…. जरूर पढ़ें कवि विजय कुमार कोसले की प्रेरणात्मक कविता शीर्षक – गरीब घर की कामयाब बेटी।
गरीब घर की कामयाब बेटी
~गरीब घर में थी एक ऐसी
कर्मठ संस्कारी बेटी,
हर कठिनाई का डटकर जो
सामना सदा कर लेती।
~माता पिता का हरपल वो
हर एक कहना माने,
ईर्ष्या करना कभी किसी से
उनके दिल न जाने।
~रात रात भर जागकर वह
पढ़ाई किया करते,
टूट ना जाए मां बाप का सपना
वो सोचकर डरते।
~हर कक्षा में प्रथम श्रेणी से
हमेशा होती वो पास,
मां बाप भी जल्द सर्विस पाने की
लगाई हुई थी आस।
~पढ़ाई संग वह बीच बीच में
मजदूरी करने जाती,
मां बाप के कुछ साथ देकर
अपना फ़र्ज़ निभाती।
~निकलने वाली हर सर्विस का
रखती थी वो ध्यान,
साथ ही वो कई पेपर देकर
बढ़ाती अपना ज्ञान।
~एक पल कभी वह जीवन में
परिश्रम कभी न छोड़ी,
हरपल जीवन में त्याग तपस्या
की वो मंत्र जोड़ी।
~धीरे से उनकी कठिन परिश्रम
लगन साथ रंग लाई,
एक दिन नौकरी के कागज संग
ढ़ेरों खुशियां पाई।
~नौकरी पाकर घर का ख़ूब
रौशन नाम किया,
मान सम्मान के साथ वह फिर
अच्छा जीवन जीया।
लेखक/ कवि
विजय कुमार कोसले
नाचनपाली,सारंगढ़,
छत्तीसगढ़ ।