डिप्टी व्यूरो रिपोर्ट सोनभद्र
सोनभद्र/उत्तर प्रदेश। जिले की ऐतिहासिक किले अघोरी के पास जुगैल थाना क्षेत्र की सोन नदी में लगातार अवैध खनन की शिकायत जोरो पर है। सीमा से बाहर जाकर तथा नदी के बीच धारा में किए जा रहे खनन को लेकर चलाई गई खबर का बड़ा असर सामने आया है।
बीते कुछ दिनों से एनजीटी एवं फॉरेस्ट व खनन विभाग की संयुक्त टीम ने अघोरी स्थित ई टेंडरिंग की न्यू इंडिया मिनरल्स साइट पर पहुंच कर जांच शुरू कर दी है। इसी क्रम में बताते चले कि सीमा से बाहर जाकर कितना खनन किया गया है और राजस्व की कितनी क्षति पहुंचाई गई है। इसके लिए नापी की प्रक्रिया चल रही है। उधर खनन विभाग की इस कार्रवाई से दूसरे साइटों पर हड़कंप मचा रहा। नदी के बीच में जाकर हो रहे अवैध खनन की भी स्थिति देखी गई। आसपास की काश्तकारी परमिट वाली खदानों का भी हाल जाना गया। गौरतलब है कि सोन नदी में घड़ियाल सेंचुरी क्षेत्र व वन सेंचुरी क्षेत्र विस्तृत पैमाने पर है जहां अवैध बालू खनन की शिकायत पूर्व में भी की गई थी जिस पर एनजीटी ने सोन नदी में खनन करने पर रोक लगा दी थी।
बतादें कि सोन नदी एमपी, यूपी और बिहार के तटीय क्षेत्रों से होकर गुजरती है। इस बार फिर एनजीटी का सोनभद्र में अवैध खनन के खिलाफ शिकंजा कस गया है। सोन नदी में घड़ियाल सेंचुरी क्षेत्र में अवैध खनन की शिकायत कोई नई नहीं है पूर्व में भी मानकों के अनुसार खनन न करने पर कार्रवाई हुई है। जिसे लेकर एनजीटी ने मध्यप्रदेश, यूपी और बिहार सरकार की संयुक्त टीम बनाकर जलीय जीव जंतुओं के संरक्षण सुनिश्चित करने के निर्देश भी दिए गये थे। बालू माफियाओं द्वारा पूर्व में किए गए आदेशों और निर्देशों के नियम और शर्तों को ताक पर रखकर बड़ी-बड़ी मशीनों व नावों को नदी में उतारकर नदियों का दोहन कराया जा रहा है। यहां तक कि नदियों के स्वरूप के साथ खिलवाड़ किया जा रहा और नदी की बहती अविरल धारा को रोककर खनन कराया जा रहा है जिस पर जिला प्रशासन भी इस ओर से आंखे मूंदे रहा। बड़ा सवाल तो यह है कि खनन पट्टों को जारी करने से पहले जिला प्रशासन उनकी वैधानिकता की पूरी जांच करता है यहां तक कि पर्यावरण की एनओसी भी राज्य स्तरीय संस्था देती है ऐसे में पर्यावरण को लेकर इतनी बड़ी चूक होना किसी की भी समझ से परे है।
वहीं पूर्व में राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में सोन नदी के पास खनन गतिविधियों में लगी दो निजी कंपनियों पर करोड़ों रुपये का जुर्माना लगाया था। बताते चले कि नदी से बालू का अत्यधिक निष्कर्षण प्राकृतिक संतुलन के लिये एक बड़ा खतरा है। इससे जलीय पौधे और सूक्ष्मजीवों के साथ-साथ नदी तंत्र की खाद्य श्रृंखला प्रभावित होती है।
बालू माफियाओं का वर्चस्व इस कदर हावी है कि भय से आस पास के लोग भी कुछ बोलने से कतराते है और आंख मूंदकर ऐतिहासिक नदी और पर्यावरण का नुकसान देखने को मजबूर है।
अधिकारियों की मिलीजुली से चल रहे अवैध बालू खनन से ऐतिहासिक सोन नदी के दोहन एवं जलीय जंतुओं के नुकसान नदियों की धारा मोड़कर खनन किए जाने से जिले की सोन नदी का अस्तित्व खतरे में आ चुका है। कुछ ग्रामीण दबी जुबान में कहते है कि पिछले चार वर्षों से यहां बालू खनन से उनके लिए नदियों में जाने से भी भय लगता है।
जब जांच टीम आती है तो काम बंद कर दिया जाता है और बड़ी-बड़ी मशीनों और नाव को हटाकर किनारे कर दिया जाता है टीम जाते ही फिर से धड़ल्ले से बड़ी-बड़ी मशीनों को लगाकर अवैध खनन दिन रात शुरू कर दिया जाता है। वहीं दूसरी तरफ जांच टीम के लगातार कुछ दिनों से दौरे पर बालू कारोबारीयो में खलबली मची हुई है।कहा जा रहा है कि एक-दो दिन में बड़ी कार्रवाई सामने आ सकती है। इस मौके पर पहुंची टीम के सभी अधिकारियों ने मीडिया को बाइट देने से टालमटोल करते नजर आए।मौके पर वन विभाग टीम के साथ ओबरा एसडीएम विवेक कुमार सिंह मौजूद रहे।