न्यूजलाइन नेटवर्क , सारंगढ़ बिलाईगढ़ ब्यूरो
सारंगढ़ बिलाईगढ़ : सारंगढ़ जिला के तहसील कार्यालय सरसीवां के तहसीलदार ने जिला कलेक्टर के आदेश की अवहेलना करते हुए अपने मनमाफिक फैसला सुनाए जानें का मामला सामने आया है जो कोई भी इस फैसले के बारे में सुन रहा है आश्चर्य चकित हो जा रहा है ।
यह मामला मुड़पार का है जहां करमन बैगरह कुल 10 अन्य आवेदकगण विरुद्ध अनावेदक एक मात्र रामेश्वर है। इस मामले के अनावेदक रामेश्वर को 35 साल पहले ही बंटवारे में भूमि ,संपत्ति मिल गई है। पिता के देहावसान के बाद आवेदकगण वसीयतनामा के आधार पर खाता विभाजन के लिए तहसील भटगांव में आवेदन लगाया यहां 6 माह तक प्रकरण चला अंत में आवेदकों के पक्ष में सुनवाई करते हुए भटगांव तहसीलदार ने अपना अभिमत दिया की खाता विभाजन करने योग्य है। अनावेदक रामेश्वर ने इस फैसले के विरुद्ध में पुनरीक्षण के लिए जिला कलेक्टर सारंगढ़ में आवेदन किया। यहां करीब 8 माह तक प्रकरण चला इस मामले के अवलोकन कर राजस्व कलेक्टर सारंगढ़ ने पुनरीक्षण कर्ता रामेश्वर के आवेदन को खारिज करते हुए भटगांव तहसीलदार के अभिमत को स्थिर और यथावत रखते हुए 10 आवेदकों को राहत दी और मामले को तहसील सरसीवां भेजा गया सरसीवां तहसील में मामला उलट गया और तहसीलदार द्वारा अजब गजब का फैसला दे दिया गया।
अनावेदक रामेश्वर ने तहसील सरसीवां में न कभी बयान दिया न कथन दिया एवम अक्सर पेशी दिनांक को अनुपस्थित रहता था फिर भी सरसीवां तहसीलदार ने इनके ही पक्ष में सुनवाई कर दी इस निर्णय से यहां की न्याय व्यवस्था कटघरे में आ गई है। तहसीलदार ने एक मात्र अनावेदक रामेश्वर के पक्ष में सुनवाई करते हुए 10 आवेदकगणों के आवेदनों को धता बताते हुए इन्हें न्याय से वंचित रख दिया। इनके इस अजब गजब निर्णय और सुनवाई की अंचल में चर्चा परिचर्चा के दौर शुरू हो गई और सरसीवां तहसील कार्यालय के इस निर्णय पर लोग सवाल खड़ा कर रहे हैं की सरसीवां तहसीलदार ने अपने उच्च अधिकारी अथवा जिला राजस्व कलेक्टर सारंगढ़ के आदेश की अवहेलना करते हुए इस मामले को खारिज कैसे किया। कोई इसे बड़ी लेन देन होने की आशंका व्यक्त की तो कई ने तथाकथित नेताओं के हस्तक्षेप से प्रेरित सुनवाई कहा।
आवेदकों ने आगे बताया की अनावेदक रामेश्वर को 35 साल पहले ही अपने हिस्से की भूमि मिल गई है और उसने स्टांप में 5 गवाहों के समक्ष लिखा भी है कि मुझे भाई बंटवारा में अपने हिस्से की जमीन मिल गई है और भविष्य में अन्य 4 भाईयो की भूमि, संपत्ति पर हक नही जताऊंगा।
वहीं परिवार मुखिया रामप्रसाद ने मृत्यु पूर्व 2 गवाहों,नोटरी के समक्ष उपस्थित होकर वसीयतनामा का संपादन किया है जिसमें इनके पिता ने जिक्र किया है की अपने बड़े पुत्र रामेश्वर को 35 साल पहले उसके बंटवारे में ज्यादा संपत्ति ,भूमि दे दी गई है बाकी जो भी शेष में केवल 4 पुत्रों ही हिस्सेदार होंगे। तहसील सरसीवां द्वारा पारित निर्णय हैरान करने वाला है जहां संपत्ति लेने वाला ने लिख दिया है की बांटा मिल गया है और संपत्ति देने वाला पिता ने वसीयतनामा में भी जिक्र कर दिया है कि बड़े पुत्र को उसके हिस्से की जमीन मिल चुकी है इसके बाद भी अनावेदक के पक्ष में एक तरफा सुनवाई कर देना न्यायालय के न्यायिक प्रक्रिया कटघरे में आ गई है।
ज्ञात हो कि भू राजस्व संहिता में यह उल्लेख है की किसी परिवार के किसी सदस्य को एक बार उसे संपत्ति मिलने के बाद वह दुबारा संपत्ति पाने का हक नहीं होगा । आवेदकों ने बताया की अनावेदक रामेश्वर ने कभी अपने वृद्ध माता, पिता की सेवा जतन,देखभाल नहीं की है और न बहनों की कभी आवभगत की है इसके बाद भी रामेश्वर द्वारा भाइयों से दुबारा बांटा मांगना और उनके खाता विभाजन में अड़चन डालना रामेश्वर का लालचीपन, छल,धोखेबाज प्रतीत होता है।
आवेदकगणों ने ऊपरी न्यायालय पर भरोसा जताया है की उन्हें एक दिन न्याय अवश्य मिलेगा चुंकी सत्य परेशान हो सकता है लेकिन पराजित कभी नही होता। इस संबंध में सरसीवां तहसीलदार आयुष तिवारी से उनका पक्ष जानने मोबाइल लगाया तो घंटी गई लेकिन उन्होंने मोबाइल रिसीव नहीं किया। वहीं इस मामले में जब राज्य के पूर्व सीबीआई मजिस्ट्रेट प्रभाकर ग्वाल से पूछा तो उन्होंने बताया की आवेदक गण धारा 32 के तहत न्याय पाने का हकदार हैं वे किसी भी कोर्ट में जा सकते हैं और जिला कलेक्टर और संबंधित तहसीलदार के कार्यालय को पुनरावलोकन के लिए आवेदन दे सकते हैं।