छोटे व्यापारियों से लेकर बड़े स्तर पर फैला कारोबार, पुलिस अनजान।

न्यूजलाइन नेटवर्क – ब्यूरो रिपोर्ट
सिंगरौली/ मध्य प्रदेश। रेत की अवैध कारोबार के साथ-साथ कबाड़ का कारोबार जोर पकड़ रहा है। यहां छोटे व्यापारियों से लेकर बड़े स्तर पर कबाड़ की करीब आधा दर्जन दुकानें संचालित है। पिछले साल से कबाड़ का अवैध कारोबार खुलेआम चल रहा है। यहां पर कबाड़ी सामान की खरीदी-विक्री धड़ल्ले से की जा रही है। पुलिस प्रशासन अनजान बना हुआ है। व्यापारी बिना कोई स्टॉक रजिस्टर बनाए खरीदी और विक्री कर रहें हैं। कबाड़ी पुलिस की सांठगांठ से बिना टैक्स दिए लाखों रुपए की आमदनी कर रहे हैं।
गौरतलब है कि कोतवाली थाना और खुटार चौकी क्षेत्र अंतर्गत करीब दर्जन भर कबाड़ की दुकानें अवैध तरीके से संचालित हो रही है। इनमें से कई छोटे कारोबारी हैं जो दो-तीन बड़े स्तर के कबाड़ी है। जो घुमंतू बच्चों सहित छोटे कबाड़ियों से सस्ते दामों पर कबाड़ खरीद कर कानपुर मंडी में ऊंचे दामों पर बेचते हैं। इन कथित व्यापारियों के पास इस कारोबार से संबंधित कोई वैध दस्तावेज नही हैं। अधिकांश कबाड़ चोरी का सामान होता है। इसे खुलेआम खरीदा बेचा जाता है। कुछ समय पहले ही कबाड़ी व्यापारियों को चोरी के सामान खरीदते हुए पकड़े गये थे, इसके बावजूद चोरी का माल आसानी से बिकने के कारण चोरी की घटनाएं बढ़ गई हैं। सूत्रों का दावा है कि जिले में चोरी होने वाली बाइकों को यही कबाड़ी खरीदने हैं और फिर उसे काट कर मंडी में बेच देते हैं। कबाड़ी अधिकतर पुरानी गाड़ियों को निशाना बनाते हैं। इसके पीछे वजह यह बताई जा रही है की पुरानी गाड़ियों का इंश्योरेंस नहीं रहता। जब लोग थानों में शिकायत करने पहुंचते हैं तो पुलिस उन्हें इंश्योरेंस नही होने पर बिना शिकायत दर्ज किये वापस कर देते हैं। सूत्र बताते हैं कि दो तीन कबाड़ियों का कारोबार बड़ा है और आरोप लगाया जा रहा है कि पुलिस सब कुछ जानते हुये अनजान बनी हुई है। इसके पीछे प्रमुख कारण जगजाहिर है।
बर्तन की दुकानों में खरीदा जा रहा तांबा:- कबाड़ का कारोबार गनियारी, बैढ़न, कचनी, तेलाई मोड़, खुटार में संचालित है। सूत्रों का दावा है कि एक बर्तन दुकान संचालक चोरी के तांबे की खरीदी कर रहा है। यह कारोबार आज से नहीं, बल्कि लंबे समय से चल रहा है। इस अवैध कारोबार की जानकारी वरिष्ठ अधिकारी भले ही अनजान हो, लेकिन बीट प्रभारी लगातार वसूली में लगा है। कबाड़ियों पर पुलिस और प्रशासन का इस पर कोई नियंत्रण नहीं है। इससे इनका मनोबल और बढ़ गया है।