तिरुपति मंदिर के प्रसाद में चौंकाने वाला खुलासा: फिश ऑयल और बीफ की चर्बी मिली, जानें पूरा मामला!

तिरुपति मंदिर के प्रसाद में फिश ऑयल की पुष्टि: विवाद और जांच की मांग

तिरुपति मंदिर के प्रसाद में मछली के तेल (फिश ऑयल) की मौजूदगी की पुष्टि हो गई है, जिससे धार्मिक और राजनीतिक हलकों में बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) की ओर से भेजे गए प्रसाद के नमूनों की जांच रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है कि प्रसाद में मछली का तेल मिलाया गया था। इस रिपोर्ट के आने के बाद मंदिर प्रशासन और राज्य सरकार पर सवाल उठाए जा रहे हैं।

लड्डुओं के नमूनों की जांच

तिरुपति मंदिर के विश्व प्रसिद्ध लड्डू, जिसे प्रसाद के रूप में श्रद्धालुओं को वितरित किया जाता है, की जांच के लिए नमूने गुजरात स्थित राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) की प्रयोगशाला में भेजे गए थे। रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि लड्डू के घी में मछली के तेल और अन्य पशु वसा, जैसे कि बीफ टैलो (गोमांस की चर्बी) और लार्ड (सूअर की चर्बी) की मौजूदगी पाई गई है। यह रिपोर्ट 16 जुलाई 2024 को जारी की गई, जबकि नमूने 9 जुलाई 2024 को भेजे गए थे।

विवाद की शुरुआत

तिरुपति लड्डू की शुद्धता को लेकर पहले से ही सवाल उठाए जा रहे थे। जब इस प्रसाद में घटिया सामग्री और पशु वसा के उपयोग के आरोप सामने आए, तब से यह मुद्दा और गरमा गया। खासतौर पर जब तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) के प्रवक्ता अनम वेंकट रमना रेड्डी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में लैब रिपोर्ट दिखाते हुए बताया कि तिरुपति लड्डू के घी में बीफ टैलो और लार्ड जैसी सामग्री पाई गई है।

प्रवक्ता ने कहा, “यह रिपोर्ट प्रमाणित करती है कि तिरुमाला को आपूर्ति किए गए घी को तैयार करने में न सिर्फ जानवरों की चर्बी का इस्तेमाल किया गया, बल्कि इसमें मछली का तेल भी मिलाया गया था। इस प्रकार के मिलावट से न सिर्फ धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंची है, बल्कि श्रद्धालुओं की आस्था पर भी सवाल खड़े हो गए हैं।”

मुख्यमंत्री और वीएचपी की प्रतिक्रिया

इस विवाद को लेकर आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने भी चिंता जताई है। उन्होंने आरोप लगाया कि तिरुपति मंदिर के प्रसाद में जानवरों की चर्बी मिलाई गई है, जो कि भक्तों की धार्मिक आस्थाओं के साथ खिलवाड़ है। नायडू के आरोपों के बाद इस मुद्दे ने और तूल पकड़ लिया।

विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) ने भी इस मामले पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। वीएचपी ने कहा, “यह धार्मिक विश्वास के साथ गंभीर धोखाधड़ी है, और इसमें शामिल लोगों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। प्रसाद में ऐसी सामग्री का इस्तेमाल करना किसी भी प्रकार से स्वीकार्य नहीं है।”

सीबीआई जांच की मांग

इस पूरे विवाद को और बढ़ाते हुए वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी की बहन और राज्य कांग्रेस प्रमुख वाईएस शर्मिला ने भी इस मामले की सीबीआई जांच की मांग की है। उन्होंने कहा, “तिरुपति मंदिर के प्रसाद में इस प्रकार की मिलावट बेहद गंभीर मामला है। सीबीआई जैसी स्वतंत्र एजेंसी से इसकी गहराई से जांच करवाई जानी चाहिए ताकि सच्चाई सामने आ सके।”

शर्मिला ने आगे कहा कि इस प्रकार के मामले में सिर्फ आरोपों के आधार पर किसी नतीजे पर पहुंचना उचित नहीं होगा। इसलिए, निष्पक्ष जांच करवाई जानी चाहिए ताकि तिरुपति मंदिर के प्रसाद की शुद्धता को सुनिश्चित किया जा सके और दोषियों को सजा मिल सके।

धार्मिक और राजनीतिक विवाद

तिरुपति मंदिर दक्षिण भारत का एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है, जहां हर साल लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। तिरुपति लड्डू, जो यहां का प्रसाद होता है, भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है। ऐसे में इस प्रकार के आरोपों ने न केवल धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई है, बल्कि राजनीतिक स्तर पर भी आरोप-प्रत्यारोप शुरू हो गए हैं।

इस विवाद के चलते राज्य की राजनीति में भी हलचल मच गई है, और सत्तारूढ़ टीडीपी और विपक्षी दल वाईएसआरसीपी के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल रहा है। टीडीपी जहां प्रसाद में मिलावट की पुष्टि की बात कह रही है, वहीं विपक्ष इसकी निष्पक्ष जांच की मांग कर रहा है।

तिरुपति मंदिर के प्रसाद में फिश ऑयल और अन्य पशु वसा की पुष्टि ने एक गंभीर धार्मिक और राजनीतिक विवाद को जन्म दे दिया है। भक्तों की आस्था के साथ इस प्रकार का खिलवाड़ न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से निंदनीय है, बल्कि प्रशासनिक जिम्मेदारी पर भी सवाल उठाता है। अब देखना यह होगा कि इस मामले की जांच किस दिशा में जाती है और दोषियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की जाती है।

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