“10 घंटे के इस खास सफर में PM मोदी करेंगे वो काम, जो पहले कभी नहीं हुआ!”

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पोलैंड से यूक्रेन की राजधानी कीव पहुंचने के लिए 10 घंटे का ट्रेन सफर करेंगे। यह सफर विशेष ट्रेन “रेल फोर्स वन” के माध्यम से किया जाएगा, जो अपनी लक्जरी सुविधाओं और अत्याधुनिक सेवाओं के लिए प्रसिद्ध है। इस ट्रेन की खासियतों पर एक नजर डालते हैं, जो इसे अन्य ट्रेनों से अलग बनाती हैं।

केवल रात में चलती है ‘रेल फोर्स वन’

यह ट्रेन विशेष रूप से रात में चलती है और धीमी गति से यात्रा करती है। जो भी नेता, पत्रकार या राजनयिक यूक्रेन जाने का इरादा रखते हैं, वे इसी ट्रेन से सफर करना पसंद करते हैं। यह ट्रेन पोलैंड से शुरू होकर करीब 600 किलोमीटर का सफर तय करके यूक्रेन की राजधानी कीव तक पहुंचती है।

विश्व के प्रमुख नेता करते हैं इसका उपयोग

यूक्रेन में कई ट्रेन सेवाएं उपलब्ध हैं, लेकिन “रेल फोर्स वन” सबसे खास मानी जाती है। इसे मूल रूप से क्रीमिया में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए डिजाइन किया गया था। 2014 में रूस द्वारा क्रीमिया पर कब्जा किए जाने के बाद, इस ट्रेन का उपयोग विश्व के नेताओं और वीआईपी मेहमानों को लाने-ले जाने के लिए किया जाने लगा। इस ट्रेन में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों, और इटली की प्रधानमंत्री जार्जिया मेलोनी जैसे दिग्गज नेताओं ने सफर किया है।

सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम

यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की भी अंतरराष्ट्रीय यात्राओं के लिए इसी ट्रेन का उपयोग करते हैं। यह ट्रेन अत्याधुनिक सुरक्षा उपकरणों से लैस है, जो वीआईपी यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं। इसमें सुरक्षित संचार प्रणालियाँ और उच्च-तकनीकी सुरक्षा टीम तैनात होती हैं, जो लगातार निगरानी करती है। ट्रेन को इस प्रकार से डिजाइन किया गया है कि यह किसी भी चुनौतीपूर्ण स्थिति का सामना कर सके, और अब तक इसकी सुरक्षा में कोई कमी नहीं आई है।

आलीशान सुविधाएं

“रेल फोर्स वन” के अंदरूनी हिस्सों को बेहद खूबसूरती से सजाया गया है। इसके कमरे एक आलीशान होटल की तरह हैं, जिनमें लकड़ी से बने कंपार्टमेंट, बड़ी कॉन्फ्रेंस टेबल, आरामदायक सोफा और टीवी जैसी सुविधाएं शामिल हैं। यहां तक कि महत्वपूर्ण बैठकों के लिए भी पूरी व्यवस्था की गई है।

डीजल इंजन से सुसज्जित

युद्धकाल के दौरान ट्रेन की कार्यक्षमता को बनाए रखने के लिए इसमें इलेक्ट्रिक इंजन की जगह डीजल इंजन लगाए गए हैं। चूंकि रूस अक्सर यूक्रेन की रेल लाइनों और इलेक्ट्रिक ग्रिड पर हमले करता है, इसलिए इलेक्ट्रिक इंजन के बजाय डीजल इंजन का उपयोग किया गया है, जिससे ट्रेन की कार्यक्षमता पर कोई असर नहीं पड़ता। इस ट्रेन की सफलता का श्रेय यूक्रेन रेलवे के पूर्व सीईओ और वर्तमान मंत्री एलेक्जेंडर कैमिशिन को दिया जाता है। उन्होंने अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन की यात्रा के बाद इस ट्रेन को “रेल फोर्स वन” का नाम दिया था।

Leave a Reply

error: Content is protected !!