संवाददाता- कोन
कोन/सोनभद्र। विकास खण्ड कोन के मिश्री, बहुआरा रामगढ़, कचनरवा, पीपरखाड़, केवाल, असनाबांध आदि जगहों के साथ पंडा नदी/हर्दिया नदी पर छठ के महापर्व में चार दिन पहले से चल रहे आस्था के महापर्व छठ ब्रत का समापन किया गया। पंडा नदी छठ घाट व बड़ाप के हर्दिया नदी छठ घाट पर बड़ी संख्या में वृत्तियो और श्रद्धालुओं ने सूर्य देव को अर्घ्य दिया और छठी मैया से अपनी मनोकामना पूर्ण करने की मन्नत भी मांगी।
व्रत्तियों व उनके स्वजन ने भगवान सूर्य से समाज व देश की हित की कामना की नहाने खाने से शुरू हुआ। यह चार दिवसीय छठ पर्व पर वन समिति अध्यक्ष कचनरवा/वरिस्ट समाजसेवी विहारी प्रसाद यादव के द्वारा हर्दिया नदी घाट पर महिलाएं रात भर रुक कर भजन जागरण किया। सुबह उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर छठ पर्व की पूर्ण किया। इस बीच वरिस्ट समाजसेवी विहारी प्रसाद यादव द्वारा ग्रामीणों के सहयोग से जलपान टेंट की व्यवस्था बैठने का व्यवस्था सजावट की व्यवस्था ग्रामीणों द्वारा कराया गया। इस 36 घंटे व्रतियों के निराजली व्रत के बाद पारन किया। इसी क्रम में बताते चले कि सूर्य देव और उनकी बहन छठी मैया की उपासना का बहुत महत्व है। छठ का व्रत काफी कठिन माना जाता है 36 घंटे निर्जला व्रत रखने के बाद उगते शुरू को अर्थ देखने के साथ यह पूर्ण हो जाता है । यह व्रत परिवार की सुख समृद्धि और संतान की लंबी आयु के लिए रखा जाता है कुछ छठ व्रत महिलाएं रात भर छठ घाट पर ही बैठ रही तथा कुछ शुक्रवार तड़के तीन बजे से ही व्रतियों ने घाटों पर पहुंचकर सूर्य देवता और छठी मैया की उपासना शुरू कर दी थी। उसके बाद सूर्योदय होते ही अर्ध देने के बाद यह महापूर्व संपन्न हुआ।
छठ पर्व के आखिरी दिन शुक्रवार को सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ यह महापूर्व संपन्न हो गया। इस दौरान श्रद्धालुओं में उत्साह देखने को मिला सूर्य को अर्घ्य देने के बाद सभी श्रद्धालुओं घाटों से अपने घरों के तरफ लौट गए उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के साथ आस्था और संस्कार के पर्व छठ का समापन हुआ। उगते सूर्य को अर्घ्य देने के लिए छठ घाट पर लोगों की भीड़ जुटना शुरू हो गई थी। चार दिनों तक चलने वाले इस महापूर्व सुर्य को अर्घ्य दिया जाता है। लोग घाटों पर सूर्य की तरफ हाथ जोड़कर अर्घ्य देते नजर आए। तत्पपश्चात अर्घ्य देने के साथ छठ महापर्व समापन हुआ है जिसके बाद छठ का प्रसाद ग्रहण किया गया। सुरक्षा व्यवस्था में सैकड़ों स्थानीय ग्रामीण मौजूद रहे।