करतार सिंह पौनिया, ब्यूरो चीफ फिरोजाबाद :
टूण्डला – पारसनाथ मंदिर इंद्रा नगर में हो रहा है सम्यक ज्ञान का अनुसरण, प.पू.उपाध्याय श्री विज्ञानंद महाराज मुनि श्री पुण्यानंद मुनि श्री धैर्यानंद ससंघ चातुर्मास हो रहा है। सुबह प्रवचन देते हुए उपाध्याय श्री ने कहा कि जो धर्म प्रत्येक प्राणी को पाप कर्म से उबारकर सुख और समृद्धि के लिए सहयोग करता है धर्म तीन प्रकार के होते हैं लोक धर्म,व्यवहार धर्म,निश्चय धर्म, होते हैं, व्यवहार धर्म अपनी आत्मा को दुःख से ऊबारकर सुख की अनुभूति करवाता है समूचे पाप कर्म का नाश करता है
सम्यक दर्शन सम्यक ज्ञान सम्यक चारित्र इन तीनों की एकता को धर्म कहा गया है, जो व्यक्ति स्वयं के धर्म को प्राप्त कर सका है जिसने ज्ञान अर्जित किया है ऐसे तीर्थंकर देव गडधर देव जिसने धर्म को ज्ञान से पाया है, इसके उल्टे मिथ्यादर्शन मिथ्याज्ञान ओर मिथ्याचारित्र अधर्म है क्युकी यह प्राणियों को सांसारिक दुखो में फसाते है,आचार्य समंतभद्र ग्रंथ के उद्देश्य बताते हुए कहते हैं कि प्रस्तुत ग्रंथ में कर्मों के नाशक, धर्म के स्वामी जिनेन्द्र देव कहते हैं कि देखभाल के पढ़ोगे तो अच्छे नम्बर से पास हो जाओगे देखभाल के जीवन जीयोगे तो जीवन में शान्ति आयेगी अगर देखभाल के जीवन नही जियोगे तो न मन में शान्ति आयेगी न जीवन में हमारे जीवन में निर्मलता न जीने से हम अपनो को नही समझ पा रहे हैं हमेशा अपना ज्ञान लगाओ जिसमे हमारा हित हो वो कार्य करो अहित है वो कार्य कि तरफ निगाह भी मत करों और यह धर्म के ज्ञान से ही संभव है,
देवशास्त्र गुरू पर श्रद्धान करना धर्म है जिस धर्म को परिभाषित करता हो धर्म रूपी वृक्ष का मूल ज्ञान धर्म है और चारित्र बेकार है अगर सम्यक ज्ञान न हो तो, यह सम्यक ही मोक्ष का साधन है दृष्टि के बदलते ही कर्म बदल जाते हैं, दृष्टि आपकी सही है तो सब आपको सही लगेगे सही होगा और दृष्टि खराब है तो सब गलत होगा, सम्यकदृष्टि अपनी आत्मा से सबको जान लेता है किसी के बारे में बुरा नही सोचता है, क्रोध,मान,माया,लोभ ,ईश्या इन सब से सम्यक दृष्टि जीव को हमेशा बचना चाहिए, कषाय कम हो जाएगी तो आत्मा की सुद्धता अपने आप हो जायेगी सम्यक दृष्टि जीव कषाय को मंद करता है कषाय को मंद किए बिना भयबीत नहीं होता है, संसार परिवर्तनशील है, जीव धर्म के आयोजन, धर्म के फल को देखकर हर्षित हो जाना है सम्यक दृष्टि जीव है, सम्यक दृष्टि जीव के अंदर अनुकंपा होती है दया होती है मदद करने के भाव होते हैं ,किसी की परेशानी देखकर मन अगर परेशान हो रहा है वो सम्यक दृष्टि जीव है,
आस्तिक का तात्पर्य हमारी आत्मा का सुख दुख के मालिक खुद है बड़ो की सेवा करना वय्यावृत्ति करना, सम्यक दृष्टि है, अगर दुश्मन भी अच्छा कार्य कर रहा है तो उसको अच्छा कहो यह वात्सल्य भाव है कषाय की तीव्रता में लोग दूसरो की निंदा करते हैं और अपनी तारीफ सुनना चाहते हैं और सम्यक दृष्टि जीव अपनी निंदा तो कर सकता है पर दूसरो के प्रति अपने भाव कभी खराब नही करता है कभी दूसरो की निंदा नहीं करता है, कषाय कर्म से बचने के गुरू के चरणो में स्थान लो ज्ञान अर्जित करो इससे ही आत्मा का कल्याण होगा इस मौके पर चातुर्मास कमेटी अध्यक्ष बसन्त जैन,कमलेश जैन कोल्ड , अनिल जैन राजू, अजय जैन, प्रदीप जैन, डॉ धीरज जैन, अशीष जैन, संजीव जैन, टिंकू जैन, सुभाष जैन, गोपाल जैन, क्षेत्रीय सह संयोजक भाजपा अल्प संख्यक मोर्चा सचिन जैन, सुमित जैन, अंकित जैन, डॉ शैलेन्द्र जैन, देवसेन जैन, अनिल जैंडल, कुलदीप जैन, विमल जैन बॉबी, महेश जैन,दिनेश जैन, आशू जैन, आलोक जैन, समस्त जैन समाज मौजूद रहा।