
निराश्रित बच्चों का संरक्षण करना हम सभी का कर्तव्य है : डा. देवेन्द्र शर्मा
बच्चे देश की आत्मा हैं, इन्हें नशे से मुक्त रखने के लिए तत्काल बनाया जाय प्रहरी क्लब
आज़मगढ़ 15 जुलाई -- उत्तर प्रदेश राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष डा. देवेन्द्र शर्मा ने कहा है कि बच्चे देश की आत्मा हैं, इसलिए इन्हें नशे से मुक्त रखने के लिए तत्काल प्रहरी क्लब की स्थापना कर पूर्व में इसके लिए जारी दिशा निर्देशों के अनुसार कार्य करना सुनिश्चित किया जाय। डा. शर्मा ने सोमवार को मण्डलायुक्त सभागार में मुख्यमन्त्री बाल सेवा योजना, पीकू वार्ड एवं बाल संरक्षण से जुड़ी योजनओं से सम्बन्धित कार्यों की मण्डल स्तर पर आयोजित समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि ऐसे बच्चे जिनको संरक्षण देने वाला कोई नहीं है, उनका संरक्षण करना हम सभी का कर्तव्य है। उन्होंने बैठक में बाल अधिकार संरक्षण से जुड़े मुख्य बिन्दुओं यथा नशा, बाल विवाह, बाल श्रम, बाल यौन शोषण, बाल भिक्षावृत्ति को विशेष रूप से रेखांकित किया। डा. शर्मा ने तीनों जनपदों के अधिकारियों को निर्देश दिया कि जनपद, ब्लाक, वार्ड, ग्राम स्तर पर बाल कल्याण एवं संरक्षण समितियॉं यदि अब तक नहीं बनाई गयी हैं तो तत्काल बना लिया जाये। उन्होंने उप निदेशक, महिला कल्याण को गठित समितियों के सम्बन्ध में 15 दिन के अन्दर रिपोर्ट करने का निर्देश दिया।
आयोग के अध्यक्ष डा. देवेन्द्र शर्मा ने कहा कि पूर्व में जारी गाइड लाइन के अनुसार विद्यालय के 100 मीटर के दायरे में पान, बीड़ी, सिग्रेट, गुटखा आदि की कोई दुकाने नहीं होनी चाहिए, इस दिशा में सख्ती से कार्यवाही की जाय। इसी क्रम में उन्होंने तीनों जनपद के जिला विद्यालय निरीक्षकों से कहा कि कक्षा 6 से ऊपर के विद्यालयों के लिए तत्काल प्रहरी क्लब बनाया जाय तथा नियमित रूप से इसकी मानीटरिंग की जाय, प्रहरी क्लब नशा मुक्ति की दिशा में अत्यन्त सार्थक सिद्ध होगा। उन्होंने औषधि प्रशासन विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिया कि बच्चों को नशे की लत से दूर रखने केलिए सभी मेडिकल स्टोर्स के माध्यम से यह सुनिश्चित किया जाय कि बच्चों को एच-1 मॉडल की दवाइयॉं किसी भी दशा में नहीं दी जायेगी तथा सभी मेडिकल स्टोर्स पर सीसीटीवी भी लगवाया जाय। नशा मुक्ति के सम्बन्ध में डा. शर्मा ने तीनों जनपद के मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को निर्देशित किया कि नशे से होने वाले भयंकर दुष्परिणामों के सम्बन्ध में लोगों में जागरूकता पैदा करने हेतु स्टीकरण छपवायें तथा पुलिस के माध्यम से आटो पर चस्पा करायें। उन्होंने कहा कि इस बार दीपावली पर हमारा संकल्प होगा कि ‘‘एक दिया नशे के विरुद्ध जलाना है, देश को नशामुक्त बनाना है।’’ डा. शर्मा ने बाल विवाह जैसी कुप्रथा को रोकने के समाज के बुद्धजीवी वर्ग के माध्यम से जागरूक किया जाय तथा पूर्व में जारी गाइड लाइने के अनुसार सार्थक प्रयास कर बाल विवाह को हर हालत में समाज से खत्म किया जाय। उन्होंने बाल श्रम के सम्बन्ध में कहा कि शासन द्वारा श्रमिकों के कल्याणार्थ कई कल्याणकारी योजनायें संचालित की गयी हैं। उन्होंने कहा जनपदों में किसी भी दशा में बाल श्रम नहीं होना चाहिए तथा इसके लिए जनपदों में जिलाधिकारी द्वारा गठित टास्कफोर्स की नियमित रूप से बैठकें होनी चाहिए। आयोग के अध्यक्ष डा. शर्मा ने कहा कि चाइल्ड ट्रैफिकिंग के माध्यम से बाल भिक्षावृत्ति, बाल बन्धुआ मजदूरी आदि जैसी अनेक कुरीतियों और बुराईयों को बढ़ावा मिलता है, इसलिए इसे रोकने के लिए हमें अपनी जिम्मेदारियों को समझते हुए सजग रहकर इसे हर हालत में रोकना है। उन्होंने कहा कि बच्चों को भिक्षावृत्ति से मुक्त कराकर उन्हें शिक्षा की ओर लाना है, इसलिए भिक्षावृत्ति में संलिप्त बच्चों का आश्रम पद्धति विद्यालया, कस्बूरबा गांधी बलिका विद्यालय, अटल आवासीय विद्यालय आदि में दाखिला करायें। इसके अतिरिक्त भी बैठक में कतिपय बाल अधिकार संरक्षण से जुड़े कतिपय अन्य बिन्दुओं पर भी उन्होंने विस्तार से चर्चा किया।
बैठक को सम्बोधित करते हुए अपर आयुक्त-प्रशासन केके अवस्थी ने कहा कि बच्चों को नशामुक्त रखने के लिए हमारी यह जिम्मेदारी है कि हम अपने बच्चों के साथ निरन्तर संवाद बनाये रखें। श्री अवस्थी ने कहा कि छात्रों को विश्वास में लेकर नशा करने वाले छात्रों एवं ड्रग पैडलर्स की जानकारी ली जा सकती है। उन्होंने कहा कि नशामुक्त स्वस्थ समाज की संरचना के लिए समाज के हर तबके को जागरुक जरूरी है।
इस अवसर पर अपर जिलाधिकारी (प्रशासन) राहुल विश्वकर्मा, अपर पुलिस अधीक्षक (यातायात) आजमगढ़ विवेक त्रिपाठी, उप निदेशक, महिला कल्याण पीके सिंह, उप निदेशक समाज कल्याण आरके चौरसिया, उप श्रमायुक्त राजेश कुमार, जिला प्रोबेशन अधिकारी आजमगढ़ डीसी त्रिपाठी सहित अन्य मण्डलीय एवं तीनों जनपद के जनपदीय अधिकारी उपस्थित थे।