
… सत्य और भक्ति से प्रेरित जीवन की यथार्थता की बोध कराते हुए पढ़िए कवि विजय कुमार कोसले की एक नायाब और बेहतरीन रचना प्रार्थना के रूप।
।। प्रार्थना के रूप ।।
प्रार्थना में होती अपार शक्ति
दृढ़ अगर विश्वास हो,
दिल में निस्वार्थ भाव रहें और
मन में दया का वास हो।
सत्य धर्म की सदा राहें चलें
न लोभ कभी तरसाये,
प्रेम समर्पण भक्ति भाव की
नित नई आस जगायें।
माता-पिता और गुरु के आगे
सदा शीश झुकाए,
दिन दुखी असहायों पर भी
असीम प्रेम लूटाए।
हर जीवों पर दया दिखाएं
जीवन सबको प्यारी है,
चींटी कुत्ते बिल्ली सर्प सुअर
दुनिया इनके आभारी है।
पेड़-पौधों को पानी देखकर
उसकी प्यास बुझाए,
अपने घर आंगन चौबारे में
फलदार वृक्ष लगाए।
भक्ति भजन बिन जीवन सुना
पल-पल हरि का नाम लें,
सुख-दुःख जीवन आनी जानी
धैर्य धर्म से काम लें।
कवि/लेखक,
विजय कुमार कोसले
सारंगढ़, छत्तीसगढ़।