया है। देशभर के दलित संगठनों ने 21 अगस्त को भारत बंद का एलान किया है। इनको बहुजन समाजवादी पार्टी,  भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद, भारत आदिवासी पार्टी मोहन लात रोत, कांग्रेस समेत कुछ पार्टियों के नेता का भी समर्थन मिल रहा है।

क्या है भारत बंद की वजह

सुप्रीम कोर्ट ने एससी-एसटी आरक्षण में क्रीमीलेयर को लेकर फैसला सुनाते हुए कहा था,  ”सभी एससी और एसटी जातियां और जनजातियां एक समान वर्ग नहीं हैं। कुछ जातियां अधिक पिछड़ी हो सकती हैं। उदाहरण के लिए – सीवर की सफाई और बुनकर का काम करने वाले। ये दोनों जातियां एससी में आती हैं, लेकिन इस जाति के लोग बाकियों से अधिक पिछड़े रहते हैं। इन लोगों के उत्थान के लिए राज्‍य सरकारें एससी-एसटी आरक्षण का वर्गीकरण (सब-क्लासिफिकेशन) कर अलग से कोटा निर्धारित कर सकती है। ऐसा करना संविधान के आर्टिकल-341 के खिलाफ नहीं है।”
सुप्रीम कोर्ट ने कोटे में कोटा निर्धारित करने के फैसले के साथ ही राज्यों को जरूरी हिदायत भी दी। कहा कि राज्य सरकारें मनमर्जी से यह फैसला नहीं कर सकतीं। इसमें भी दो शर्त लागू होंगी। एससी के भीतर किसी एक जाति को 100% कोटा नहीं दे सकतीं। एससी में शामिल किसी जाति का कोटा तय करने से पहले उसकी हिस्सेदारी का पुख्ता डेटा होना चाहिए। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला उन याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुनाया था, जिनमें कहा गया था कि एससी और एसटी के आरक्षण का फायदा उनमें शामिल कुछ ही जातियों को मिला है। इससे कई जातियां पीछे रह गई हैं। उन्हें मुख्यधारा में लाने के लिए कोटे में कोटा होना चाहिए। इस दलील के आड़े 2004 का फैसला आ रहा था, जिसमें कहा गया था कि अनुसूचित जातियों का वर्गीकरण कर सकते हैं।

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