वेद लक्ष्यणा गाय चलता फिरता कल्प वृक्ष है : मलूक पीठाधीश्वर

माताजी गौशाला में कथा श्रवण करने पहुंचे बज के प्रतिष्ठित

राजकुमार गुप्ता ब्यूरो चीफ मथुरा

मथुरा।बरसाना। राधा रानी की क्रीड़ास्थली मैं चल रही नौ दिवसीय गो भक्तमाल कथा के चौथे दिन व्यासपीठ से मलूक पीठाधीश्वर डॉक्टर राजेंद्र दास महाराज ने गौ माता की महिमा का विभिन्न ग्रंथो और वेदों के आधार पर बड़ा सरस् वर्णन किया। महाराज जी ने बताया कि युगल स्वरूप श्री राधाकृष्ण का प्रेम पुंज ही गौमाता के रूप में प्रकट हुआ है। उन्होंने कहा कि जिस घर में वेद लक्षणा भारतीय नस्ल की एक गाय है समझो वहां चलता फिरता कल्पवृक्ष उपस्थित है।

रविवार को चतुर्थ दिवस की कथा श्रवण करने के लिए वृंदावन से पीपा पीठाधीश्वर बलराम दास महाराज, नाथद्वारा se सगरिया बाबा,जाटेरी धाम से बिपिन विहारी बाबा, अक्षय पात्र से अनंतवीर्य दास पहुंचे। सभी ने रमेश बाबा और व्यासपीठ पर विराजमान डॉ राजेंद्र दास महाराज का पटुका पहना कर सम्मानित किया, वहीं माताजी गौशाला के महंत ब्रजशरण महाराज व नृसिंह दास बाबा ने सभी अतिथियों का श्रीजी की चुनरी ओढ़ा कर स्वागत किया।

गो भक्तमाल कथा के मध्य महाराज जी ने व्यासपीठ से गौमाता की अनंत महिमा का वर्णन करते हुआ कहा कि गाय प्राण तत्व से उत्पन्न हुई है, सारे संसार का प्राण गौमाता ही है।गाय का नाम ही अग्निहोत्र यानि यज्ञ है।गाय अमृत मयी है। अमृत कि सुगंध से गौमाता प्रकट हुई है। इतना ही नहीं ब्रह्मा जी ने मनुष्य को गाय के रूप में अमृत सुलभ कराया है।
कथा में विशेष रूप से गोविन्द बल्लभ दास जी, बिहारी दास महाराज टटिया स्थान,श्रीनारायण उपाध्याय, रमेश चंद्र गोस्वामी नंदगांव, नंदकुमार गोस्वामी, राधाकांत शास्त्री, गोपेश बाबा, माधवी शरण बाबा, सुनील सिंह उपस्थित रहे।

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