रिपोर्ट – मोनीश ज़ीशान
न्यूज़लाइन नेटवर्क :
बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को सोमवार (5 अगस्त) को देश छोड़ने के लिए सिर्फ़ 45 मिनट का समय दिया गया था. ये वो समय है जो सेना ने उन्हें दोपहर में दिया और उसके बाद कह दिया कि देश छोड़कर चली जाइए. इस दौरान शेख़ हसीना अपने साथ कुछ नहीं ले जा सकती है. हालांकि, उनका परिवार पहले ही बांग्लादेश से बाहर रह रहा था, क्योंकि बांग्लादेश में जिस तरह से गतिविधियां बढ़ रही थी स्थिति नियंत्रण के बाहर जाती दिख रही थी.
सूत्रों के मुताबिक, देश छोड़ने से पहले शेख़ हसीना राष्ट्र के नाम वीडियो संदेश देना चाहती थी. लेकिन बांग्लादेश सेना ने उसकी भी इजाज़त नहीं दी. शेख़ हसीना ने अपनी ये वीडियो के लिए एक चिट्ठी के तौर पर लिख कर रखी थी, लेकिन सेना के अधिकारियों ने वो चिट्ठी को पढ़ने और वीडियो बनाने की भी अनुमति नहीं दी.
शेख हसीना देश के नाम देना चाहती थी अपना संदेश।
पूर्व पीएम शेख़ हसीना अपने देश को संबोधित करना चाहती थी और बताना चाहती थी कि वो क्या सोच रही है और अपने देश में शांति बहाल करने के लिए क्या क़दम उठा रही हैं. दरअसल, बांग्लादेश सेना में दो गुट हो गये थे. सेना के बड़े अधिकारी शेख़ हसीना के पक्ष में थे. लेकिन सेना के जूनियर अधिकारी और आर्मी के 60 रिटायर्ड अफ़सर शेख़ हसीना के ख़िलाफ़ थे. कल दोपहर 1 बजे के आस पास सेना की नेशनल सिक्यॉरिटी काउंसिल की एक बैठक भी हुई.
लॉन्ग मार्च के दौरान सेना ने छात्रों को ढाका आने से नहीं रोका
इस बैठक के बाद बांग्लादेश सेना की ओर से शेख़ हसीना को बता दिया गया कि पांच मार्च को छात्रों के लॉन्ग मार्च के दौरान सेना की ओर से उन्हें नहीं रोका जाएगा. ऐसे में सोमवार (5 अगस्त) को सुबह 9 बजे तक स्थिति ठीक थी. लेकिन 9 बजे के बाद ग़ाज़ीपुर सीमा से ढाका में हज़ारों की संख्या में छात्रों का दल लॉन्ग मार्च करते हुए ढाका में प्रवेश कर गया. इसी के बाद जब हालत बिगड़ने लगे तो सेना की ओर से शेख़ हसीना को देश छोड़ने के लिए 45 मिनट का समय दिया गया.