केंद्रीय राज्यमंत्री तोखन साहू हिमालय – हिन्द महासागर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन – 2025 में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए

सम्मेलन में बहुआयामी हिमालय-हिंद महासागर की दुनिया का चित्र स्पष्ट होगा – तोखन साहू

न्यूज़लाइन नेटवर्क, डेस्क ब्यूरो
नई दिल्ली –
केंद्रीय आवासन और शहरी कार्य राज्य मंत्री तोखन साहू हंसराज कॉलेज, नई दिल्ली में राष्ट्रीय सुरक्षा जागरण मंच द्वारा आयोजित हिमालय – हिन्द महासागर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन – 2025 में मुख्य अतिथि के रूप में सम्मिलित हुए।
इस सम्मेलन में राष्ट्रीय सुरक्षा जागरण मंच के मार्गदर्शक एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक इन्द्रेश कुमार का मुख्य वक्ता के रूप में मार्गदर्शन प्राप्त हुआ।
उक्त कार्यक्रम में आवासन एवं शहरी कार्य राज्यमंत्री तोखन साहू ने पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि भारत के गौरवशाली इतिहास एवं नए भारत के उदय और विश्व मंच पर इसके निहितार्थ के महत्व पर विचार-विमर्श के लिए दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन पर उपस्थित स्वयंसेवक बंधुओं,शिक्षाविद्, शोधकर्ताओं, मीडिया के साथी -गण आप सभी का मैं बहुत आदर के साथ अभिनंदन करता हूं। यह अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस में
बहु-विषयक दृष्टिकोण अपनाकर समुद्री मार्गों के अध्ययन से संबंधित विषयों पर ध्यान केंद्रित करेगा। यह न केवल महासागर के पार के देशों के बीच वर्तमान संबंधों को मजबूत करेगा, बल्कि सहयोग के नए पुलों और निरंतर संबंधों और बातचीत के लिए एक मिसाल कायम करेगा। यह सम्मेलन हिमालय- हिंद महासागर और दुनिया के देशों के बीच लंबे समय से खोए हुए संबंधों का पता लगाने की कोशिश कर रहा है और उनके बीच सहयोग और विनिमय के नए रास्ते खोलेगा। सम्मेलन में बहुआयामी हिमालय-हिंद महासागर की दुनिया का चित्र स्पष्ट होगा। हिंद महासागर में सांस्कृतिक, वाणिज्यिक और धार्मिक संबंधों की विविधता का दस्तावेजीकरण करने के लिए पुरातात्विक और ऐतिहासिक शोध का आयोजन, पूर्वी अफ्रीका के तटीय देशों से लेकर भारतीय क्षेत्र तक, अरब प्रायद्वीप, श्रीलंका, इंडोनेशिया, ऑस्टेलिया तक के लिए होगा। इस सम्मेलन के माध्यम से हम विभिन्न माध्यमों को समझाने का भी प्रयास करेंगे। जिनके माध्यम से भारतीय संस्कृति विदेशों में फैले और भारत और हिमालय क्षेत्र के देशों के बीच व्यापार की मात्रा में वृद्धि हो।

माननीय नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में भारत की वैश्विक नीति (foreign policy) ने एक नई दिशा और गहराई प्राप्त की है। उनके नेतृत्व में भारत ने न केवल अपनी कूटनीतिक भूमिका को सशक्त बनाया है, बल्कि वैश्विक मंच पर अपनी उपस्थिति को भी मजबूती से स्थापित किया है। इसकी प्रमुख विशेषताएँ और महत्व निम्नलिखित हैं:

वसुधैव कुटुम्बकम का सिद्धांत:
मोदी जी की विदेश नीति “वसुधैव कुटुम्बकम” (संपूर्ण विश्व एक परिवार है) के भारतीय दर्शन पर आधारित है। इसका उद्देश्य शांति, सहयोग, और स्थिरता को बढ़ावा देना है।
एक्ट ईस्ट पॉलिसी और पड़ोसी देश:
मोदी जी ने Look East Policy को Act East Policy में बदल दिया, जिसके माध्यम से भारत ने पूर्वी एशियाई देशों (जैसे जापान, वियतनाम, सिंगापुर) के साथ आर्थिक और सामरिक संबंध मजबूत किए।
पड़ोसी देशों के साथ बेहतर संबंध बनाने के लिए ‘नेबरहुड फर्स्ट’ नीति पर भी बल दिया गया, जिससे दक्षिण एशिया में भारत की भूमिका बढ़ी।
वैश्विक मंच पर भारत की साख:
मोदी जी के नेतृत्व में भारत ने G20, BRICS, SCO, और UN जैसे मंचों पर सक्रिय भूमिका निभाई।
भारत ने जलवायु परिवर्तन, सौर ऊर्जा (International Solar Alliance) और विकासशील देशों के लिए सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) में अहम योगदान दिया।


आर्थिक और रणनीति सहयोग:
Make in India, Digital India, और Startup India जैसे अभियानों ने वैश्विक निवेशकों को आकर्षित किया।
अमेरिका, रूस, फ्रांस, जापान, और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों के साथ सामरिक और रक्षा संबंध और मजबूत हुए। (भारत, अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया) में भारत की सक्रियता ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सामरिक संतुलन बनाया।
डायस्पोरा कूटनीति :
मोदी जी ने भारतीय प्रवासी समुदाय के साथ संबंधों को सशक्त किया। हाउडी मोदी और मैडिसन स्क्वायर जैसे कार्यक्रमों ने वैश्विक भारतीय समुदाय को एकजुट किया।
सॉफ्ट पावर का उपयोग:
योग, आयुर्वेद, और भारतीय संस्कृति के माध्यम से भारत की सॉफ्ट पावर बढ़ी।
अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की घोषणा मोदी जी की एक बड़ी सफलता रही।आत्मनिर्भर भारत और वैश्विक सहयोग:
कोविड-19 के दौरान भारत ने वैक्सीन मैत्री कार्यक्रम के तहत कई देशों को टीके उपलब्ध कराए, जिससे वैश्विक स्तर पर भारत की छवि और मजबूत हुई।
चुनौतियों का सामना:
चीन के साथ सीमा विवाद के दौरान दृढ़ रुख अपनाया गया।
पाकिस्तान के आतंकवाद-समर्थन को कूटनीतिक और सामरिक रूप से चुनौती दी गई।


महत्व : मोदी जी के नेतृत्व में भारत ने एक सशक्त और आत्मनिर्भर राष्ट्र के रूप में अपनी पहचान बनाई।
भारत अब न केवल वैश्विक मंच पर एक नीतिगत ताकत के रूप में देखा जाता है, बल्कि शांति, सहयोग और विकास में भी अग्रणी भूमिका निभा रहा है।
उनकी नीतियाँ भारत को एक “ग्लोबल पावर” के रूप में स्थापित करने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो रही हैं।

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