गहमर में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के निर्माण के लिए शासन ने मांगा आख्या

गाजीपुर ब्यूरो मोहम्मद इसरार की रिपोर्ट

एशिया के सबसे बड़ा गांव गहमर जिसकी आबादी लाखों में है। लेकिन यहां के लोगों के लिए अब तक स्वास्थ्य सुविधा सही ढंग से नहीं मिल पाने के कारण पिछले दिनों जमानिया विधायक ओमप्रकाश सिंह के द्वारा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलकर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के निर्माण के लिए प्रस्ताव दिया था। अब उस प्रस्ताव पर शासन ने कार्रवाई शुरू कर दी है। उक्त प्रस्ताव के संबंध में शासन ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के निर्माण को लेकर आख्या मांगा है। इसके संबंध में मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने अधीक्षण अभियंता चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवा, स्वास्थ्य भवन लखनऊ को आख्या उपलब्ध करा दी है।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ देश दीपक पाल ने बताया कि जमानिया तहसील के गहमर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को उच्चीकृत कर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का भवन निर्माण कराए जाने के संबंध में शासन ने आख्या मांगा है।इसके संबंध में विभाग के द्वारा पूरी जानकारी उपलब्ध करा दी गई है।

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के निर्माण के लिए एक से डेढ़ लाख की आबादी चाहिए। जबकि गहमर गांव अकेले इसे पूरा करता है। उन्होंने बताया कि विकासखंड भदौरा गाज़ीपुर की 2011 के जनगणना के आधार पर जनसंख्या 293261 है। एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भदौरा से प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की दूरी 10 किलोमीटर है। साथ ही सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के निर्माण के लिए न्यूनतम एक से डेढ़ एकड़ की भूमि की आवश्यकता होती है। जिसके लिए मुख्य राजस्व अधिकारी को पत्राचार कर दिया गया है।

बताते चले की एशिया के सबसे बड़े गांव में शुमार गहमर गांव जो फौजियों के गांव के नाम से भी जाना जाता है। यहां पर पूर्व से प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र संचालित होता रहा है। जो काफी हो जीर्ण शीर्ण हो चुकी है। पिछले दिनों जमानिया विधायक ओम प्रकाश सिंह के द्वारा स्वास्थ केंद्र का  दौरा किया गया था।  वहां पर काफी लापरवाही भी मिली थी। कई स्टाफ मौके से गायब मिले थे। जिसको विधायक ओम प्रकाश सिंह ने संज्ञान लेते हुए स्वास्थ्य सुविधा को बढ़ाने के बारे में यह कदम उठाया है।

वही गहमर गांव में स्वास्थ्य सुविधा नहीं होने के कारण यहां के स्थानीय ग्रामीण और आसपास के गांव के लोग बक्सर बिहार जाकर स्वास्थ्य सुविधा लेते थे। वहीं अगर आंकड़ों की बात करें तो इस गांव में जन्म लेने वाले 80 फ़ीसदी बच्चे भी बिहार में जन्म लेते हैं। ऐसे में यह सुविधा बढ़ जाने से अब लोगों को काफी सहूलियत मिलने की उम्मीद है।

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