सोनभद्र के सोन नदी में हो रहे अवैध खनन को लेकर बाबू सिंह कुशवाहा को सौपा शिकायती पत्र।

न्यूजलाईन नेटवर्क- डिप्टी ब्यूरो रिपोर्ट

सोनभद्र/ उत्तर प्रदेश। जनपद के ओबरा तहसील अंतर्गत सोन नदी के ग्राम अगोरी, बरहमोरी तथा भगवा में हो रहे अवैध बालू खनन से घायल सोन नदी को बचाने के लिए जन अधिकार पार्टी के प्रमुख प्रदेश महासचिव भागीरथी सिंह मौर्य ने लखनऊ पहुँचकर खनन, कोयला एवं उर्वरक मंत्रालय भारत सरकार स्थाई समिति के सदस्य सांसद बाबू सिंह कुशवाहा से मुलाकात कर ज्ञापन सौंपा और अवैध खनन पर तत्काल रोक लगाए जाने के लिए हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया।जिससे घायल सोन नदी को बचाया जा सके। आगे जन अधिकार पार्टी के प्रमुख प्रदेश महासचिव भागीरथी सिंह मौर्य ने बाबू सिंह कुशवाहा को बताया कि मध्य प्रदेश के अमरकंटक से निकली सोन नदी उत्तर प्रदेश के जिला सोनभद्र से होकर पटना बिहार को जाती है जिसका उल्लेख रामायण आदि पुराणों में भी मिलता है। सोन नदी से करोड़ों लोगों की आस्था जुडी हुई है। लोग सोन नदी की पूजा – आरती करने के साथ ही मन्नते मानते हैं।

एक तरफ जहां सोन नदी लोगों के लिए आस्था का केंद्र है वही अवैध खनन से सोन नदी चीख रही है। सोन नदी का मूल स्वरूप मिटता नजर आ रहा है जिसे प्रत्यक्ष रूप से देखा जा सकता है। इसी क्रम में आगे श्री मौर्य ने बताया कि इस सम्बन्ध में जन अधिकार पार्टी के द्वारा दिनांक 28 नवम्बर से अब तक कई बार शिकायती पत्र सौँपकर अवैध खनन पर प्रतिबंध लगाए जाने की मांग किया गया परंतु जिला क्वैरी ( खनन ) अधिकारी मौन साधे हुए है। जिससे प्रतीत होता है कि अवैध खनन में कहीं न कहीं खनन अधिकारी भी संलिप्त है। इसी क्रम में उन्होंने बताया कि जनपद में जब भी कोई जाँच टीम आती है तो बालू पट्टाधारकों द्वारा बालू खनन बन्द कर दिया जाता है बालू साइडों पर सन्नाटा हो जाता है सङको पर बालू की ट्रके नहीं दिखती आखिर क्यों ? इससे साबित होता है कि सोन नदी में जो बालू साइड संचालित है उसके पट्टाधारक अवैध खनन करते है जो स्वस्थ लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है और वहीं सोन नदी की जलधारा को बांध पुल बनाकर लिफ्टिंग मशीनों ( नाव मशीनों ) व पोकलेन मशीनों द्वारा बालू का खनन किया जा रहा है। जबकि एन० जी० टी० एवं उत्तर प्रदेश सरकार के आदेशानुसार बालू खनन के लिए किसी भी दशा में नदी की जलधारा को मोड़ा/प्रभावित नहीं किया जा सकता है एवं लिफ्टिंग मशीन ( नाव मशीन ) व पोकलेन मशीन का प्रयोग भी प्रतिबंधित है। इसके बावजूद भी बालू खननकर्ताओ द्वारा नदी की जलधारा को बांधकर लिफ्टिंग मशीन ( नाव मशीन ) व पोकलेन मशीन के द्वारा बालू खनन का कार्य किया जा रहा है। जिससे नदी के मूल स्वरूप तथा अस्तित्व पर गंभीर खतरा मड़रा रहा है वहीं दूसरी तरफ प्रतिदिन घंडियाल, मगरमच्छ और कछुआ सहित असंख्य विविध जलीय जीव जंतुओं का जीवन समाप्त हो रहा है जो सीधे पर्यावरण के लिए खतरा है। जिसका असर मानव जीवन पर भी पड़ेगा।

इसलिए बालू लीज/ पट्टाधारकों द्वारा लीज एरिया से बढ़कर नदी की जलधारा में बालू का खनन करने पर तत्काल रोक लगाये जाने, लिफ्टिंग मशीनो (नाव मशीन) द्वारा किए जा रहा बालू खनन जिस पर तत्काल रोक लगाते हुए मजदूरों द्वारा कराये जाने, नदी की जलधारा को मोड़कर एवं पुल बनाकर सेक्शन मशीनों ( नाव मशीन ) द्वारा नदी की जलधारा से बालू निकाला जा रहा है। जिस पर तत्काल रोक लगाये जाने, बालू लीज स्थल पर रेट बोर्ड लगाये जाने, बालू लीज स्थल के प्रत्येक कोने पर सीमा स्तंभ व लीज होल्डर का बोर्ड लगाए जाने व बोर्ड पर लीज होल्डर का पूरा नाम, पता, मोबाइल नंबर तथा रखबा लिखे जाने की मांग किया है। जिससे सोन नदी का मूल स्वरूप एवं जलीय जीव जंतुओं का जीवन बच सके एवं पर्यावरण संतुलन बना रहे।

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