जिलाधिकारी सहित 06 लोगों को कोर्ट की अवमानना की नोटिस, हाई कोर्ट की चीफ जस्टिस डिविजन बैच ने मांगा 07 दिन में जवाब।

न्यूजलाइन नेटवर्क – ब्यूरो रिपोर्ट

सिंगरौली/ मध्य प्रदेश। अभ्यावेदन का निराकरण न होने के बाद भी लामिदह और पचौर में विस्थापित कॉलोनी के समस्थलीकरण कार्य जारी रहने पर सजा ऐतराज। हाई कोर्ट ने गलत दिसंबर में याचिका को अध्याय आवेदन मानकर कलेक्टर को दिया था निराकरण करने का निर्देश 05 फरवरी है निर्णय की तिथि।

अभ्यावेदन का निराकरण लंबित रहने के बाद भी लामीदह व पचौर में विस्थापित कॉलोनी से जुड़ा काम जारी रहने पर हाईकोर्ट ने ऐतराज जताया है। शुक्रवार को इस संबंध में दायर याचिका को कोर्ट ऑफ कंटेम्प्ट पिटीशन मानकर हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस की सुरेश कुमार कैत व जस्टिस विवेक जैन की डिवीजन बेंच ने सुनवाई की। इस दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ब्रहमेंद्र पाठक ने हाईकोर्ट को बताया कि बीते दिसंबर में सुनवाई के बाद डबल बेंच के निर्देश पर कलेक्टर ने याचिका को अभ्यावेदन मानकर 17 जनवरी को सुनवाई की थी व निर्णय सुनाने के लिए 05 फरवरी की तिथि तय की थी। इसके बाद भी लामीदह और पचौर में प्लाट समतलीकरण कार्य नहीं रोका गया। शेष बचे लोगों को भी जबरन हटाया गया। इस पर डिवीजन बेंच ने अलग याचिका दायर करने कहा। तब अधिवक्ता ब्रहमेंद्र पाठक ने जनपद पंचायत अध्यक्ष सविता सिंह की ओर से रिट पिटीशन 3674/2025 दायर की।

इस पर शुक्रवार को सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत व जस्टिस विवेक जैन ने लामीदह एवं पचौर से लोगों को बिना प्रतिकर भुगतान और रहने की व्यवस्था किए हटाने तथा विस्थापित कॉलोनी का कार्य जारी रहने पर ऐतराज जताया। प्रमुख सचिव राजस्व, कलेक्टर सिंगरौली, एसडीएम देवसर, तहसीलदार सरई, नायब तहसीलदार खनुआ वृत्त, ईएमआईएल कंपनी के मैनेजर को कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट की नोटिस जारी कर सात दिन में शपथ पत्र जमा करने का निर्देश दिया। इस पर अगली सुनवाई 11 फरवरी को होगी।

बसाने के साथ देना होगा परिसंपत्ति कामुआवजा:- इस केस में अधिवक्ता ब्रहमेंद्र पाठक ने बताया कि यदि कोई भूमिहीन शासकीय भूमि पर वर्षों से आबाद है तो यह नियम है कि उसे हटाने से पहले उसके रहने की व्यवस्था की जाएगी। साथ ही उसकी परिसंपत्तियों का उसे उचित मुआवजा भी दिया जाएगा। इसका पालन किए बिना 75 घर तोड़ दिए गए तो 24 अन्य के मकान भी जबरन हटाने का प्रयास किया जा रहा है। जिसे लेकर हाईकोर्ट ने गत दिसंबर में कलेक्टर को निर्देश दिया था कि वर्तमान याचिका को अभ्यावेदन के रूप में लें और आज से चार सप्ताह में इस पर निर्णय लें। हाईकोर्ट ने निर्देश दिया था कि राजस्व ग्राम लामीदह के निवासियों को प्रचलित नीति के अनुसार उचित मुआवजा, पुनर्वास व पुनर्व्यवस्थापन का लाभदिए बिना बेदखल न करें। इसका पालन न होने व लामीदह में कार्य जारी रहने पर अवमानना याचिका दायर हुई।

याचिका कथन के आधार पर कोर्ट ने माना अपराध:- कोर्ट ने कहा कि याचिका में दिए गए कथनों को ध्यान में रखते हुए इसे अपराध मानते हैं। इसलिए याचिका को अवमानना के रूप में प्रस्तुत करें और प्रतिवादियों-अवमानना करने वालों के खिलाफ नोटिस जारी करें कि क्यों न अवमानना की कार्यवाही शुरू की जाए तथा उन्हें न्यायालय की अवमानना अधिनियम के तहत दोषी न ठहराया जाए। कोर्ट ने कहा कि प्रतिवादी एक सप्ताह के भीतर हलफनामा दाखिल करेंगे और उचित मुआवजा दिए बिना किसी निवासी को बेदखल नहीं करेंगे। याचिका पर अब 11 फरवरी को सुनवाई की तिथि तय की गई है।

क्या है मामला और कितने लोग हैं प्रभावित:- दरअसल, बंधा कोल प्रोजेक्ट से प्रभावित बंधा, पचौर, पिड़रवाह, देवरी व तेंदुहा के लोगों को बसाने के लिए लामीदह की लगभग 96 हेक्टेयर व पचौर की 4 हे. शासकीय भूमि का अर्जन किया जा रहा है। जानकारी के अनुसार इन आराजियों पर वर्षों से एससी-एसटी वर्ग के सैकड़ों लोग आबाद हैं। इनको परिसंपत्तियों का मुआवजा दिए और बसाए बिना ही हटाया जा रहा है। हाईकोर्ट में 75 लोगों के मकान तोड़ने की सूची जमा की गई है। शेष 24 मकानों में कुछ को कलेक्टर के यहां प्रकरण लंबित रहने के बाद भी हटाने की बात कही जा रही है। कलेक्टर के यहां से 05 फरवरी को याचिका सह अभ्यावेदन पर निर्णय होगा। यानी मामले के लंबित रहने के बाद भी लामीदह व पचौर में विस्थापित कॉलोनी का कार्य चल रहा है। इसके साक्ष्य के रूप में वीडियो और फोटोग्राफ भी कोर्ट में दिए गए हैं।

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