हार्ट अटैक से बचने का सबसे आसान घरेलू उपाय! डॉक्टर भी नहीं बताएंगे ये राज़!

हार्ट अटैक: आयुर्वेदिक उपचार और हृदय को स्वस्थ रखने का प्राचीन ज्ञान

भारत के प्राचीन आयुर्वेदिक विज्ञान में कई अद्भुत समाधान छिपे हुए हैं। 3000 साल पहले महर्षि वाग्भट ने “अष्टांग हृदयम” नामक ग्रंथ की रचना की, जिसमें उन्होंने 7000 सूत्र लिखे। इन सूत्रों में स्वास्थ्य और बीमारियों के लिए कई अनमोल सुझाव दिए गए हैं। हृदय रोग (हार्ट अटैक) से बचने और इसे ठीक करने का एक सरल, प्रभावी और प्राकृतिक तरीका भी उन्होंने बताया है।


हार्ट अटैक और रक्त में अम्लता का संबंध

महर्षि वाग्भट के अनुसार, हार्ट अटैक तब होता है जब रक्त में अम्लता (Acidity) बढ़ जाती है। बढ़ी हुई अम्लता रक्त को गाढ़ा और अम्लीय बना देती है, जिससे हृदय की नलियों में ब्लॉकेज (अवरोध) हो जाता है। यह ब्लॉकेज रक्त के प्रवाह में रुकावट पैदा करता है, जिससे हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है।
अम्लता के प्रकार:

  1. पेट की अम्लता (Gastric Acidity):
    • पेट में जलन महसूस होना।
    • खट्टी डकारें आना।
    • मुँह से पानी निकलना।
    • बढ़ने पर हाइपरएसिडिटी (Hyperacidity) हो सकती है।
  2. रक्त की अम्लता (Blood Acidity):
    • जब पेट की अम्लता रक्त में प्रवेश करती है, तो यह रक्त को अम्लीय बना देती है।
    • अम्लीय रक्त हृदय की नलियों से आसानी से प्रवाहित नहीं हो पाता, जिससे ब्लॉकेज बनती है।
    • यही ब्लॉकेज हार्ट अटैक का मुख्य कारण है।

आयुर्वेदिक समाधान: क्षारीय पदार्थों का सेवन

महर्षि वाग्भट बताते हैं कि रक्त की अम्लता को कम करने और इसे संतुलित करने के लिए क्षारीय (Alkaline) पदार्थों का सेवन करना चाहिए।
अम्ल और क्षार का सिद्धांत:

  • अम्लीय (Acidic) और क्षारीय (Alkaline) तत्व जब मिलते हैं, तो वे एक-दूसरे को निष्प्रभावी (Neutralize) कर देते हैं।
  • यह संतुलन रक्त को शुद्ध और स्वस्थ बनाता है।

लौकी: सबसे प्रभावी क्षारीय उपाय

लौकी (जिसे अंग्रेजी में bottle gourd कहते हैं) को आयुर्वेद में सबसे अधिक क्षारीय और हृदय के लिए लाभकारी माना गया है। यह रक्त की अम्लता को कम करने की सबसे शक्तिशाली औषधि है।

लौकी के रस के फायदे:

  1. रक्त को क्षारीय बनाकर अम्लता को खत्म करता है।
  2. हृदय की नलियों की ब्लॉकेज को दूर करता है।
  3. हार्ट अटैक की पुनरावृत्ति को रोकता है।
  4. पूरे शरीर में रक्त का प्रवाह सुचारू बनाता है।

लौकी के रस का सेवन कैसे करें?

  1. सेवन की मात्रा:
    • रोज़ 200 से 300 मिलीलीटर लौकी का रस पीना चाहिए।
  2. कब पिएं?
    • सुबह खाली पेट (टॉयलेट जाने के बाद)।
    • नाश्ते के आधे घंटे बाद भी इसे पी सकते हैं।
  3. रस को और प्रभावी बनाने के लिए:
    • 7-10 पत्ते तुलसी के मिलाएँ (तुलसी बहुत क्षारीय होती है)।
    • 7-10 पत्ते पुदीने के डालें (पुदीना भी क्षारीय है)।
    • थोड़ा काला या सेंधा नमक मिलाएँ (आम आयोडीन युक्त नमक न डालें, क्योंकि यह अम्लीय होता है)।

21 दिनों में असर और 2-3 महीने में ब्लॉकेज का उपचार

लौकी के रस का नियमित सेवन करने से:

  • पहला असर: 21 दिनों के भीतर शरीर और हृदय पर सकारात्मक प्रभाव दिखने लगता है।
  • पूर्ण उपचार: 2-3 महीने के भीतर हृदय की नलियों की ब्लॉकेज पूरी तरह से समाप्त हो सकती है।
  • यह उपाय हार्ट सर्जरी की आवश्यकता को खत्म कर सकता है, जिससे लाखों रुपये की बचत होती है।

लौकी के अतिरिक्त अन्य क्षारीय खाद्य पदार्थ

  1. खीरा
  2. पत्तेदार सब्जियाँ (जैसे पालक)
  3. नींबू पानी (बिना चीनी के)
  4. पुदीना और तुलसी की चाय
  5. नारियल पानी

सावधानियाँ:

  • लौकी का रस ताजा और कच्चा होना चाहिए।
  • हमेशा लौकी का स्वाद चखकर ही रस निकालें। यदि लौकी कड़वी हो, तो उसका उपयोग न करें।
  • नियमित व्यायाम और संतुलित आहार का पालन करें।

निष्कर्ष

महर्षि वाग्भट का यह आयुर्वेदिक उपाय न केवल हार्ट अटैक से बचाव करता है, बल्कि हृदय रोग को जड़ से ठीक करने में भी सहायक है। लौकी का रस और अन्य क्षारीय खाद्य पदार्थ हमारे शरीर को स्वस्थ और रोगमुक्त बनाते हैं। आयुर्वेद के इन प्राचीन और सरल तरीकों को अपनाकर हम अपने हृदय और जीवन को सुरक्षित और स्वस्थ बना सकते हैं।

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