मोरवा विस्थापन की समस्या को लेकर जनता सांसद एवं विधायक से नाखुश

चुनाव के समय सांसद, विधायक से मोरवा की जनता लेगी हिसाब।

न्यूजलाइन नेटवर्क – चितरंगी संवाददाता – आदर्श तिवारी

चितरंगी/सिंगरौली। सिंगरौली जिले के मोरवा क्षेत्र के कई वार्ड एनसीएल की जयंत एवं दुधीचुआ परियोजना के विस्तार के लिए अधिग्रहण किए जा रहा हैं। यहाँ विस्थापितों का आरोप है कि एनसीएल दोहरी नीति अपनाकर विस्थापन करने में लगा है। इसके पूर्व खदान के विस्तार के लिए वार्ड क्रमांक 10 के अधिग्रहण में पट्टेधारकों के बराबर ही सरकारी भूमि एवं एग्रीमेंट व वन भूमि पर बने हुए मकानों का मुआवजा वितरण कर संपूर्ण विस्थापन का लाभ दिया गया था। लेकिन इस बार के विस्थापन में शासकीय भूमि पर बसे लोगों के ज्यादा संख्या देख एनसीएल प्रबंधन दोहरी नीति अपनाना चाह रहा है। इसे लेकर विस्थापितों में काफी नाराजगी देखी जा रही है।

लोगों की नाराजगी जनप्रतिनिधियों से भी है। विस्थापितों का आरोप है कि मोरवा के 50 हजार लोग बेघर होने जा रहे हैं लेकिन मोरवा को वोट बैंक समझकर वोट मांगने वाले यहां के सांसद एवं विधायक उनके हक और अधिकार के लिए कभी जनता के बीच में नहीं आए। विस्थापितों का कहना है कि पूर्व में रहे सिंगरौली विधायक रामलल्लू वैश्य विस्थापन की समस्या को लेकर अपनी ही सरकार में धरना प्रदर्शन कर विस्थापितों को उचित मुआवजा दिलाने का कार्य किया था लेकिन वर्तमान सांसद डॉ राजेश मिश्रा एवं विधायक रामनिवास शाह कभी भी मोरवा के लोगों से उनकी समस्याओं को जानने का प्रयास नहीं किया। केवल बजट सत्र में मोरवा के पुनर्वास का लोक लुभावना तस्वीर पेश कर सरकार ने वाहवाही बटोरनी चाही। विस्थापितों का मानना है कि अगर सांसद डॉ राजेश मिश्रा एवं विधायक रामनिवास शाह इस विस्थापन की समस्या को लेकर प्रदेश सरकार एवं केंद्र सरकार में जाकर नीती संगत विस्थापन का लाभ दिलाने का बात करें तो विस्थापितों को उचित मुआवजा मिल सकता है। इन विस्थापितों को अपना आशियाना उजड़ने का डर सता रहा है। उनका कहना है कि काफी दिनों से मोरवा शहर में रहकर अपना जीवन यापन किया लेकिन अब जब कड़ी मेहनत के बाद कमाए हुए पैसों से अपना आशियाना बनाकर गुजर बसर कर रहे थे लेकिन वह भी उजड़ने के कगार पर है। अगर उचित मुआवजा नहीं मिला तो हम कहां जाएंगे बढ़ती महंगाई को देखकर विस्थापितों के पसीने छूट रहे हैं। जमीन की कीमतें आसमान छू रही है और एनसीएल है कि हमारे घर का मुआवजा कौड़ी के भाव देना चाहती है। विस्थापितों ने यहां तक कहा कि यह विस्थापन एशिया का सबसे बड़ा विस्थापन है। एक शहर का नाम निशान मिटाने जा रहा है लेकिन यहां के सांसद और विधायक समेत तमाम सत्ताधारी नेता जनता के हक की बात करने से कोसों दूर नजर आ रहे हैं। अगर नीति संगत विस्थापन का लाभ नहीं मिला तो हम अगले चुनाव में इन्हें अच्छे तरीके से जवाब देंगे।

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