सिंगरौली जिले में श्रीअन्न परियोजना: एक कदम आगे बढ़ते हुए।

न्यूजलाइन नेटवर्क – चितरंगी संवाददाता- आदर्श तिवारी

चितरंगी/सिंगरौली। सिंगरौली जिला मध्यप्रदेश के उत्तर-पूर्व में स्थित एक जनजाति बहुल क्षेत्र है। जहां 33% जनसंख्या आदिवासी समुदाय से संबंधित है। यहाँ परंपरागत रूप से कोदो, कुटकी, और सांवा जैसे मोटे अनाजों का उत्पादन होता रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा इन अनाजों को सर्वोत्तम आहार के रूप में मान्यता मिली है।

इस परियोजना का उद्देश्य जिले के ग्रामीण और वनवासी समुदायों को इन मोटे अनाजों के उत्पादन, प्रसंस्करण और विपणन में संलग्न करना है। इसके तहत कोदो, कुटकी, और सांवा से विभिन्न स्वादिष्ट व्यंजन जैसे रोटियां, पुलाव, इडली और खीर तैयार किए जा रहे हैं, जो स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी हैं। पूर्व में इन अनाजों का उत्पादन करने वाले किसान बिचौलियों के हाथों में फंसे रहते थे और औने-पौने दामों पर अपने उत्पाद बेचने को विवश थे। अब सिंगरौली में श्रीअन्न प्रसंस्करण इकाई स्थापित की गई है, जिससे किसानों को अपनी उपज की उचित कीमत मिल रही है।

परियोजना के तहत किसान उत्पादक संगठन (FPO) और सिंगदेव महिला किसान उत्पादक कंपनी की स्थापना की गई है लगभग 13,000 शेयर होल्डर्स द्वारा जैविक विधि से कोदो, कुटकी, और सांवा का उत्पादन और प्रसंस्करण किया जा रहा है। इस प्रक्रिया से न केवल किसानों की आय में वृद्धि हुई है, बल्कि रोजगार के नए अवसर भी उत्पन्न हुए हैं। जिले में लगभग 9,000 हेक्टेयर भूमि में मोटे अनाजों का उत्पादन होता है, जिससे लगभग 6,000 मीट्रिक टन उत्पादन होता है। अब तक 1,975 टन उत्पाद खरीदी जा चुकी है, और कच्चा माल भी प्रसंस्करण के लिए उपलब्ध है सिंगरौली जिले में मोटे अनाजों का उत्पादन बढ़ाने से न केवल कृषि क्षेत्र में समृद्धि आई है, बल्कि यह ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूत कर रहा है।

Leave a Reply

error: Content is protected !!