योगी आदित्यनाथ को क्या केशव प्रसाद मौर्य दे पाएंगे चुनौती

लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में 14 जुलाई को भारतीय जनता पार्टी की कार्यसमिति बैठक चल रही थी।भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की मौजूदगी में यूपी सरकार के दो शीर्ष नेताओं ने यूपी के अंदर भाजपा के ख़राब प्रदर्शन की अलग-अलग वजहें गिनवाईं।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अति आत्मविश्वास को यूपी में ख़राब प्रदर्शन का कारण बताया।दूसरी तरफ़ उपमुख्यमंत्री सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने संगठन के सरकार से बड़े होने की बात कही। सीएम योगी और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने यूपी में ख़राब प्रदर्शन के अलग-अलग कारण बताए,लेकिन केशव प्रसाद मौर्य के बयान को योगी सरकार के ख़िलाफ़ टिप्पणी के रूप में देखा गया।

केशव प्रसाद मौर्य कहना चाह रहे थे कि यूपी की योगी सरकार पार्टी से बड़ी हो गई है।दूसरी तरफ़ योगी के बयान को इस रूप में लिया गया कि केंद्रीय नेतृत्व अति आत्मविश्वास में था।इन दोनों के बयानों और अलग-अलग मुलाक़ातों के बाद यूपी में भाजपा को लेकर कई तरह के सवाल उठने लगे।

इन सवालों के केंद्र में हैं केशव प्रसाद मौर्य और योगी आदित्यनाथ

योगी आदित्यनाथ कभी कोई चुनाव नहीं हारे हैं।केशव मौर्य सिर्फ़ एक-एक बार विधानसभा और लोकसभा चुनाव जीते हैं।केशव वीएचपी,संघ की पृष्ठभूमि से आते हैं तो वहीं योगी आदित्यनाथ की पहचान आरएसएस के साये से अलग हिंदुत्व वाली राजनीति की रही है।योगी आदित्यनाथ 1998 में जब गोरखपुर लोकसभा क्षेत्र से सांसद चुने गए तो उनकी उम्र 26 साल हो रही थी।

कुछ तारीख़ों पर एक नज़र

यूपी में योगी आदित्यनाथ बनाम केशव प्रसाद मौर्य की जो अटकलें लगाई जा रही हैं,उसे समझने के लिए कुछ तारीख़ों पर गौर करते हैं।

4 जून 2024: लोकसभा चुनावी नतीजों में यूपी में भाजपा के हिस्से आईं 33 सीटें यानी 2019 की तुलना में 29 कम।

जून से जुलाई: यूपी में कई जगहों पर प्रशासन और भाजपा नेताओं के बीच विवाद और बहस होने की ख़बरें आईं।

14 जुलाई 2024: लखनऊ में भाजपा कार्यसमिति की बैठक हुई‌।

डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य बोले- संगठन, प्रदेश और देश के नेतृत्व के सामने कह रहा हूं- संगठन सरकार से बड़ा है। संगठन से बड़ा कोई नहीं होता है।

16 जुलाई 2024: दिल्ली में भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से केशव प्रसाद मौर्य और यूपी प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने मुलाक़ात की।

17 जुलाई 2024: केशव प्रसाद मौर्य एक बार फिर सोशल मीडिया पर कहते हैं- संगठन सरकार से बड़ा,कार्यकर्ताओं का दर्द मेरा दर्द है,संगठन से बड़ा कोई नहीं, कार्यकर्ता ही गौरव है।

17 जुलाई 2024:सीएम योगी ने राज्यपाल आनंदी बेन पटेल से मुलाकात की।राज्यपाल के दफ़्तर की ओर से तस्वीरें साझा कर कहा गया शिष्टाचार मुलाकात।

यूपी,योगी और अटकलें

बीते डेढ़ महीने में अलग-अलग तारीख़ों पर हुई इन मुलाक़ातों और बयानबाज़ी से अटकलें तेज़ हुई हैं।सवाल ये भी उठ रहा है कि क्या सीएम के तौर पर योगी आदित्यनाथ की कुर्सी सुरक्षित है।इस सवाल को सबसे पहले बड़े स्तर पर दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान उठाया था।केजरीवाल ने 11 मई 2024 को एक चुनावी सभा में कहा था कि अगर ये चुनाव जीत गए तो मेरे से लिखवा लो दो महीने के अंदर उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बदल देंगे ये लोग।योगी आदित्यनाथ की राजनीति ख़त्म करेंगे,उनको भी निपटा देंगे।ऐसे में भाजपा की अगुवाई में नरेंद्र मोदी के दोबारा सत्ता में आने और यूपी में भाजपा के ख़राब प्रदर्शन के बाद यही सवाल फिर उठने लगा है।भाजपा आलाकमान यूपी में पार्टी की बड़ी जीत न होने से नाराज़ है।कुछ लोग इसके लिए योगी आदित्यनाथ की तरफ़ इशारा करते हैं और कुछ शीर्ष नेतृत्व की तरफ़।केशव प्रसाद मौर्य के ताज़ा बयान और सक्रियता को विपक्षी नेता इसी कड़ी से जोड़कर देख रहे हैं।

अखिलेश ने क्या कहा और केशव ने क्या जवाब दिया

17 जुलाई को पूर्व सीएम समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने भाजपा सरकार को घेरने की कोशिश की।
अखिलेश यादव ने एक्स पर पोस्ट कर कहा कि बीजेपी में कुर्सी की लड़ाई की गर्मी में उत्तर प्रदेश में शासन-प्रशासन ठंडे बस्ते में चला गया है।तोड़फोड़ की राजनीति का जो काम बीजेपी दूसरे दलों में करती थी, अब वही काम वो अपने दल के अंदर कर रही है।इसीलिए बीजेपी अंदरूनी झगड़ों के दलदल में धंसती जा रही है,जनता के बारे में सोचने वाला बीजेपी में कोई नहीं है।अखिलेश के इस एक्स पोस्ट पर केशव प्रसाद मौर्य ने जवाब दिया।मौर्य ने एक्स पर पोस्ट कर कहा कि सपा बहादुर अखिलेश यादव जी,बीजेपी का देश और प्रदेश दोनों जगह मज़बूत संगठन और सरकार है।सपा का पीडीए धोखा है, यूपी में सपा के गुंडाराज की वापसी असंभव है,बीजेपी 2027 विधानसभा चुनाव में 2017 दोहराएगी।
इसके बाद 17 जुलाई की देर रात सपा मुखिया अखिलेश यादव ने एक बार फिर एक्स पर पोस्ट कर कहा कि लौटकर बुद्धू घर को आए। 18 जुलाई की सुबह अखिलेश यादव ने फिर एक्स पर पोस्ट कर कहा कि मानसून ऑफ़र:सौ लाओ, सरकार बनाओ।

योगी पर बढ़ते अपनों के हमले

योगी की कार्यशैली पर सवाल उठाने वालों में निषाद पार्टी के मुखिया संजय निषाद भी शामिल रहे। 16 जुलाई को संजय निषाद ने कहा कि बुलडोज़र माफिया के ख़िलाफ़ इस्तेमाल होना चाहिए।अगर ये बेघर और ग़रीब लोगों के ख़िलाफ़ इस्तेमाल होगा तो एकजुट होकर ये लोग हमें चुनाव में हरवा देंगे।योगी आदित्यनाथ की राजनीति में बुलडोज़र की ख़ास अहमियत है।चुनाव प्रचार के दौरान योगी की रैलियों में कई जगहों पर बुलडोजर भी खड़े किए गए थे।योगी सरकार के दौरान कई जगहों पर बुलडोज़र से कार्रवाई की गई और लोगों के घर गिराए गए।इससे पहले भाजपा की सहयोगी अपना दल (सोनेलाल) की नेता और एनडीए सरकार में मंत्री अनुप्रिया पटेल ने भी योगी आदित्यनाथ से अपनी शिकायत सार्वजनिक की थी।अनुप्रिया ने योगी को चिट्ठी लिखकर कहा था कि सरकार अनुसूचित जाति,अनुसूचित जनजाति और पिछड़े लोगों को रोज़गार देने के मामले में भेदभाव कर रही है।अनुप्रिया की इस चिट्ठी के बाद कुछ जानकारों ने कहा था कि ये योगी आदित्यनाथ के ख़िलाफ़ ज़मीन तैयार की जा रही है।अनुप्रिया,संजय निषाद और केशव प्रसाद मौर्य तीनों ओबीसी नेता हैं।दूसरी तरफ़ योगी आदित्यनाथ हैं,जिन पर अगड़ी माने जाने वाली जातियों के नेता के तौर पर देखा जाता है।

योगी बनाम केशव प्रसाद मौर्य

सवाल ये है कि कुछ जानकार योगी बनाम केशव की जो सियासी लड़ाई देख रहे हैं, वो आंकड़ों और अतीत में कैसी रही है।इसे समझने के लिए योगी आदित्यनाथ की चुनावी राजनीति को समझना अहम रहेगा। 2024 लोकसभा चुनाव में भाजपा भले ही यूपी में पहले के मुकाबले अच्छा प्रदर्शन न कर पाई हो, लेकिन योगी आदित्यनाथ अपने गढ़ गोरखपुर के आस-पास की सीटें बचाने में सफल रहे।भाजपा गोरखपुर, महाराजगंज,देवरिया,कुशीनगर और बांसगांव सीटें जीतने में सफल रही।वहीं कौशांबी,प्रयागराज,प्रतापगढ़ में भाजपा को हार मिली। इन तीनों सीटों पर केशव प्रसाद मौर्य का असर माना जा रहा था। भाजपा केशव प्रसाद मौर्य को पार्टी के ओबीसी चेहरे के तौर पर पेश करती रही है,लेकिन लोग चुनाव में मौर्य पार्टी को वो सफलता नहीं दिलवा पाए,जिसकी उम्मीद भाजपा को थी।

भाजपा में केशव प्रसाद मौर्य की हैसियत

यूपी और भाजपा में केशव प्रसाद मौर्य की राजनीतिक हैसियत को इन कुछ सालों की क्रोनोलॉजी से समझा जा सकता है। 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में केशव प्रसाद मौर्य सिराथू सीट से हार गए थे।इस चुनावी हार के बाद माना जा रहा था कि केशव प्रसाद मौर्य को योगी आदित्यनाथ की सरकार में जगह नहीं मिलेगी,लेकिन ऐसा नहीं हुआ।केशव प्रसाद मौर्य उपमुख्यमंत्री बनाए गए।केशव प्रसाद मौर्य को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का क़रीबी माना जाता है,जबकि योगी को अमित शाह के विरोधी के रूप में पेश किया जाता है।
केशव प्रसाद मौर्य यूपी में चार बार विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं, लेकिन सिर्फ़ साल 2012 में वो विधायकी का चुनाव जीत पाए थे। 2014 में केशव प्रसाद मौर्य फूलपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़े थे और तीन लाख से ज़्यादा वोटों से ऐतिहासिक जीत हासिल की थी।इस सीट पर भाजपा पहली बार जीत सकी थी।फूलपुर सीट पर भाजपा की ये जीत इतनी अहम रही कि केशव प्रसाद मौर्य को जल्द यूपी का प्रदेश अध्यक्ष बना दिया गया।फिर हुआ 2017 विधानसभा चुनाव और यूपी में भाजपा की सरकार बन गई।केशव प्रसाद मौर्य तब सीएम पद की रेस में थे,लेकिन कमान योगी आदित्यनाथ को मिली।योगी सरकार बनने के बाद केशव प्रसाद मौर्य के पास पहले पीडब्ल्यूडी मंत्रालय था,लेकिन 2022 में केशव से ये मंत्रालय छिन गया।योगी आदित्यनाथ और केशव प्रसाद मौर्य के बीच मतभेद की एक वजह इसे भी बताया जाता है।इससे पहले 2017 में केशव प्रसाद मौर्य को राज्य सचिवालय की एनेक्स बिल्डिंग में 5वें फ्लोर से अलग शिफ़्ट होने के लिए कहा गया था।यह बिल्डिंग यूपी सरकार की सत्ता का केंद्र है।

केशव प्रसाद मौर्य भाजपा के लिए अहम क्यों

केशव प्रसाद मौर्य शुरुआती दिनों में आरएसएस और वीएचपी से जुड़े रहे। केशव प्रसाद मौर्य आरएसएस-भाजपा का मौर्य चेहरा हैं। केशव प्रसाद मौर्य हिन्दुत्व की राजनीति में भाजपा की उस रणनीति का हिस्सा हैं,जिसमें ग़ैर-यादव ओबीसी समुदाय को साधने की कोशिश की जा रही है।केशव प्रसाद मौर्य दावा करते हैं कि वो बचपन में चाय और अख़बार बेचते थे। भाजपा पीएम मोदी की तरह केशव प्रसाद मौर्य की ओबीसी पहचान को प्रमुखता से बताती है।केशव मौर्य गोरक्षा अभियान में भी काफ़ी सक्रिय रहे और राम जन्मभूमि आंदोलन में भी शामिल थे। भाजपा के भीतर केशव प्रसाद मौर्य क्षेत्रीय सम्न्वयक,पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ और किसान मोर्चा के अध्यक्ष भी रहे। 2017 में यूपी विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले केशव प्रसाद मौर्य को यूपी भाजपा अध्यक्ष बनाया गया। केशव प्रसाद मौर्य को भाजपा की कमान सौंपने के पीछे का मक़सद ग़ैर-यादव ओबीसी वोटरों को आकर्षित करना था।केशव प्रसाद मौर्य की जाति पूरे यूपी में है।इस जाति की पहचान अलग-अलग नामों से है।जैसे- मौर्य,मोराओ, कुशवाहा,शाक्य,कोइरी,काछी और सैनी।ये सभी मिलाकर यूपी की कुल आबादी में 8.5 फ़ीसदी हैं।

भाजपा योगी और मौर्य पर क्या सोच रही है

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, यूपी भाजपा अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य की ताज़ा मुलाक़ात को लेकर अब आगे क्या होगा।द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक़ इन नेताओं की बैठक में मौजूद एक नेता ने बताया कि यूपी के नेताओं ने योगी आदित्यनाथ के काम करने के तरीके की आलोचना की है।इसमें योगी के विधायकों, कार्यकर्ताओं और नेताओं की तुलना में अफसरों पर ज़्यादा निर्भर रहने की बात भी की गई।सूत्रों ने द हिंदू को बताया कि पार्टी नेतृत्व में इन नेताओं की बात सुनी और 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने की तरफ़ ध्यान दिलाया।ये चुनाव अगस्त में होने हैं और तब तक किसी बदलाव की उम्मीद कम ही है।अखबार ये भी लिखता है कि योगी आदित्यनाथ के अति आत्मविश्वास वाली बात के मद्देनजर दस विधानसभा में होने वाले उपचुनाव में योगी को खुली छूट दी जा सकती है ताकि ये देखा जा सके कि वो क्या कर सकते हैं।यूपी सीएम के समर्थक एक विधायक ने योगी आदित्यनाथ के बारे में द हिंदू से कहा कि टिकट का फ़ैसला बाबा करते हैं क्या।

बता दें कि यूपी में 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं।इन 10 में से नौ सीटें विधायकों के लोकसभा चुनाव में लड़ने और जीतने के बाद ख़ाली हुई हैं।एक सीट सीसामऊ से सपा विधायक रहे इरफ़ान सोलंकी को एक क्रिमिनल केस में दोषी क़रार दिए जाने के बाद ख़ाली हुई थी।इन उपचुनाव की तारीख़ों का ऐलान चुनाव आयोग ने अभी नहीं किया है,लेकिन सपा और कांग्रेस ने ऐलान किया है कि वो इंडिया गठबंधन के तहत मैदान में उतरेंगे। भाजपा की अगुवाई में एनडीए ने भी तैयारी शुरू कर दी है।इन 10 विधानसभा सीटों में से पांच में सपा को 2022 में जीत मिली थी।एक सीट तब सपा के साथ गठबंधन में रही राष्ट्रीय लोक दल ने जीती थी।अब ये आरएलडी भाजपा के साथ है।तीन सीट भाजपा और एक सीट निषाद पार्टी ने जीती थीं।यूपी की जिन 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं, वो फूलपुर,कटेहरी,करहल,मिल्कीपुर,मीरापुर, ग़ाज़ियाबाद,मझवां,सीसामऊ,खैर और कुंदरकी है।

Leave a Reply

error: Content is protected !!