“पेरिस पैरालंपिक्स 2024: शीतल देवी और सरिता कुमारी की प्रेरणादायक यात्रा – जीत से चूके पर दिल जीत लिया!”

भारत की पैरा तीरंदाज शीतल देवी और सरिता कुमारी ने पेरिस पैरालंपिक्स 2024 में अपने प्रदर्शन से देश का नाम गर्व से ऊंचा किया, लेकिन व्यक्तिगत महिलाओं की तीरंदाजी स्पर्धा में उन्हें निराशाजनक परिणामों का सामना करना पड़ा। शीतल देवी, जो जम्मू और कश्मीर के किश्तवाड़ जिले की रहने वाली हैं, और हरियाणा के फरीदाबाद से आने वाली सरिता कुमारी ने बड़ी उम्मीदों के साथ इस प्रतियोगिता में हिस्सा लिया था। दोनों तीरंदाजों ने पिछले कुछ वर्षों में कई महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ हासिल की थीं, जो उन्हें पदक की दावेदार बनाती थीं।

शीतल देवी का सफर और संघर्ष

शीतल देवी का जीवन संघर्ष और अद्वितीयता से भरा रहा है। जन्म से ही फोकोमेलिया नामक एक दुर्लभ जन्मजात विकार के कारण उनके हाथ नहीं हैं। यह विकार उनके अंगों के विकास में बाधा उत्पन्न करता है। इस विकार के बावजूद, शीतल ने अपने हौसले को कभी टूटने नहीं दिया। उनका जीवन तब एक नए मोड़ पर आया जब 2019 में भारतीय सेना ने उन्हें एक सैन्य शिविर में खोजा। सेना ने न केवल उनकी प्रतिभा को पहचाना, बल्कि उन्हें शैक्षिक और चिकित्सा सहायता भी प्रदान की, जिससे उनका जीवन पूरी तरह से बदल गया।

शीतल ने अपने कौशल को लगातार निखारा और कुछ ही वर्षों में वह एक बेहतरीन तीरंदाज बन गईं। एशियन पैरा गेम्स 2022 में उन्होंने व्यक्तिगत और मिश्रित टीम इवेंट में स्वर्ण पदक जीते और महिलाओं की टीम इवेंट में रजत पदक हासिल किया। इसके अलावा, उन्होंने पिछले साल के विश्व तीरंदाजी पैरा चैम्पियनशिप में व्यक्तिगत रजत पदक जीता। इन उपलब्धियों ने शीतल को पेरिस पैरालंपिक्स 2024 में भारत की एक प्रमुख पदक दावेदार बना दिया।

पेरिस पैरालंपिक्स में शीतल का प्रदर्शन

पेरिस पैरालंपिक्स के क्वालिफिकेशन राउंड में शीतल देवी ने अपनी क्षमता का लोहा मनवाया। उन्होंने विश्व रिकॉर्ड को पार कर दिया, जो एक असाधारण उपलब्धि थी। हालांकि, उन्हें इस रिकॉर्ड का अधिक समय तक आनंद नहीं मिल सका क्योंकि तुर्की की ओज़नूर गिरदी क्योर ने इस रिकॉर्ड को तोड़ दिया। शीतल देवी ने राउंड ऑफ 16 तक का सफर तय किया, लेकिन वहां उनका सामना चिली की मरिआना जुनीगा से हुआ। मरिआना जुनीगा, जो टोक्यो पैरालंपिक्स 2021 की रजत पदक विजेता रह चुकी हैं, ने शीतल को हरा दिया और शीतल का सफर वहीं समाप्त हो गया।

सरिता कुमारी का सफर और प्रदर्शन

सरिता कुमारी भी किसी परिचय की मोहताज नहीं हैं। हरियाणा के फरीदाबाद से आने वाली सरिता ने पैरा तीरंदाजी में भारत का नाम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रोशन किया है। उन्होंने एशियन पैरा गेम्स 2022 में महिलाओं की टीम इवेंट में रजत पदक जीता था और मिश्रित टीम इवेंट में स्वर्ण पदक हासिल किया था। इसके साथ ही, उन्होंने विश्व तीरंदाजी पैरा चैम्पियनशिप 2022 में महिलाओं की टीम इवेंट में कांस्य पदक भी जीता।

पेरिस पैरालंपिक्स 2024 में सरिता ने अपनी उत्कृष्टता को एक बार फिर से साबित किया। उन्होंने राउंड ऑफ 16 में इटली की एलेनॉरा सार्टी को 141-135 से हराया, जो कि एक बेहद रोमांचक मुकाबला था। हालांकि, क्वार्टर फाइनल में उनका सामना तुर्की की ओज़नूर गिरदी क्योर से हुआ, जिन्होंने सरिता को कड़ी चुनौती दी। अंततः, सरिता को इस मुकाबले में हार का सामना करना पड़ा और उनका सफर यहीं समाप्त हो गया।

शीतल देवी और सरिता कुमारी दोनों ही भारत की अद्वितीय पैरा तीरंदाज हैं, जिन्होंने अपने संघर्ष, दृढ़ संकल्प और अद्वितीय प्रतिभा के दम पर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उल्लेखनीय सफलता हासिल की है। पेरिस पैरालंपिक्स 2024 में भले ही वे पदक नहीं जीत सकीं, लेकिन उन्होंने अपने खेल कौशल और संघर्षमयी जीवन से लाखों लोगों को प्रेरित किया है। इन दोनों तीरंदाजों का योगदान भारतीय खेल जगत में अमूल्य है और उनकी यात्रा आने वाले समय में और भी अधिक प्रेरणादायक साबित होगी।

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