ग्रीन मेट्रो सिस्टम 2025 पर 5वें अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में भारत की सतत शहरी परिवहन पहलों पर प्रकाश डाला गया

“यह सम्मेलन भारत में ग्रीन मेट्रो सिस्टम के लिए एक बेंचमार्क” : तोखन साहू

न्यूज़लाइन नेटवर्क, डेस्क ब्यूरो
नई दिल्ली :
केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के राज्य मंत्री तोखन साहू ने मेट्रो भवन, नई दिल्ली में आयोजित ग्रीन मेट्रो सिस्टम पर 5वें अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में अपने संबोधन के दौरान दिल्ली मेट्रो की उपलब्धियों की सराहना करते हुए इसे “भारत में ग्रीन मेट्रो सिस्टम के लिए एक बेंचमार्क” बताया।

इस सम्मेलन में केंद्रीय विद्युत एवं आवास शहरी मामलों के मंत्री मनोहर लाल और भारत तथा विदेश के विशेषज्ञों, नीति निर्माताओं, उद्योग जगत के नेताओं तथा शोधकर्ताओं सहित अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने ग्रीन शहरी गतिशीलता के लिए विचारों तथा समाधानों का आदान-प्रदान किया। मंत्री ने सम्मेलन के आयोजन के लिए दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (डीएमआरसी), इंडिया मेट्रो रेल ऑर्गेनाइजेशन सोसाइटी (आईएम), भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) तथा भारतीय ग्रीन बिल्डिंग काउंसिल (आईजीबीसी) को बधाई दी तथा इसे “शहरी परिवहन में स्थिरता तथा ग्रीन प्रौद्योगिकी अपनाने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच” बताया।

मंत्री ने कहा, “हाल ही में दिल्ली मेट्रो की ब्लू लाइन के एक हिस्से, जो यमुना बैंक को वैशाली से जोड़ता है, को कार्बन-न्यूट्रल सर्टिफिकेशन मिलने के साथ एक उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल हुई है। यह कार्बन फुटप्रिंट को कम करने और जलवायु परिवर्तन से निपटने में डीएमआरसी के नेतृत्व को रेखांकित करता है।” उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अपने 395 किलोमीटर के विस्तारित नेटवर्क के साथ, जो चरण-IV के बाद 505 किलोमीटर तक पहुंचने वाला है, दिल्ली मेट्रो सतत शहरी गतिशीलता के मामले में सबसे आगे रही है।

उन्होंने आगे बताया कि कैसे भारत सरकार ने शहरी परिवहन के विकास को प्राथमिकता दी है, जिससे भारत का 1,000+ किलोमीटर का मेट्रो नेटवर्क चीन के बाद दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा नेटवर्क बन गया है। 11 राज्यों के 23 शहरों में फैली मेट्रो प्रणाली का विस्तार जारी है, इस साल के बजट में शहरी विकास पहलों के लिए ऐतिहासिक आवंटन किया गया है।

भारत की प्रगति पर प्रकाश डालते हुए मंत्री ने कहा, “भारत जलवायु परिवर्तन की वैश्विक चुनौती से निपटने में सबसे आगे है और इसने 2005 के स्तर की तुलना में 2030 तक उत्सर्जन तीव्रता को 33-35 प्रतिशत तक कम कर दिया है। वर्ष 2014 से ही दुनिया ने हरित ऊर्जा के प्रति भारत की अटूट प्रतिबद्धता देखी है। माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में हम सतत विकास की दिशा में दृढ़ संकल्पित हैं।” उन्होंने आगे कहा कि पिछले नौ वर्षों में भारत की अक्षय ऊर्जा क्षमता 70 गीगावाट से बढ़कर 170 गीगावाट हो गई है, जिससे 2030 पेरिस समझौते की समय-सीमा से काफी पहले ही 40% अक्षय ऊर्जा लक्ष्य हासिल हो गया है। भारत अब पवन ऊर्जा क्षमता में विश्व स्तर पर चौथे स्थान पर है, जबकि सौर ऊर्जा क्षमता में 20 गुना से अधिक की वृद्धि हुई है। मंत्री ने निष्कर्ष निकाला, “जैसा कि हम भारत के विकास के इस अमृत काल में आगे बढ़ रहे हैं, सरकार हरित शहरी गतिशीलता और स्थिरता को बढ़ाने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।”

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