मेले में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम नही, फायर सेफ्टी, न ही फर्स्टएड की व्यवस्था।

न्यूजलाइन नेटवर्क – ब्यूरो रिपोर्ट

सिंगरौली/मध्य प्रदेश। सरई मेला में घूमने जा रहे है तो अपनी सुरक्षा का खुद इंतजाम रखें। क्योंकि मेले में फायर सेफ्टी से लेकर फर्स्टएड तक दुकानदारों पर मौजूद नही है। सरई के सुरसुराही घाट में मकर संक्रांति से चल रहे मेले में रविवार दिन भारी मात्रा में मेला में पहुंचे लोग जहां पर बड़े झूलों में किसी भी प्रकार की कोई भी सुरक्षा का इंतजाम नहीं किया गया था। जिससे झूले वालों ने कुछ लोगों के साथ मारपीट करते नजर आए हालांकि पुलिस प्रशासन मौजूद रही लेकिन काफी भीड़-भाड़ होने की वजह से भीड़ को रोक पाना संभव नहीं था।

मेला में झूला सेक्टर की पड़ताल की तो सामने आया कि किसी के पास भी सुरक्षा इंतजाम के नाम पर कुछ नही था। यहां तक कि फायर सेफ्टी के छोटे सिलेंडर तक मौजूद नही थे। यही नही यदि कोई झूलते वक्त चोटिल होता है तो तत्काल राहत देने के लिए फर्स्टएड तक का इंतजाम नही था। बीमा व सेफ्टी सर्टिफिकेट भी केवल दिखावे के हैं। क्योंकि मेला प्राधिकरण को जो सेफ्टी सर्टिफिकेट उपलब्ध कराए गए।

उसमें झूले में उपयोग आने वाली मशीन की जानकारी भी ठीक से नही दी गई। सेफ्टी सर्टिफिकेट मेला में लगने वाले झूले सुरक्षित हैं। इसके लिए प्रशासन की ओर से सिर्फ झूला लगाने का परमिशन दिया गया है ना की सेफ्टी का लेकिन इन झूलों के संचालन के लिए लगाई मशीन के बारे में जानकारी नही दी गई।

जिससे यह पता नही चलता कि जिस मशीन का उपयोग झूला संचालन में उपयोग किया जा रहा है। वह कितनी सुरक्षित है या नही। वही झूला मालिकों ने 100 से लेकर 200 तक एक व्यक्ति का टिकट मे अवैध वसूली कर रहे है। वही मेला में एक एंबुलेंस व दो डॉक्टर उपस्थिति होनी चाहिए ताकि मेला दुर्घटना में यदि कोई घायल होता है तो उसके लिए प्राथमिक उपचार अनिवार्य है। लेकिन पूरे मेले में इस तरह की कही भी कोई भी व्यवस्था नही की गई है ना ही मेला ठेकेदार के द्वारा नही प्रशासन के द्वारा मेला ठेकेदार की मनमानी जगह-जगह बैरिकेडिंग होने से मेला में पैदल व वाहन का प्रवेश में लोगों को मुश्किल था। वहीं वाहनों से तय की गई रेट दर से ज्यादा पैसा लिया जा रहा है।

मेले में काम करने वाले श्रमिकों का भी आर्थिक शोषण:- 15 दिनों तक चलने वाले इस विशाल मेले में झूला सहित विभिन्न कार्यो में काम करने वाले मजदूरों के साथ भी आर्थिक शोषण करने में दुकानदार से लेकर अन्य व्यवसाय कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रहे हैं। यहां के खेलों में काम करने वाले श्रमिकों को पारिश्रमिक भुगतान के नाम पर 100-200 रुपए ही रोजाना भुगतान किया जा रहा है। सुरक्षा मापदण्डों को सीधे नजरअंदाज कर बड़ी दुर्घटना को आमंत्रित कर रहे हैं। इसके बावजूद जिम्मेदार अधिकारी मेले की सतत मॉनिटरिंग नहीं कर रहे हैं। आरोप लगाया जा रहा है कि जब कोई बड़ा हादसा होगा तब प्रशासन की नींद भी टूटेगी। इसके पहले ऐतिहातन सख्त कदम उठाने से प्रशासन परहेज कर रहा है।

Leave a Reply

error: Content is protected !!