शाला निधि खर्च करने में सिंगरौली फिसड्डी, प्रदेश में 52 वें स्थान पर, सिर्फ तीन प्रतिशत ही राशि की जा चुकी है खर्च।

न्यूजलाइन नेटवर्क – डिप्टी व्यूरो रिपोर्ट

सिंगरौली/ मध्य प्रदेश। सर्व शिक्षा अभियान के तहत प्राथमिक से लेकर12वीं कक्षा तक के लिए राज्यशिक्षा केंद्र भोपाल से एकीकृत शाला निधि मुहैया कराई गई थी। किंतु शाला निधि को खर्च करने में सिंगरौली जिला प्रदेश में सबसे फिसड्डी निकला है। 16 जनवरी की स्थिति में 0.3 प्रतिशत ही शाला निधि खर्च की जा चुकी है। दरअसल सर्व शिक्षा अभियान के अनुसार राज्यशिक्षा केंद्र भोपाल के द्वारा वार्षिक अनुदान की दरों को शालाओं में दर्ज संख्या के आधार पर शाला निधि तय करने के निर्देश जारी किए गए थे जानकारी के अनुसार 1 से 30 छात्रों की संख्या पर 10000 रुपए, 31 से 100 छात्रों की संख्या होने पर 25000, 101 से 250 छात्रों की संख्या पर 50000 रूपये एवं 251 से अधिक अधिकतम 75000 रूपये उपयोग करने के निर्देश दिए गए थे। यहा बताते चले की एक परिसर, एक शाला के कारण उनके स्वरूप परिवर्तन किया गया।

इसका उद्देश्य है कि उक्त राशि में स्वच्छता एक्शन प्लान, भवन का रखरखाव में प्रयोगशाला उपकरण, पुस्तकालय, फर्नीचर, मरम्मत, पुताई, बिजली बिल, लघु संरचना एवं विद्यालय के सूचना पटल की व्यवस्था शाला संचालन के समय एवं दैनिक गतिविधियों के अंतर्गत शाला परिसर, शिक्षक एवं विद्यार्थियों के स्वच्छता संबंधित कार्रवाई के लिए व्यय किए जाने के निर्देश थे। स्कूल चले हम के तहत रजिस्टर को अद्यतन, शिक्षा, चौपाल, मेला, शिक्षा सभा एवं अन्य विद्यालय के लिए आवश्यक स्टेशनरी सामग्री क्रय करने, हाई स्कूल एवं हायर सेकेंडरी के लिए स्थानीय निधि से व्यय करने के लिए निर्देश दिया गया था। शाला प्रबंध समिति की बैठक, शाला में सांस्कृतिक कार्यक्रम बाल मेला, बाल सभा, शालये प्रतियोगिता, महापुरुषों की जयंती समेत अन्य।

गणतंत्र दिवस एवं स्वतंत्रता दिवस के समारोह के आयोजन कलर, चार्ट, डस्टर, बालक-बालिकाओं की पुस्तकों पर आवश्यकता अनुसार पेन, पेंसिल, रबर, कलर बॉक्स, ड्राइंग बुक, बच्चों को बैठने के लिए प्लास्टिक मेट, दरी माध्यमिक शालाओं के लिए विज्ञान सामग्री के साथ-साथ ऑनलाइन शैक्षणिक गतिविधियों को ध्यान में रखते हुए आवश्यक सामग्री पर व्यय करने के अलावा विद्यालय की अन्य आवश्यकता के लिए एमएससी के निर्णय अनुरूप, विद्युत व्यय का भुगतान राज्य के ग्लोबल बजट से प्राथमिकता से किया जाना था। इसके अलावा अन्य गतिविधियों पर राशि खर्च करनी थी। जिसमें व्यय के लिए अनुपातिक राशि प्रतिशत में हर अलग-अलग सुझावात्मक घटक के लिए दिशा निर्देश तय किया गया था। इन निर्देशों के बावजूद जिले की कोई भी विद्यालय शाला निधि को खर्च करने में फिसड्डी साबित हुआ है। जबकि राज्यशिक्षा केंद्र भोपाल के संचालक के द्वारा पिछले वर्ष 18 जुलाई को शाला निधि राशि दी गई। फिर भी उक्त राशि से फुटी कौड़ी भी नही खर्च हो पाई।

सीईओ पर फोड़ा जा रहा ठिकरा:- सूत्र बताते हैं कि वर्ष 2023-24 की शाला निधि की राशि में शिकायत पहुंची कि प्रधानाध्यापक के द्वारा राशि कागजों में ही खर्च कर लिया गया। इसके बाद सीईओ ने कार्रवाई की चेतावनी देते हुए राशि करीब 40 लख रुपए की वसूली कर सरकार के खजाने में जमा कराया है। जबकि कई हेड मास्टर दिशा-निर्देशों के तहत शाला निधि का उपयोग भी किया था। परंतु कार्रवाई के दर से अपने जेब से ही राशि वापस करने के लिए विवश हो गए। शायद इसी कारण की राशि वसूली न हो इसलिए कोई एचएम शाला निधि की राशि खर्च नहीं किया है।

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