“चक्रवात ‘असना’ का कहर: रिकॉर्ड तोड़ गर्मी और भारी बारिश से भारत में मचा हड़कंप!”

रविवार को चक्रवाती तूफान ‘असना’ ने उत्तर-पश्चिम अरब सागर के ऊपर गुजरात के पश्चिमी तट के पास अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। रविवार की सुबह इस तूफान का केंद्र गुजरात के पश्चिम में था, और मौसम विशेषज्ञों के अनुसार, यह तूफान धीरे-धीरे कमजोर होकर गहरे दबाव के क्षेत्र में बदल जाएगा। रविवार शाम तक इसके गहरे दबाव के क्षेत्र में बदलने और सोमवार सुबह तक और अधिक कमजोर होकर केवल एक दबाव क्षेत्र में तब्दील होने की संभावना जताई गई है।

इस बीच, एक अन्य दबाव क्षेत्र दक्षिण ओडिशा और उत्तर आंध्र प्रदेश के ऊपर बना हुआ है। यह दबाव क्षेत्र धीरे-धीरे पश्चिम-उत्तर पश्चिम की दिशा में बढ़ रहा है, और इसके अगले 24 घंटों में दक्षिण ओडिशा और दक्षिण छत्तीसगढ़ के हिस्सों से होकर गुजरने के दौरान और कमजोर होकर एक चिन्हित निम्न दबाव क्षेत्र में बदलने की संभावना है। भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने इस पर विशेष निगरानी रखते हुए आगामी समय के लिए सतर्कता बरतने की सलाह दी है।

क्षेत्रीय मौसम पूर्वानुमान और संभावित प्रभाव

मौसम विभाग ने इस सप्ताह के दौरान भारत के कई तटीय और आंतरिक क्षेत्रों में बारिश की संभावना जताई है। तटीय कर्नाटक, तटीय आंध्र प्रदेश, लक्षद्वीप, केरल, माहे, तेलंगाना, तमिलनाडु, और पुडुचेरी के क्षेत्रों में हल्की से मध्यम बारिश होने की संभावना है। रविवार को विशेष रूप से तेलंगाना, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, विदर्भ, मध्य प्रदेश और गुजरात के कुछ हिस्सों में अत्यधिक भारी बारिश की संभावना व्यक्त की गई है, जो इन क्षेत्रों में जनजीवन को प्रभावित कर सकती है। इसके अलावा, छत्तीसगढ़, गोवा, पूर्वोत्तर राज्यों और ओडिशा में भी भारी बारिश की संभावना है, जिससे इन क्षेत्रों में भीषण जलभराव और भूस्खलन की घटनाएं हो सकती हैं।

मानसून की वापसी और मौसमी स्थितियाँ

मौसम विज्ञानियों के अनुसार, सामान्यत: दक्षिण-पश्चिम मानसून की वापसी 15 सितंबर के आसपास शुरू हो जाती है। हालांकि, इस साल मौसम विभाग ने मानसून वापसी की तारीखों की अभी घोषणा नहीं की है। इस मानसून सीजन में पूरे भारत में सामान्य से कम बारिश दर्ज की गई है, जिससे कई क्षेत्रों में सूखे जैसी स्थिति बनी रही।

हालांकि, सितंबर के महीने में मौसम विभाग ने सामान्य से अधिक बारिश की भविष्यवाणी की है। शनिवार को मौसम विभाग ने जानकारी दी कि पूरे देश में इस महीने औसत दीर्घकालिक बारिश का 109 प्रतिशत प्राप्त होगा, जो कि 167.9 मिमी है (1971-2020 के आंकड़ों के अनुसार)।

मौसम विभाग ने हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू और कश्मीर, पंजाब, दिल्ली, पूर्वी राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, झारखंड, तेलंगाना, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, तटीय आंध्र प्रदेश और केरल में सामान्य से अधिक बारिश की संभावना जताई है। इसके चलते इन क्षेत्रों में भूस्खलन और मिट्टी खिसकने जैसी घटनाओं की संभावनाओं को देखते हुए विशेष सावधानियों की आवश्यकता है। आईएमडी के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्रा ने कहा, “इन क्षेत्रों में बारिश के कारण होने वाली संभावित आपदाओं से बचाव के लिए स्थानीय प्रशासन और नागरिकों को सतर्क रहना चाहिए।”

अगस्त का ऐतिहासिक तापमान और जलवायु परिवर्तन

अगस्त का महीना इस साल रिकॉर्ड तोड़ गर्मी के लिए भी जाना जाएगा। भारत में अगस्त 2024 का तापमान 1901 के बाद से अब तक के सबसे ऊंचे स्तर पर दर्ज किया गया। पूरे भारत में औसत मासिक न्यूनतम तापमान 24.29 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया, जबकि सामान्य औसत तापमान 23.68 डिग्री सेल्सियस होता है। इस महीने में विभिन्न स्थानीय, क्षेत्रीय और वैश्विक मौसमीय कारकों ने लगातार दक्षिण-पश्चिम मानसून को सक्रिय रखा, जिससे कई दिनों तक बादल छाए रहे और बारिश की गतिविधियां जारी रहीं।

अगस्त के दौरान कुल छह निम्न दबाव प्रणालियाँ बनीं, जिनमें से एक ने 30 अगस्त को अरब सागर में चक्रवात ‘असना’ का रूप धारण किया। मृत्युंजय महापात्रा ने बताया, “अगस्त में अच्छी बारिश की गतिविधि के कारण बादल लगातार छाए रहे, जिससे न्यूनतम तापमान सामान्य से अधिक दर्ज किया गया। यही कारण है कि देश के अधिकांश क्षेत्रों, विशेषकर मध्य भारत के क्षेत्रों में, औसत से अधिक न्यूनतम तापमान रिकॉर्ड किया गया।”

इन मौसमी घटनाओं और तापमान के रुझानों ने जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को एक बार फिर उजागर किया है, जो कि भविष्य में और भी गंभीर हो सकते हैं। भारत के मौसम विभाग और विशेषज्ञ इस स्थिति पर लगातार नजर रख रहे हैं और जनता को समय-समय पर आवश्यक जानकारी और चेतावनी दे रहे हैं।

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