आईए, उन सभी को याद करें जिन शिक्षकों ने काँकेर का नाम रोशन किया

काँकेर । शहर तथा ज़िला काँकेर के अनेक पूर्व शिक्षकों के नाम शिक्षक दिवस के अवसर पर याद किए जाते हैं,जिन्होंने अपने समय में अपनी बहुमूल्य सेवाओं के द्वारा इस अंचल का नाम सारे देश प्रदेश में रोशन कर दिया था। इनमें सर्वोपरि नाम है स्वर्गीय आचार्य पदुमलाल पुन्नालाल बख्शीजी का ,जो काँकेर के रियासत कालीन स्कूल क्राफ़र्ड हाई स्कूल के शिक्षक थे। बख्शी जी ने लगभग तीन वर्षों तक रियासत में शिक्षक के तौर पर अपनी सेवाएं प्रदान की थीं। वे राजापारा के ऐतिहासिक राजमहल में ही रहते थे और उन्होंने उस ज़माने में पंडित दाऊलाल शर्मा तथा पंडित विष्णु प्रसाद शर्मा को भी ट्यूशन पढ़ाया था। इसमें विष्णु महाराज आगे चलकर 1942 के आंदोलन में छात्र नेता बनकर अंग्रेजों द्वारा प्रताड़ित भी हुए। उन्हें सन् 2009 में प्रदेश सरकार द्वारा स्वाधीनता सेनानी का दर्जा प्रदान किया गया। विष्णु महाराज शिक्षक तो नहीं थे लेकिन अंचल में शिक्षा का दीप जलाने वाली बस्तर शिक्षा समिति के उपाध्यक्ष तथा अध्यक्ष पद पर लंबे अरसे तक थे । आज उनके नाम पर काँकेर में पंडित विष्णु प्रसाद शर्मा उच्चतर माध्यमिक विद्यालय भी है। दीवान दुर्गा प्रसाद तिवारी काँकेर में राजा कोमल देव के शिक्षक के तौर पर ही आए थे और आगे चलकर अपनी योग्यता के बल पर उन्होंने दीवान पद प्राप्त किया था। राजगुरु पंडित रोमनाथ शर्मा तत्कालीन नाबालिग़ राजा भानु प्रताप देव के शिक्षक थे। रियासत कालीन शिक्षकों में देवेंद्र नाथ सान्याल तथा नूर अली खान ने भी बहुत नाम कमाया था। इन दोनों की अगली पीढ़ियों में धीरेश सान्याल, अशरफ़ अली, सरवर अली खान, नवाब अली खान भी लोकप्रिय शिक्षक रहे। निहाल सिंह ठाकुर भी लोकप्रिय शिक्षक थे, जिनके पुत्रों ने भी शिक्षक बनना ही पसंद किया था। धमतरी के प्रसिद्ध साहित्यकार त्रिभुवन पांडे भी कुछ वर्षों तक काँकेर में शिक्षक थे।

सुरेश चंद श्रीवास्तव

साहित्यकार शिक्षकों में बहादुर लाल तिवारी, सुरेश श्रीवास्तव, अनुपम जोफ़र के नाम उल्लेखनीय हैं। राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त करने वाले काँकेर के प्रथम शिक्षक भानुप्रतापसिंह ठाकुर थे। उनके पश्चात अनेक शिक्षकों ने राष्ट्रपति तथा राज्यपाल सम्मान प्राप्त किये तथा क्षेत्र का नाम ऊंचा किया। रफ़ीक़ गुरुजी जैसे कुछ शिक्षकों ने खेल के क्षेत्र में भी नाम कमाया। बी आर कौशिक, शेख़ नादिर ,उदयसिंह ठाकुर, नरेंद्र सिंह ठाकुर ,गिरीश ठाकुर आदि शिक्षकों ने भी खेल के क्षेत्र में अपने शहर के झंडे देश- प्रदेश स्तर पर गाड़े। शिक्षक रूपनारायण सिंह ठाकुर उर्फ़ रघुनंदन गुरुजी रिटायर होने के पश्चात अपने घर पर बच्चों को संगीत की शिक्षा दिया करते थे । श्रीमती अनुराग चौहान गायिका संगीत शिक्षिका हैं, जिनकी सराहना स्वयं लता मंगेशकर ने की थी। उनके मामाजी प्रोफेसर दिनेश कुमार सिंह ठाकुर साहित्यकार तो थे ही, संगीत पर ळभी उनकी अच्छी पकड़ थी । अशरफ़ गुरुजी ऑलराउंडर कहे जाते थे, जो प्राथमिक शाला के शिक्षक होने के अलावा संगीत कार, साहित्यकार, क्रिकेटर, मूर्ति कार, चित्रकार एवं काष्ठ शिल्पी भी थे। काँकेर के रियासत कालीन सिविल सर्जन डॉक्टर राखाल दत्तराय के परिवार के अधिकतर महिला /पुरुष सदस्यों ने शिक्षक बनना ही पसंद किया। इनमें नृपेंद्र दत्तराय, सुखेंद्र दत्त राय ,प्रदीप दत्त राय, विभा रानी आदि ने बहुत नाम कमाया । दत्त राय परिवार शिक्षा के अलावा संगीत क्षेत्र से भी जुड़ा हुआ है। इस परिवार के पितामह डॉक्टर राखाल दत्त राय के अलावा शिक्षक की भूमिका निभाकर जीवन व्यतीत करने वाले सदस्यों को आज भी काँकेर वासी श्रद्धापूर्वक याद करते हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविंद नेताम भी जगदलपुर में 5 वर्षों तक शिक्षक थे और फुटबॉल के गोलकीपर के रूप में काँकेर टीम की ओर से अखिल भारतीय स्तर पर खेले भी थे। स्वर्गीय प्राचार्य सारंगधर झा एवं अब्दुल अज़ीज़ खान ,पेंशनर्स यूनियन के संस्थापक तथा संरक्षक भी रहे। इनमें झा साहब ने ग्रामीण क्षेत्रों में निशुल्क होम्योपैथिक दवाइयां देकर बहुत यश प्राप्त किया। प्राचार्य डीपी तिवारी, प्राचार्य रवि शंकर दत्त, प्राचार्य बीएल झा, एडीआईएस प्रधान पाठक रामसेवक रजक खेल प्रशिक्षक गुरु प्रसाद शर्मा तथा डॉक्टर कृष्णमूर्ति शर्मा , पूर्व में राज्यपाल सम्मान प्राप्त शिक्षक मोहन सेनापति अवकाश ग्रहण कर योग- शिक्षक हो गए हैं और घर पर ही नई पीढ़ी को योग की नि:शुल्क शिक्षा एवं प्रत्यक्ष प्रशिक्षण प्रदान कर रहे हैं । उन्हें बिहार के मुंगेर स्थित योग विश्वविद्यालय में सम्मानित किया गया है और “योग कृपा” की उपाधि भी प्रदान की गई है। प्रोफेसर अब्दुल शकूर जाने माने अर्थशास्त्री थे, जिन्हें जर्मनी तथा युगोस्लाविया देश ने फैलोशिप प्रदान करने का ऑफर दिया था किंतु पारिवारिक परिस्थितियों के कारण शकूर सर यूरोप नहीं जा सके। उपर्युक्त नामों के अलावा अन्य अनेक शिक्षक हैं, जिन्होंने काँकेर शहर तथा जिले का नाम रोशन किया। शिक्षक दिवस के पवित्र अवसर पर हम इन सभी का स्मरण श्रद्धापूर्वक कर रहे हैं।

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