न्यूजलाइन नेटवर्क – ब्यूरो रिपोर्ट

सिंगरौली/मध्य प्रदेश। प्रदेश के 07 चिन्हित जिलों में चलाए जा रहे एमआईवाईसीएन मातृ-शिशु व बढ़ते बच्चे के पोषण पायलट प्रोजेक्ट के बेहतर क्रियान्वयन पर एनएचएम की मिशन संचालक ने सिंगरौली की प्रगति को सराहा है तो इसमें नेतृत्व करने के लिए कलेक्टर चंद्रशेखर शुक्ला व नेशनल हेल्थ मिशन के जिला कार्यक्रम प्रबंधक सुधांशु मिश्रा की पीठ थपथपाई है।
बीते दिन बुधवार को कलेक्टर को भेजे गए पत्र में मिशन संचालक डॉ. सलोनी सिडाना ने कहा है कि बच्चों के उत्तम मानसिक एवं शारीरिक विकास के लिए समुचित स्तनपान व बाल आहारपूर्ति व्यवहार एक महत्वपूर्ण कारक है। शिशु व बाल उत्तरजीविता पर भी इसका अहम प्रभाव पड़ता है। जन्म उपरांत शीघ्र स्तनपान और जीवन के प्रथम 06 माह तक केवल स्तनपान कराने मात्र से नवजात शिशु, मृत्यु दर में 22 प्रतिशत तक कमी लाई जा सकती है। इसी उद्देश्य से प्रदेश के सात चिन्हित जिलों में एमआईवाईसीएन पायलट प्रोजेक्ट क्रियान्वयन हो रहा है।
पायलट प्रोजेक्ट शिशु मृत्यु दर में कमी लाने में सहायक होगा:- बताया जाता है कि मिशन संचालक ने इस संबेध में कहा है कि पायलट प्रोजेक्ट में में गर्भवती, धात्री महिलाओं, माताओं, शिशुओं के पोषण सुधार के लिए स्वास्थ्य व महिला एवं बाल विकास विभाग के मैदानी अमलों को सघन प्रशिक्षण दिया जा रहा है। दोनों विभागों के मैदानी अमले को मास्टर ट्रेनर बनाकर एक जागरूक और सक्षम तंत्र गठित किया जाएगा। इससे ये पायलट प्रोजेक्ट शिशु मृत्यु दर में कमी लाने में सहायक होगा।
राज्यस्तरीय समीक्षा बैठक में दिखा आया उत्कृष्ट कार्य:- पिछले माह 20 फरवरी को राज्यस्तरीय वर्चुअल समीक्षा बैठक में यह दिखा कि सिंगरौली द्वारा एमआईवाईसीएन पायलट प्रोजेक्ट पर उत्कृष्ट कार्य किया जा रहा है। आपके नेतृत्व में दोनों विभागों के मैदानी अमलों द्वारा मां-शिशु के दर्ज जोड़ों की प्रोटोकॉल के अनुसार प्रभावी निगरानी सराहनीय है। इसके लिए जिला और विकास खंड स्तरीय अधिकारी बधाई के पात्र हैं। विशेषकर एनएचएम के जिला कार्यक्रम प्रबंधक सुधांशु मिश्रा। जिन्होंने प्रोजेक्ट की संपूर्ण निगरानी का अनुकरणीय कार्य किया है। आशा जताई कि इसी तरह कार्य करते हुए शिशु मृत्यु दर को घटाने और कुपोषण की रोकथाम के प्रयास जारी रहेंगे।