।। कलमकार ।।
‘जग-गाथा’ जो क़लम से लिखें
कलमकार कहलाते हैं,
जिनके गीत गजल कविताएं
सबके मन को भाते हैं।
कलम की शक्ति जो पहचाने
जोश उनके भर आतें हैं,
प्रेम दया इंसानियत की सीख
दुनिया को सिखलाते हैं।
भ्रष्ट बेइमान गद्दार आतंकी
सबको सबक सिखाते हैं,
सत्य धर्म की रक्षा खातिर
अपनी प्राण लुटाते हैं।
बड़े-बड़े भ्रष्टाचारीयों को भी
एक कलमकार झुकाते हैं,
छीन के उनके शानों-शौकत
सबको सच बतलाते हैं।
संकल्पित एक कलमकार से
हर बेइमान तो थर्राते हैं,
मिट जाते सब ज़ुल्म-सितम वो
जब-जब कलम चलाते हैं।
जिनके दिल में साहित्य की
हरपल सपने आते हैं,
दिन-दुखियों की रक्षा में वो
तब-तब कलम उठाते हैं।
लेखक/ कवि
विजय कुमार कोसले
सारंगढ़, छत्तीसगढ़