दीनदयाल धाम में आयोजित हुआ राष्ट्रीय कवि सम्मेलन
दूर दराज से आए कवियों ने बांधा समा
दीनदयाल धाम में बीती रात श्रोता ठहाके लगाते रहे। तालियों की गड़गड़ाहट से पंडाल गूंजता रहा। मौका था संस्कृति विभाग के तत्वावधान में आयोजित राष्ट्रीय कवि सम्मेलन का।
शुरुआत भिंड से आए प्रतीक सिंह की कविता ,मैया मन देवालय कर दो से हुई। तत्पश्चात रोहित प्रताप ने कुछ यूं काव्य पाठ किया..जिसे पाना चाहा…। राजस्थान से पधारे पार्थ नवीन की कविता..मैने उसे मुहल्ले की बुआ बना दिया…का पाठ किया। सचिन दीक्षित ने …अमर तिरंगा हर बार दिल में रहे…काव्य पाठ कर वीर रस से श्रोताओं में जोश भर दिया।
मुकेश शांडिल्य ने भीं अपने काव्य पाठ से लोगों को गुदगुदाया। दौसा से आई सपना सोनी ने ..तुम्हारे शहर में अपने महकते गीत लाई हूं गाकर श्रोताओं को तालियां बटोरी। अजय अनजान ने राणा प्रताप अकबर के बीच युद्व का मार्मिक काव्य सुनाया तो तालियों की गड़गड़ाहट से मैदान गूंज उठा। भोपाल से आए दीपक दनादन ने दनादन काव्य पाठ किया और लोगों को तालियां बजाने पर मजबूर कर दिया।मनवीर मधुर ने सदियों का संघर्ष रहा है,तब मंगल दिन आया है.. पाठ सुनाकर वीरता के गीत गाए। प्रसिद्ध कवि विष्णु सक्सेना ने पत्थर दिल तो तुमने कह दिया ,पत्थरों पर लिखोगे तो मिटेगा नहीं….काव्यपाठ कर सभी को वाह वाह करने पर मजबूर कर दिया। रात के सन्नाटे में कवियों के रोमांचित कर देने वाले पाठ से तालियों की गड़गड़ाहट को थमने नहीं दिया। कार्यक्रम से पूर्व पंडित दीनदयाल की प्रतिमा पर पूर्व ऊर्जा मंत्री रविकांत गर्ग, मेला समित अध्यक्ष सोहना लाल, कोषाध्यक्ष नरेंद्र पाठक आदि ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम की शुरुआत की। इस मौके पर संयोजक जगमोहन पाठक ने सभी का पटुका पहनाकर स्वागत किया।