डायबिटीज के खतरे का पता लगाने में भारत की बड़ी पहल: पहला डायबिटीज बायोबैंक स्थापित
डायबिटीज, जिसे आम भाषा में मधुमेह कहते हैं, आज देश और दुनिया के सामने एक गंभीर स्वास्थ्य चुनौती बन चुका है। इस बीमारी के कारण न केवल मरीज का जीवन प्रभावित होता है, बल्कि इससे हृदय रोग, किडनी फेल्योर और स्ट्रोक जैसी गंभीर जटिलताओं का भी खतरा बढ़ जाता है। अब, भारत ने डायबिटीज से निपटने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) ने मद्रास डायबिटीज रिसर्च फाउंडेशन (MDRF) के सहयोग से चेन्नई में देश का पहला डायबिटीज बायोबैंक स्थापित किया है।
यह बायोबैंक न केवल डायबिटीज के शुरुआती संकेतों का पता लगाने में मदद करेगा, बल्कि इस बीमारी की रोकथाम, प्रबंधन और उपचार को भी नई दिशा देगा।
भारत में डायबिटीज की मौजूदा स्थिति: आंकड़े चौंकाने वाले हैं
भारत में डायबिटीज की समस्या कितनी विकराल हो चुकी है, इसे निम्न आंकड़ों से समझा जा सकता है:
- 11 करोड़ से अधिक लोग पहले से डायबिटीज के शिकार हैं।
- 13 करोड़ से ज्यादा लोग ऐसे हैं, जिन्हें भविष्य में डायबिटीज होने का खतरा है।
- डायबिटीज के कारण दिल की बीमारियों, आंखों की समस्याओं, किडनी फेल्योर और अन्य जटिलताओं का खतरा बहुत अधिक है।
- हाई ब्लड प्रेशर के शिकार लोगों की संख्या 31.5 करोड़ तक पहुंच गई है।
- पेट के मोटापे जैसी समस्या से 35.1 करोड़ लोग प्रभावित हैं।
डायबिटीज का खतरा अब केवल शहरी क्षेत्रों तक सीमित नहीं है। यह कम विकसित राज्यों और ग्रामीण इलाकों में भी तेजी से बढ़ रहा है।
डायबिटीज बायोबैंक: क्या है इसका उद्देश्य?
डायबिटीज बायोबैंक का उद्देश्य इस बीमारी के कारणों, इसके प्रकारों और इसके प्रभावों का गहराई से अध्ययन करना है। MDRF के अध्यक्ष, डॉ. वी. मोहन, ने बताया कि यह बायोबैंक भारतीय आबादी में डायबिटीज और इससे संबंधित समस्याओं को बेहतर ढंग से समझने के लिए एक अनूठा प्रयास है।
बायोबैंक के मुख्य उद्देश्य:
- डायबिटीज के प्रकारों का अध्ययन:
टाइप 1, टाइप 2 और गर्भकालीन डायबिटीज से जुड़े रक्त के नमूनों का विश्लेषण किया जाएगा। - रोकथाम और प्रबंधन:
इससे डायबिटीज को रोकने और मरीजों के जीवन की गुणवत्ता सुधारने के लिए नई रणनीतियां विकसित की जाएंगी। - नए बायोमार्कर की पहचान:
यह बायोबैंक नए बायोमार्कर की पहचान में मदद करेगा, जिससे डायबिटीज का जल्दी पता लगाया जा सकेगा। - दीर्घकालिक शोध के लिए डेटा:
बायोबैंक भविष्य के शोधकर्ताओं को इस बीमारी की जटिलताओं और इसके विकास के अध्ययन के लिए व्यापक डेटा प्रदान करेगा।
बायोबैंक की संरचना और डेटा संग्रह
डायबिटीज बायोबैंक का निर्माण लगभग दो साल पहले शुरू हुआ था। यह बायोबैंक आईसीएमआर द्वारा 2008 से 2020 तक आयोजित “इंडिया डायबिटीज स्टडी” और “रजिस्ट्री ऑफ पीपल विद डायबिटीज इन इंडिया एट ए यंग एज” जैसे अध्ययनों के तहत एकत्र किए गए डेटा और रक्त के नमूनों को संग्रहीत करता है।
संग्रहित नमूनों की जानकारी:
- रक्त के नमूने:
इन नमूनों में टाइप 1, टाइप 2 और गर्भकालीन डायबिटीज के रक्त सैंपल शामिल हैं। - जनसांख्यिकी डेटा:
1.2 लाख से अधिक प्रतिभागियों से एकत्र किया गया डेटा। - भौगोलिक कवरेज:
यह डेटा भारत के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से लिया गया है।
यह बायोबैंक, ब्रिटेन के प्रसिद्ध बायोबैंक की तर्ज पर बनाया गया है। ब्रिटेन का बायोबैंक विश्व का सबसे बड़ा है, जिसमें 5 लाख से अधिक लोगों की आनुवंशिक और स्वास्थ्य संबंधी जानकारी है।
डायबिटीज रजिस्ट्री और उसके निष्कर्ष
ICMR ने डायबिटीज पर गहन अध्ययन के लिए “रजिस्ट्री ऑफ पीपल विद डायबिटीज इन इंडिया एट ए यंग एज” नामक प्रोजेक्ट शुरू किया।
- इस प्रोजेक्ट में अब तक 5,546 प्रतिभागियों को शामिल किया गया है।
- अध्ययन ने संकेत दिया कि टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज भारतीय युवाओं में तेजी से फैल रही है।
- रजिस्ट्री के माध्यम से यह भी पता चला कि डायबिटीज का खतरा कम विकसित राज्यों में ज्यादा तेजी से बढ़ रहा है।
डायबिटीज से जुड़ी अन्य स्वास्थ्य समस्याएं
ICMR के अध्ययन में डायबिटीज के साथ कई अन्य स्वास्थ्य समस्याएं भी सामने आईं:
- कम जागरूकता:
केवल 43.2% भारतीयों को डायबिटीज के बारे में जानकारी है। - शारीरिक गतिविधि की कमी:
केवल 10% लोग नियमित व्यायाम करते हैं। - मोटापा और ब्लड प्रेशर:
मोटापा और हाई ब्लड प्रेशर डायबिटीज के प्रमुख कारणों में से हैं।
डायबिटीज बायोबैंक के लाभ
- रिसर्च में योगदान:
बायोबैंक डायबिटीज के बेहतर अध्ययन और इलाज में मदद करेगा। - बेहतर दवाएं:
नए बायोमार्कर की पहचान के जरिए प्रभावी दवाएं विकसित की जा सकेंगी। - ग्लोबल इम्पैक्ट:
यह बायोबैंक भारत को डायबिटीज से लड़ने की वैश्विक पहल में एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाएगा।
डायबिटीज बायोबैंक का निर्माण भारत में स्वास्थ्य सेवाओं को नई दिशा देगा। यह पहल न केवल शोधकर्ताओं को डायबिटीज को बेहतर ढंग से समझने में मदद करेगी, बल्कि इसके प्रबंधन और रोकथाम के प्रयासों को भी मजबूत करेगी। ऐसे समय में, जब डायबिटीज भारत में एक महामारी बन रही है, यह बायोबैंक भारत की स्वास्थ्य व्यवस्था को एक बड़ा सहारा देगा।