जांच के दौरान 2010 के रिकॉर्डों में हुई हेराफेरी से उठ सकता है पर्दा, संलिप्त दोषी होंगे बेपर्दा।
न्यूजलाइन नेटवर्क – ब्यूरो रिपोर्ट
सिंगरौली/मध्य प्रदेश। जिले के देवसर उपखंड के विभिन्न तहसीलों और जिला अभिलेखागार में 2010 में हुए रिकॉर्ड हेराफेरी के मामले को लेकर प्रशासन ने सख्त कदम उठाए हैं। कलेक्टर सिंगरौली के निर्देश पर बीते 16 जनवरी को चार सदस्यीय जांच टीम गठित की गई है। यह टीम शिकायतकर्ता अनुरोध शुक्ला की शिकायत पर मामले की जांच करेगी। इस जांच टीम का नेतृत्व अपर कलेक्टर करेंगे।
इसके अन्य सदस्य पीके सेन गुप्ता अपर कलेक्टर सिंगरौली, उपखंड अधिकारी देवसर अखिलेश सिंह, डिप्टी कलेक्टर बंदन तिवारी, डिप्टी कलेक्टर सौरव मिश्रा को जांच का जिम्मा सौंपा गया है। वही टीम को एक महीने के अंदर अपनी जांच पूरी कर दोषी व्यक्तियों के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज कराने के आदेश दिए गए हैं। वही 2010 के रिकार्ड में की गई हेराफेरी से पर्दा उठ सके और पीड़ित को न्याय मिल सके। इस लिहाज से उक्त मामले की जांच जिला स्तरीय टीम के माध्यम से कराया जाएगा।
साथ ही शिकायतकर्ता अनुरोध शुक्ला ने बताया कि उनके पिता जो तत्कालीन हल्का मझौली पाठ तहसील बैढ़न सिंगरौली में पदस्थ होने के बाद भी उन्हें सेवा से पृथक किया गया। यह सब सोची-समझी साजिश के तहत किया गया है। इस मामले में एक निर्दोष को झूठा फंसाकर सेवा से पृथक कर दिया गया है। शिकायतकर्ता द्वारा सिंगरौली कलेक्टर से आग्रह किया गया कि उनके पिता को न्याय दिलाया जाए और जांच कराकर उक्त मामले के मुख्य दोषियों पर भी कठोर कार्रवाई की जाए। वही जांच टीम को यह सुनिश्चित करना होगा कि दोषियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाए और रिकॉर्ड में हुई अनियमितताओं की विस्तार से जांच हो। इस कार्रवाई से देवसर तहसील और जिले में प्रशासनिक पारदर्शिता स्थापित करने की उम्मीद है।
आवेदक के शिकायत पर गठित टीम करेगी जांच:- शिकायत के अनुसार देवसर तहसील के रिकॉर्ड में हेरफेरी के मामले में तत्कालीन तहसीलदार द्वारा कुछ फर्जी प्रविष्टियों को निरस्त कर दिया गया था। हालांकि अब तक केवल तीन गांवों के मामलों पर कार्रवाई हुई है। शेष दोषी व्यक्तियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नही हुई। जबकि जिला अभिलेखागार में फर्जी रिकॉर्ड सफेद किए जा चुके है। जिसकी जिला स्तरीय गठित टीम के द्वारा जांच कर दोषियों के बेपर्दा किया जाएगा।