साहित्यिक सामाजिक संस्था सोन संगम शक्ति नगर की ओर से निराला जयंती की पूर्व संध्या पर विचार गोष्ठी एवं काव्य संध्या का हुआ आयोजन।

न्यूजलाइन नेटवर्क – ब्यूरो रिपोर्ट सोनभद्र।

सोनभद्र/ उत्तर प्रदेश। इस कार्यक्रम के मुख्य वक्ता गोपाल तिवारी प्रधानाचार्य सरस्वती शिशु मंदिर शक्तिनगर रहे विशिष्ट वक्ता के रूप में अनिल कुमार चतुर्वेदी पर अध्यापक हिंदी विवेकानंद इंटर कॉलेज शक्ति नगर तथा कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ बृजेंद्र कुमार शुक्ला ने किया। कार्यक्रम का श्री गणेश रविंद्र कुमार मिश्रा एवं डॉ. बृजेंद्र शुक्ल के द्वारा सरस्वती वंदना वर दे वीणा वादिनी, से प्रारंभ हुआ। अतिथियों का स्वागत सोन संगम के कार्यकारी अध्यक्ष विजय कुमार दुबे के द्वारा किया गया। कार्यक्रम के आयोजन तथा विषय की स्थापना करते हुए डॉ मानिक चंद पांडेय ने कहा की महाप्राण सूर्यकांत त्रिपाठी निराला का साहित्य संपूर्ण विश्व में प्रसिद्ध है इन्होंने कविता से लेकर गद्य साहित्य में अपनी जो पहचान बनाई वह आज भी इतिहास में लिख का पत्थर है निराला की कविताएं दबे,कुचले शोषित समाज के मुक्ति की वकालत करती है।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता गोपाल तिवारी ने निराला के व्यक्तित्व तथा कृतित्व की चर्चा करते हुए कहा कि, निराला जी हिंदी साहित्य के पहले जनवादी कवि हैं,जो उनके साहित्य मे देखा जा सकता है। उनकी कविता तोड़ती पत्थर दान भिक्षुक या उनकी कहानी पगली या उनकी रचनाएं चतुरी चमार,बिल्ले सर बकरी हा, इत्यादि में देखा जा सकता है। विशिष्ट वक्ता के रूप में अनिल कुमार चतुर्वेदी ने निराला की प्रमुख कविताएं राम की शक्ति पूजा एवं सरोज स्मृति का वर्णन करते हुए कहा कि यह सब कविताएं निराला के जीवन का पूर्ण चित्रण करती है निराला ने संघर्ष करके तत्कालीन साहित्यिक समाज में जो स्थान हासिल किया वह आज भी मिल का पत्थर है। कार्यक्रम के अध्यक्षता कर रहे डॉ विजेंद्र शुक्ला ने निराला से जुड़ी अनेक संस्मरणों को बताया। निराला का जीवन संघर्ष पूर्ण था। उनका साहित्य सृजन तत्कालीन समाज के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती थी, क्योंकि उन्होंने तत्कालीन समाज में चली आ रही छंद बंधन की काव्य परंपरा को तोड़कर छंद मुक्त कविता लिखा जूही की कली, उनकी छंद मुक्त कविता है। जिसे पंडित महावीर प्रसाद द्विवेदी ने अपनी सरस्वती पत्रिका में नहीं छापा था।अन्य वक्ताओं में सरस सिंह अध्यापक हिंदी विवेकानंद इंटर कॉलेज ने कहा कि, बहुत कम लोग जानते हैं कि निराला सिर्फ गद्य पद्य ही नहीं लिखते थे बल्कि गजल भी लिखते थे। गजल की शुरुआत छायावादी कविता में निराला में देखी जा सकती है। ज्योति कुमारी ने निराला को युग पुरुष कहा और बताया कि निराला छायावादी एवं प्रगतिवादी कवि के रूप में सर्वमान्य है।
इस आयोजन में कवियों द्वारा भी निराला के जयंती के अवसर पर काव्य पाठ किया गया जाने माने कवि माहिर मिर्जापुरी ने अपनी कविता कुछ इस प्रकार प्रस्तुत किया:-
घूम रहे हैं डाकू यहां साधुओं की भेष में।
लूटमार रोज हो रहा है अपने देश में।
अपनी कता एवं गजल के लिए मशहूर बहर बनारसी में अपनी रचना कुछ इस अंदाज में बया किया
हमारे मुल्क की हिंदोस्ता की बात करो।
जहां की खाते हो रोटी वहां की बात करो।
बुलंद हौसला अजमे जवा की बात करो।
रहो जमी पे मगर आसमा की बात करो।
डॉ विजेंद्र शुक्ला ने अपनी रचना सुनकर लोगों को मंत्र मुक्त कर दिया
अमवा की डाली पर कोयलिया बोल उठी।
मधुर मधुर मंद मंद बसंती ढोल उठी।
रमाकांत पांडे ने अपनी कविता मां सरस्वती को समर्पित करते हुए प्रस्तुत किया
ज्ञान की देवी माई शारदा हरिला सारी विपदा।
अज्ञानता दूर करो मां अज्ञानता दूर करो मां।
प्रज्ञा चक्षु रविंद्र मिश्रा ने अपनी कविता लोगों को इस अंदाज में सुनाया
कोई न जाने अगले पल की। जियो आज की छोड़ो कल की।
कार्यक्रम का संचालन डॉ मानिक चंद पांडेय तथा धन्यवाद ज्ञापन गुलाब सिंह ने किया। इस कार्यक्रम में विमल शर्मा, उदय नारायण पांडेय, मुकेश रेल मनोरमा पूजा साहनी श्रवण कुमार अवधेश प्रसाद रोशनी मनीष यादव सुभाष पटेल कविस निर्भय इत्यादि लोग उपस्थित रहे।

Leave a Reply

error: Content is protected !!