तहसीलदार ने वसूली के लिए जारी किया नोटिस।

न्यूजलाइन नेटवर्क – ब्यूरो रिपोर्ट
सिंगरौली/मध्य प्रदेश। ललितपुर-सिंगरौली रेल लाइन परियोजना के लिए देवसर तहसील के छीवा गांव में अर्जित की गई चित्रसेन उर्फ शास्त्री द्विवेदी की भूमि पर बने मकान का मुआवजा दूसरे व्यक्ति के खाते में डालने के मामले में हाईकोर्ट जबलपुर के आदेश पर धनराशि वसूली की प्रक्रिया शुरू हो गई है। इस संबंध में तहसीलदार न्यायालय देवसर की ओर से संबंधित व्यक्ति दुर्गा शंकर पिता राम नारायण द्विवेदी को नोटिस जारी की गई है। मध्य प्रदेश भू-राजस्व संहिता 1959 की धारा-146 के अधीन जारी की गई मांग की इस नोटिस में कहा गया है कि भू-राजस्व के बकाया के लेख में आप पर 7 लाख 70 हजार 212 रुपये देय हैं। नोटिस के माध्यम से सूचना मिलने के सात दिन के यदि अंदर उसका भुगतान नहीं किया गया तो देय प्राप्ति के लिए विधि के अनुसार अवपीड़क यानी बलपूवर्क वसूली की कार्यवाही की जाएगी। जारी हुई नोटिस के अनुसार दुर्गा शंकर को मूलधन 7 लाख 70 हजार 212 रुपये का भुगतान दिनांक से 12 प्रतिशत ब्याज के साथ वापस करना है। इसमें आदेशिका शुल्क के 5 रुपये भी देने हैं।
उपखंड से जिला तक नहीं सुनी गई थी आपत्ति:- मालूम हो कि देवसर के छीवा गांव के चित्रसेन उर्फ शास्त्री की आराजी खसरा सं. 372 रकबा 0.12009 हेक्टेयर ललितपुर-सिंगरौली रेल लाइन परियोजना से प्रभावित है। उनकी मां व भाई के सहखाते की इस जमीन पर उनका मकान है। गणना पत्रक में दूसरे व्यक्ति दुर्गा शंकर के नाम से मकान का मुआवजा दर्ज कर भुगतान कर दिया गया, जबकि चित्रसेन ने इस संबंध में आपत्ति दर्ज कराते हुए उपखंड से लेकर जिला तक के अधिकारियों को आवेदन दिए थे, मगर सुनवाई नहीं हुई। इसके बाद चित्रसेन ने अधिवक्ता एलपी मिश्रा, अरुण द्विवेदी के माध्यम से हाईकोर्ट जबलपुर में रिट संख्या 9139/2023 दायर कर न्याय की गुहार लगाई थी। इस पर गत 28 जनवरी को न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल ने सुनवाई की थी।
राशि खाते में डालने के लिए कलेक्टर ने हाईकोर्ट से मांगा है 30 दिन का समय:- सुनवाई के दौरान जस्टिस विवेक अग्रवाल ने शासकीय अधिवक्ता से पूछा था कि कलेक्टर ने किस कानून के तहत दुर्गा शंकर को मकान का पेमेंट कर दिया, जबकि न तो उन्होंने जमीन खरीदी, न मकान पर उनका मालिकाना हक है। यह किस कानून में लिखा है कि एग्रीमेंट के आधार पर बनाए गए मकान का मालिक अनुबंध करने वाला होता है। उन्होंने सिंगरौली में हो रहे भूअर्जन और मुआवजा वितरण में भ्रष्टाचार होने की बात कही थी। अधिवक्ता को कलेक्टर से बात कर शाम 4:00 बजे तक प्रभावित के खाते में मकान की मुआवजा राशि डालने निर्देशित किया था। हालांकि अधिवक्ता के माध्यम से कलेक्टर ने इसके लिए 30 दिन का समय मांगा था, क्योंकि मकान के मुआवजे की राशि दुर्गा शंकर के खाते में डाली जा चुकी है। इसकी वसूली तय समय में करने के लिए नोटिस जारी की गई है।
भूअर्जन अधिनियम से वसूली न करने पर उठाये जा रहे सवाल:- उधर, भूअर्जन अधिनियम से जुड़े जानकार मध्य प्रदेश भू राजस्व संहिता 1959 के अंतर्गत जारी वसूली नोटिस पर सवाल उठा रहे हैं। उनका कहना है कि इतने संजीदा मामले में तहसीलदार से मध्य प्रदेश भू-राजस्व संहिता 1959 के अंतर्गत वसूली की नोटिस जारी की जा रही है, जबकि भू-अर्जन अधिनियम 2013 से वसूली किए जाने का प्रावधान है। राजस्व संहिता 1959 से वसूली इसलिए की जा रही कि अधिकारियों को बचाया जा सके। अधिनियम 2013 से वसूली की जाती तो एसडीएम एवं कलेक्टर के ऊपर अधिनियम 2013 के अध्याय 12 के तहत उनके ऊपर भी कार्रवाई होगी। इसी से बचने यह नोटिस जारी की गई है।