जनपद भदोही में वरिष्ठ पत्रकार फारूकी की पत्नी का देहांत होने से लोगों में शोक की लहर

एजाज़ अहमद, ब्यूरो चीफ- न्यूजलाईन नेटवर्क, भदोही

सब से पहले पूरे समाज की तरफ से फारुकी साहब की पत्नी को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं
और इसके पहले भदोही जिलाधिकारी श्री गौरंग राठी महोदय प्रशासन के अन्य अधिकारीगण सुचना विभाग के पंकज जी के इलावा उनके सभी कर्मचारीगण भारी भरकम राजनेता सपा के जाहिद बेग साहब के साथ साथ कांग्रेस के माबूद साहब और बीजेपी के कई बड़े राजनेता के इलावा पत्रकारों में आफताब अंसारी एजाज अंसारी अनीस जी गंगाधर तिलक आज़ाद बापू के इलावा
और कई बड़े हाफिज मौलाना और कई बड़े छोटे व्यापारी भी उनके इस दुख में दुख जताया और इनमे से खाई लोग मिट्टी में शिरकत की

दुनिया से विदा लेने के 2 दिन पहले पत्रकार की पत्नी ने अपने पति से टूटे हुए अल्फाजों में कुछ शब्द अपनी आप बीती जिंदगी के बारे में कविता के रूप में पिरोकर रख दिया
पढ़ने वालों को एक पत्रकार की आप बीती जिंदगी और उसके परिवार के ऊपर अपनी बीती हुई का आइना दिखाती है
पत्रकार अपना सब कुछ उस समाज के न्याय हित की रक्षा हेतु शासन प्रशासन के बहादुरी तथा विकास के कारनामे लिखते लिखते अपनी कलम की स्याही के साथ साथ अपनी और अपने परिवार की जिंदगी का डोर भी धीरे धीरे छोड़ देता है और उस पत्रकार को इन सब लोगों से मिलता क्या है सिर्फ ईमानदारी के नाम पर एक तमगा जो लोग संबोधित करते है
गोदी मीडिया बिकाऊ मीडिया
या की पत्रकार की ईमानदारी में दूसरा तमगा
मुकदमा
यही होती है एक पत्रकार की पूरी जिंदगी की खुद कमाई
बाद मरने के बाकी रहती है सिर्फ उसकी यादें
आइए समझते है एक सच्ची घटना से को कड़वा सच तो है पर हम सब के दिल को झकझोर कर रख देगी ये सच्ची घटना

मेरे मरने के बाद मेरी कहानी लिखना
एक पत्रकार के पत्नी के देहांत से 2 दिन पहले के अल्फाज़

मेरे मरने के बाद मेरी कहानी लिखना
कैसे बर्बाद हुई अपनी जुबानी लिखना
लिखना मेरी ज़िंदगी कैसे तरसी तुम्हारे लिए
जितना बरसा उतना मेरी आंखों का पानी लिखना

मेरे मरने के बाद मेरी कहानी लिखना….

लिखना
कैसे टूटा मेरा हर सपना, जितनी मरी
मेरी ख्वाहिशें
सबके अस्तित्व की रवानी लिखना

मेरे मरने के बाद मेरी कहानी लिखना

लिखना मेरा इंतज़ार तो बहुत था उसे, आख़िरी सांसों में भी दरवाज़े पर टिकी मेरी निगाहें लिखना

मेरे मरने के बाद मेरी कहानी लिखना

लिखना
एक ज़िक्र जाहिर सा करके,बता कर
मेरे इश्क़ को पागलपन
मुझे खुद की दीवानी लिखना

मेरे मरने के बाद मेरी कहानी लिखना

और हां ये भी लिखना मरते हुए भी दे रही थी दुआ मुझको,
जब कफ़न हटा के देखा तो
होठों पर थी मुस्कान ये निशानी लिखना

मेरे मरने के बाद मेरी कहानी लिखना

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