
🙏🙏
💥 छत्तीसगढ़ी कविता::
चुनावी चकल्लस
पांच साल म एक बार बस
जनता मन सुख पाथे,
लहर पंचायत चुनाव के जब
गांव-गांव में आथे।
बला-बला के जनता ल सब
नेता मन भात खवाथे,
जगह-जगह कुकरी पार्टी म
अब्बड़ पैसा उड़ाथे।
चुनाव होतिस हर बछर त
जनता ह सुख पातिस,
नेता कोनो घोटाला करके
गरीब हक नी खातिस।
जे नेता विकास करथिस
वोट ओहि ह पाथिस,
दोगला ठगवा नेता मन सब
हाथ मलत रह जातीस।
सरकारी राहत के काम ल
धड़ाधड़ सरपंच लातीस,
प्रदेश जाय बिन गरीब घलो
चैन से घर म खातीस।
हर सरकारी काम के पूरा
जनता फायदा पातिस,
गरीब मजदूर के जिनगी म
तरक्की के आशा छातीस।
लेखक/कवि,
विजय कुमार कोसले
नाचनपाली,सारंगढ़
छत्तीसगढ़।