
प्रतापगढ़ रामानुज आश्रम धर्माचार्य ओम प्रकाश पांडे अनिरुद्ध रामानुज दास ने सनातन धर्म, संस्कृति और संस्कार पर हो रहे हमलों पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि विद्वान ब्राह्मण और साधु संत महिलाओं को आज भी तिलक स्वयं नहीं लगाते।
आप लोगों से दास का अनुरोध है कि कम से कम अपनी अगली पीढ़ी को साड़ी पहनना तो सिखा ही दीजिए,आज शादी इत्यादि में अब साड़ी ब्लाउज इत्यादि पहनाने वालों को बुलाया जाने लगा है या इन औरतों को ही सेंटरों पर बुलाया जाने लगा है।
अब किसी भी अवसर पर महिलाओं को साड़ी पहनाने से लेकर, मेहंदी, सैलून, टेलर, टैटू सब काम पुरुष कर रहे हैं ,ये कथित आधुनिकता कहाँ तक ले जाएगी।मेहंदी के बाद अब महिलाओं को साड़ी पहनना भी सेंटरों पर पुरुष सिखा रहे हैं! स्त्रियों द्वारा यदि यह कार्य कराए जाते हैं तो आप उसे करा सकते हैं, किंतु पराए पुरुषों द्वारा यह कार्य कराना घोर पाप है।
हमारी सनातन संस्कृति और संस्कार के विरुद्ध है। वैसे भी आज हमारी सनातन संस्कृति हिंदू हिंदुत्व सनातन धर्म एवं हमारे धार्मिक ग्रंथो तथा मंदिरों को लेकर अनाप-शनाप बातें की जा रही हैं जो न्यायोचित नहीं है।
एक गैर पुरूष द्वारा साड़ी खींचने पर जिस देश में महाभारत हो गया था। जिस देश में एक स्त्री को वलात रथ पर बैठा कर ले जाने के कारण समूल दैत्य वंश का नाश हुआ और राम राज्य की स्थापना हुई। उस देश की माताएं बहनें अपने वस्त्र उतार कर खड़ी है,यही नहीं आज औरतें स्वयं ही परपुरुष से न केवल जिम में अपने निजी अंगों का स्पर्श कराती हैं बल्कि साड़ी भी उतार पहन रही हैं। ये प्रगति नहीं पतन का मार्ग है।
संस्कारों का पतन हमारी आने वाली पीढ़ी को कहां ले जायेगी। सनातन धर्म भारतीय संस्कृति और संस्कार को बचाना हम सभी का परम कर्तव्य है। ठाकुर जी आप सभी का कल्याण करें।