गुरु घासीदास बाबा मानवता के मुक्तिदाता : डाॅ.गुलाब चंद्र कुसुम

न्यूज़लाइन नेटवर्क, छत्तीसगढ़ डेस्क

लेख :- दुनिया के सब्बो प्राणी म श्रेष्ठ मनखे ल कहे जाथे काबरके ओमा विवेक होथे। चिंतन आउ जिज्ञासा के खातिर नये नये खोज आउ शोध होवथे। लोगन मन चंद्रमा ल खोज डारीन त मैय का सतनामी समाज ल नई खोज पाहूँ। एकरे खातिर महु हर गुरु घासीदास बाबा के जीवन चरित्र ल खोजे के काम करेंव। मोर मन म आइस के आखिर सत्य आय का, सतनाम काला कथे ? एकर खोज कोन करिस, सतनामी आय कोन। सोचे आउ खोजे म पता चलीस के सत्य तो सच्चा आय त सतनाम मतलब सच्चा नाम होना चाहि। मैहर खुद सतनामी समाज के आंव त मोर मन म एला खोजे के जिज्ञासा होइच। मैहर बहुत झन संत, महंत आउ जागरूक मनखे मन ल पूछेव। त पता लगिस के कोनो सतनाम ल सतपुरुष कथे, त कतको झन मन सच बोले ल सतनाम कथें। एकरे अधार म सत् के आचरण करोइया मन ल सतनामी कहे जाथे। एकर इतिहास आय का, गुरु घासीदास आय कोन। का खातिर एला आतेक महत्व डेथन। खोजे म पता लगिस के छत्तीसगढ़ के पावन माटी गिरोद म एक आईसन महापुरुष जनम लिस जेहर सतनाम के खोज करिस आउ ओकर रद्दा म चलोइया मन ल सतनामी कहे जाथे। ओकर जनम के बारे म कहे जाथे -अमरौतीन के कोरा मा, आउ छत्तीसगढ़ के माटी मा। गिरोदपुरी के छाती मा, गुरु जनम धरे गुरु जनम धरे। सन् 1756 आउ, अगहन पुरनमासी। सोमवार के दिन, जम्मो जोग समन सुखरासी। कुकरा बासत बेरा, ओहि दिन जनमय घासी। सतनाम के बीडा देवे, छोडिस् जनम के फांसी।। भारत के प्राचीन इतिहास म सतनामी ब्राह्मण के जिक्र होथे। एंकर सभ्यता संस्कृति अउ खानी बानी के भारतीय इतिहास म बड़ महत्व रहिस। नारनोल के सतनामी विद्रोह के चर्चा आज घलो होथे। जेमा नारनोल के सतनामी मन वीरभान ,उदादास अउ संत जोगीदास के नेतृत्व म औरंगजेब के शाही सेना के छक्के छुड़ाए रहिस।बाद म औरंगजेब के तोप के सामने सतनामी मन ल पराजय के सामना करे ल परिच। अउ पुरा सतनामी समाज औरंगजेब के दमनकारी नीति ल कबुल करे के बजाय उँहा ले पलायन करके पंजाब, असम,नागपुर,दिल्ली,उड़ीसा के काला हांडी,छत्तीसगढ़ सहित भारत के सात भूभाग म आ बसिच जेला आज अलग अलग कई नाम से जाने जाथे। उही समय म वर्तमान जिला बलोदा बाजार ,तहसील बिलाईगढ़ के गांव गिरौद म एक परिवार आ बसिच। चारो तरफ सघन वन अउ गिरि के उदर म स्थित होये के खातिर गांव ल गिरौद कथें।उही परिवार म माता अमरौतिन अउ पिता महंगू दास के घर एक बेटा जन्मिस जेहा घासीदास कहे जाथे। वोकर चरित के बारे मे का कहौ,काला कहौ, कईसे कहौ सूरज के आघु म दिया जलाये के का काम। वो समय देश सामंती अउ अंग्रेजी शासन के आतंक के शिकार रहिस। बाबा जी जुल्म, शोषण अउ आतंक ले समाज ल उबारे खातिर आर्थिक मुक्ति, सामाजिक मुक्ति अउ धार्मिक मुक्ति के आंदोलन 1820 म चलाये रहिस जेला सतनाम आंदोलन कहे जाथे।घासी गुरु के जगमग जोति,दिया जलाये के का काम।सतनाम के जोत जलत है,सतनामी के घर हे पहिचान।वचन बियालिस,सत सिद्धान्त,आदेश बारा गुरु महान।जानै, छाने जे माने,उही असल सतनामी मान।का देखत हों मैहर संगी,झुठनामी के भीड़।धरम करम के जाल म फसगे,बाबा जेला बरजिस।। बाबा जी जीवन के उद्देश्य अउ सार्थकता के खातिर ,28 जून 1820 म गृह त्याग करिस अउ।छाता पहर म छै महीना के साधना म जीवन के सच्चाई ल जानिस। वोहर गौतम बुद्ध के अनुयायी रहिस। वोकर सत सिद्धांत सात शील कहे जाथे। ये सिद्धांत 07 ये हे -1 जीव हत्या झन करबे2 झूठ लबारी ले दूर रहौ3 चोरी झन करिहौ4 नशापान झन करबे5 ब्यभिचार झन करिहौ6 गाय भैस ल नांगर झन फाँदबे7 मंझनिया खेत मत जोतबे गुरु घासी हर समता मूलक समाज खातिर जीवन भर संघर्ष करिच। वोकर सतनाम आंदोलन म छै हजार सवर्ण मन सतनामी बनीन। 1848 के तेलासी गांव म अभूतपूर्व ये घटना घटिच। तभे तो कहे गए हे-ब्राम्हण, क्षत्रिय,बनिया,शुद्र,चारो बरन के लोग।सब बनीन सतनामी,छोड़िन भेद भरम के रोग।गोंड,कंवर,कोरी,चमरा, मेहरा,मोची।राउत अउ रोहिदास,तेली,सतनाम ल सोचिन।। बाबा हर आत्मा के शुद्धि बर आदमी ल जाग्रित करिच खानी बानी ल शुद्ध राखव शरीर ल मंदिर मानव अउ आत्मा ल परमात्मा । बाबा जी कहे हे।सादा सादा खाना,अउ सादा सरल रहना हे।काया ल बिगाड़े तइसे,खाना पीना तजना हे।। बाबा जी के याद ल जीवंत बनाय रखे बर फागुन पंचमी से सप्तमी तक गिरौद म तीन दिन के विशाल मेला भरथे जेला छत्तीसगढ़ के महाकुंभ कहे जाथे। इंहा एक दिन म जतका आदमी आथे वोतका तो पन्द्रह दिन म शिवरीनारायण म नई आवय।हजारों भुइँया नापे,लाख मनाये मनौती।करोडों आस्था लेके आये,नर नारी सब संगी।गिरोदपुरी के मेला, आउ मनखे मन के रेला। विश्वास नइये जेला, जाके देखव मेला।। मान्यता हावय इंहा बाबा जी साक्षात बिराजे हे दुखी,भूखी सब के मुराद पूरा होथे । कोनो खाली हाथ नई आय। बाबा जी ल छत्तीसगढ़ के बुद्ध कहे जाथे तभे तो देश अउ विदेश ले आदमी बाबा के दरस बर आथे। अंतिम म गुरु घासीदास बाबा के 267 वीं जयंती के सब्बो झन संगवारी मन ल बहुत बहुत बधाई आउ गाड़ा गाड़ा जोहार।।

डॉ. गुलाब चंद “कुसुम”शासकीय लक्ष्मणेश्वर स्नातकोत्तर महाविद्यालय खरौद छत्तीसगढ़।

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