मनीष सिसोदिया को जमानत मिलने पर संजय सिंह ने इसे “सत्य की जीत” करार दिया। उन्होंने कहा, “जैसा कि मैंने पहले कहा था, इस मामले में कोई ठोस साक्ष्य नहीं है। हमारे नेताओं को बेवजह जेल में डाला गया। मनीष सिसोदिया को 17 महीने तक जेल में रखा गया। मैं सुप्रीम कोर्ट का धन्यवाद करता हूं कि हमें न्याय मिला और फैसला AAP के पक्ष में आया। हर कार्यकर्ता इस निर्णय से उत्साहित है। मैं भगवान से प्रार्थना करता हूं कि अरविंद केजरीवाल और सत्येंद्र जैन भी जल्द ही जेल से बाहर आएं। यह फैसला केंद्र सरकार की तानाशाही के खिलाफ एक करारा जवाब है।”
दिल्ली की शराब नीति मामले में मनीष सिसोदिया को आखिरकार जमानत मिल गई है। लगभग 16 महीने बाद वह जेल से बाहर आने वाले हैं। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें 10-10 लाख रुपये के दो मुचलकों पर जमानत दी है। कोर्ट ने उन्हें पासपोर्ट सरेंडर करने, हर सोमवार को जांच अधिकारी के सामने पेश होने और गवाहों को प्रभावित न करने की शर्त पर रिहाई दी है।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट किया कि बेल को नियम और जेल को अपवाद माना जाना चाहिए, और इस मामले में न्यायिक प्रक्रिया को सजा का स्वरूप नहीं दिया जा सकता। कोर्ट ने कहा कि सिसोदिया का समाज में मजबूत आधार है और उनके फरार होने का कोई खतरा नहीं है। इसलिए, निचली अदालत जमानत की शर्तें तय कर सकती है, ताकि सबूतों को मिटाने की किसी भी संभावना को रोका जा सके।
सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि ईडी के वकील ने 3 जुलाई तक जांच पूरी करने की बात कही थी, लेकिन यह समय सीमा पहले बताई गई अक्टूबर 2023 की 6-8 महीने की सीमा से परे है। इस देरी के चलते निचली अदालत में मुकदमे की शुरुआत ही नहीं हो सकी। कोर्ट ने कहा कि व्यक्तिगत स्वतंत्रता मौलिक अधिकार है और इसे उचित कारण के बिना छीना नहीं जा सकता।
मनीष सिसोदिया के मामले में हुई देरी का जिक्र करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पीएमएलए सेक्शन 45 में दी गई सख्त शर्तों में रियायत मांगी गई थी। ईडी ने आरोप लगाया था कि सिसोदिया खुद मुकदमे में देरी के लिए जिम्मेदार हैं और उन्होंने सैकड़ों आवेदन दाखिल किए हैं। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि रिकॉर्ड यह नहीं दिखाते। इसलिए, कोर्ट ने निचली अदालत और हाईकोर्ट के उन निष्कर्षों से असहमति जताई कि देरी के लिए सिसोदिया जिम्मेदार हैं और कहा कि उन्हें दस्तावेज देखने का अधिकार है।