कवि विजय कुमार कोसले की जीवन सार कविता। जरूर पढ़े कविता शीर्षक – जिंदगी
!! ज़िन्दगी !!
~जिंदगी को दिल से आभास करो तो
है चार दिनों का मेला,
फिर यहां से जाना पड़ेगा एक एक कर
हर किसी को अकेला।
~ज़िन्दगी की राहों में हरपल ही
सुख दुःख के दो रंग है,
हंसकर जो जीए इस ज़िन्दगी को
ईश्वर भी उनके संग है।
~कभी दुख का तो कभी सुख का
परिचय करवाये ज़िन्दगी,
किसी को अमीर तो किसी को
गरीब कर जाये ज़िन्दगी।
~ज़िन्दगी हर किसी के जीवन में
पल पल इम्तिहान लेती है,
किसी को जी भर ढेरों खुशियां तो
किसी को गम ही गम देती है ।
~ज़िन्दगी कभी एक शिक्षक तो
कभी एक सच्चा मित है,
सुख और दुःख को बारी बारी से
जीवन में लाना इसका रीत है।
~जो हंसकर ज़िन्दगी की हर लम्हे को
जो सत्य धर्म से जीते हैं,
नसीब भी उनके कदमों में सर झुकाकर
जीवन को जल बन कर सींचे है।
लेखक/ कवि,
विजय कुमार कोसले
नाचनपाली, लेन्ध्रा छोटे
सारंगढ़ , छत्तीसगढ़ ।