नगर निगम ने बगैर ई-टेंडरिंग के कर दिया 1 करोड़ का भुगतान, 10-10 लाख रूपये के मंजूर कर दिये गये थे कई कार्य।

आयुक्त को प्रारंभिक जांच में मिली आर्थिक अनियमितता।

न्यूजलाइन नेटवर्क – ब्यूरो रिपोर्ट

सिंगरौली/ मध्य प्रदेश। नगर निगम सिंगरौली में नियम विरूद्ध कार्य कराना कोई नई बात नही है। करीब चार साल पूर्व ऐसा ही एक चौकाने वाला मामला सामने आया है। जहां तत्कालीन निगमायुक्त आरपी सिंह के कार्यकाल में तकरीबन 1 करोड़ रूपये बिना ई-टेंडरिंग के चहेते संविदाकारों को भुगतान करा दिया। शिकायत के बाद अब उक्त मामले की जांच शुरू है। प्रारंभिक जांच में वित्तीय अनियमितता पाई गई है।
दरअसल नगर पालिक निगम सिंगरौली भ्रष्टाचार को लेकर काफी चर्चाओं में है। पिछले सप्ताह बजट की बैठक में निगमायुक्त डीके शर्मा ने बेवाक तरीके से भ्रष्टाचार के मुद्दे पर अपनी बातों को रख पार्षदों को सकते में डाल दिया। अब मामला यह धीरे-धीरे जोर पकड़ा हुआ है कि इसी बीच ननि ने करीब चार साल पूर्व वर्ष 2021 में जनवरी से मार्च महीने के बीच 1 करोड़ रूपये के अनियमित भुगतान का मामला उजागर हुआ है। सूत्र बताते हैं कि नगर पालिक निगम के अधिकारियों ने बिना किसी समाचार पत्रों में टेंडर का सूचना प्रकाशन कराया और न ही ई-टेंडरिंग कराया, बल्कि ऑफ लाईन के माध्यम से अपने चुनिन्दा संविदाकारों को कार्य सौप दिया और इसके बाद भुगतान भी कर दिया गया। यहां बताते चले कि नगर निगम में 1 लाख रूपये से ऊपर के बाद ई-टेंडरिंग से ही कार्य कराये जा सकते हैं। म.प्र. नगर पालिक निगम वित्त एवं लेखा नियम 2018 से लागू है। जिनके अनुसार निगम क्षेत्र में कोई भी कार्य जिसकी लागत 1 लाख रूपये से अधिक है। उसके संबंध में ई-निविदा प्रणाली लागू की गई है। किन्तु आयुक्त को मिली शिकायत में 11 कार्य बिना निविदा के ऑफ लाईन टेंडर करते हुये करीब 94 लाख रूपये का भुगतान नियम विरूद्ध तरीके से किया गया है। सूत्र तो बताते हैं कि यह ननि के प्राथमिक जांच में मिला है। अभी तो नस्तियों को अवलोकन में और तथ्य सामने आ सकते हैं। फिलहाल नगर निगम में यह मामला इन दिनों काफी जोर पकड़ा हुआ है। आयुक्त के सख्तरू ख आगे कुछ अधिकारी-कर्मचारियों की मुश्किले बढ़ सकती हैं और उनकी धड़कने भी बढ़ी हुई हैं।
सामूहिक शौचलयों के मरम्मत के नाम पर खेला:-
अपने चहेतों को लाभ पहुंचाने का तरीका नगर निगम अधिकारियों को अच्छी तरह से मालुम है। वर्ष 2021 जनवरी माह से लेकर मार्च महीने के बीच तत्कालीन के सीएम के बैढ़न आगमन के आड़ में करीब 10 कार्यो को ऑफ लाईन के तहत कार्य दे दिया गया। इन कार्यो में विशिष्ट अतिथि व्यक्ति के आगमन की व्यवस्था के लिए बैढ़न अम्बेडकर चौक एवं गनियारी तिराहा, स्टेट बैंक कॉलोनी बिलौंजी से एनसीएल बाउण्ड्री, सामुदायिक भवन बिलौंजी से एच टाईप कॉलोनी बाई ओर डामरीकरण के कार्य, वार्ड 40 रैनबसेरा का मरम्मत एवं पुताई कार्य, चूनकुमारी स्टेडियम, वार्ड 42 अटल सामुदायिक भवन का मरम्मत एवं पेंटिंग कार्य, सीएम के आगमन के व्यवस्था के लिए मंच निर्माण, वार्ड 42 में स्टोन डस्ट फिलिंग का कार्य, सर्विस रोडो में के साथ-साथ एसबीआई चौराहा से एनसीएल बाउण्ड्री तक एवं चौराहा से एलआईजी कॉलोनी तक बाउण्ड्री एवं सेन्ट्रल वर्ज की मरम्मत एवं पेंटिंग के कार्य शामिल हैं। वही नवजीवन विहार जोन के अंतर्गत सेक्टर 01 से 04 में सामूहिक शौचालयों का मरम्मत एवं नाली रिपेयरिंग का कार्य को बिना ई-टेंडर के ही सौप दिये गये और यह कार्य अपने चहेते ठेकेदारों को ही दिया गया।
06 जनवरी से चली थी फाईल, तीन में दिन सभी कार्य पूर्ण:- उक्त मामले की पहली शिकायत अनुभव पाण्डेय आरटीआई कार्यकर्ता ने की थी। बाद में वे मुकर गये और जांच फाईल भी दब गई थी। इसके बाद दूसरी शिकायत रामकेश शाह नामक व्यक्ति ने किया और जहां मामला आयुक्त के संज्ञान में आया। प्रारंभिक जांच के दौरान पता चला कि संभवत: सीएम का आगमन मार्च महीने के प्रथम सप्ताह में हुआ था। जबकि उक्त कार्यो की नस्ती 06 से 15 जनवरी तक कार्रवाई चली। कार्यो का वर्कऑडर करीब 26 फरवरी को हुआ और भुगतान भी 20 मार्च के अन्दर कर दिया गया। सवाल उठाया जा रहा है कि 15 दिन के अन्दर चाहते तो ई-टेंडरिंग व समाचार पत्रों में प्रकाशन कराया जा सकता था। लेकिन यहां ठीक उसके विपरित कार्य किया गया। हैरानी तब हुई जब तीन के अन्दर सभी करीब-करीब सभी कार्य पूर्ण करा लिये गये। चर्चा है कि उक्त कार्य के हरि झण्डी तत्कालीन आयुक्त आरपी सिंह, कार्यपालन यंत्री व्हीपी उपाध्याय व उपयंत्री पीके सिंह की भूमिका महत्वपूर्ण रही है।

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