राष्ट्रीय अंगदान दिवस पर दंपति को कहानी पढ़कर मिली अंगदान की प्रेरणा, सरकारी सुविधा मिले तो महादान में हो सकता है इजाफा।

डिप्टी व्यूरो रिपोर्ट सोनभद्र।

रॉबर्ट्सगंज/सोनभद्र। अंगदान के माध्यम से लोक कल्याण करने वाले पौराणिक युगीन महर्षि दधीचि के पदचिन्हो पर चलते हुए सोनभद्र नगर के निवासी साहित्यकार दंपति ने बी०एच०यू०के मानव विज्ञान संस्थान को अंगदान एवं आर०एम० नेत्र बैंक वाराणसी को नेत्रदान किया था। इसी क्रम में अंगदानी दीपक कुमार केसरवानी ने बताया कि बचपन में बाल पत्रिका पराग में एक कहानी एक मुर्दा सोलह जिंदा शीर्षक कहानी पढ़ी थी जिसमें एक युवती की सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो जाती है और चिकित्क उस युवती के सोलह अंगों को जरूरतमंद बीमार व्यक्तियों में प्रत्यारोपित कर उन्हें जीवन दान दिया था। यह कहानी हमारे पाठ्यक्रम में सम्मिलित होकर पुस्तक हमारे पूर्वज में वर्णित महर्षि दधीचि की कहानी महादान के लिए काफी प्रेरणादायी रही। जिसके क्रम में दंपति ने बताया कि इस महादान में हर व्यक्ति को अपना योगदान देना चाहिए क्योंकि इस महादान से गंभीर बीमार व्यक्ति को नया जीवन मिल सकता है जिससे अंधेरी दुनिया रोशन हो सकती है।

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