
न्यूजलाइन नेटवर्क – ब्यूरो रिपोर्ट
सोनभद्र/ उत्तर प्रदेश। अनपरा नगर पंचायत परिक्षेत्र में समाहित औडी, परासी, गरबन्धा सहित कई अन्य जगहों में लंबे समय से रह रहे नब्बे प्रतिशत आबादी के रहवासियों के पास भू- स्वामित्व का हक वैधानिक तौर पर नहीं उपलब्ध हो सका है। बताते चलें कि लगभग चालीस सालों से घर बना कर रह रहे तमाम गृह स्वामियों के पास मालिकाना हक नहीं है, क्यों की शुरूआती दौर में लोगों ने स्टाम्प पर जमीन खरीद कर अपना आशियाना बनाया जिसे बाद में एनसीएल या अनपरा तापीय परियोजना द्वारा अधिग्रहित तो कर लिया गया, लेकिन परियोजनाओं ने फिर उसका उपयोग नहीं किया। परिणाम स्वरूप धीरे धीरे एक बड़ी आबादी उक्त भूमि पर बस गयी और लोगों ने अपनी गाढी कमाई लगा कर घर बना लिया तथा वहां के रहवासी बन गए। देखते ही देखते लंबा समय बीतता गया और उस जमीन पर लोग मालिकाना हक के हकदार हो गए। अब अनपरा नगर पंचायत बन जाने से ऐसे लोगों के सामने भू- स्वामित्व का मालिकाना हक मिलने का खतरा मंडराने लगा है। बताते हैं कि बहुतायत रहवासी ऐसे हैं जिनके भवन का मानचित्र शक्तिनगर विषेश क्षेत्र प्राधिकरण द्वारा स्वीकृत तो है पर भुमि का मालिकाना हक नहीं प्राप्त है।
लोगों की माने तो परियोजनाओं को अब उस जमीन का कोई सरोकार नहीं परन्तु राजनीतिक उदासीनता के कारण अभी तक भूमि का मालिकाना हक गृहस्वामियों को नहीं मिल सका है।मजे की बात तो यह है कि उक्त भूमि पर आवाद भू-स्वामियों को बिजली का कनेक्शन, आधार कार्ड, राशन कार्ड, निवास प्रमाण- पत्र भी प्रशासन द्वारा बनाए गए हैं। ऐसे तमाम रहवासियों ने इन भवनों का सर्वे करा नजूल भुमि घोषित कर आबादी के आधार पर भू-स्वामित्व का अधिकार दिलाये जाने की प्रबल मांग शासन प्रशासन से की है। साथ ही यह भी कहा है कि अगर ऐसा नहीं होता है तो अनपरा नगर पंचायत के रहवासी न्यायालय के शरण में जाने को बाध्य होंगे जिसकी संपूर्ण जिम्मेदारी परियोजना प्रबंधन व जिला प्रशासन की होगी।