केरवा गांव में आदिवासी परिवारों को सड़क का इंतजार, खाट पर मरीज ढोने को मजबूर।

न्यूजलाइन नेटवर्क – चितरंगी संवाददाता आदर्श तिवारी

चितरंगी/सिंगरौली। सिंगरौली जिले की जनपद पंचायत देवसर अंतर्गत ग्राम पंचायत कारी का केरवा गांव आजादी के 78 वर्षों बाद भी विकास की बुनियादी सुविधाओं से वंचित है। आज भी यहां के ग्रामीणों को सड़क जैसी मूलभूत सुविधा नहीं मिल सकी है। नतीजा यह है कि बीमार व्यक्तियों को खाट पर लादकर मुख्य सड़क तक पहुंचाना ग्रामीणों की मजबूरी बन चुकी है।
करीब 80 से 100 आदिवासी परिवारों वाला यह गांव खेतों से गुजरने वाली पगडंडियों से ही आवागमन करता है। सबसे अधिक परेशानी बरसात के दिनों में होती है, जब यह पगडंडी किचड़ में तब्दील होकर दलदल बन जाती है। ऐसे में सड़क सूखने तक गांव का अन्य इलाकों से संपर्क पूरी तरह कट जाता है। ग्रामीणों का कहना है कि ग्राम पंचायत कारी से महज 01 से 02 किलोमीटर दूर मुख्य सड़क है, लेकिन वहां तक अब तक पक्की सड़क नहीं बन पाई है। नीलेश द्विवेदी, ललई कोल और कमलेश कोल ने बताया कि बरसात में यह कच्ची सड़क कई स्थानों पर टूट जाती है, जिससे पैदल चलना तक मुश्किल हो जाता है।
ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि चुनाव के वक्त जनप्रतिनिधि वोट मांगने जरूर आते हैं, लेकिन उसके बाद गांव की सुध लेने कोई नहीं आता। समाजसेवी नीलेश द्विवेदी ने बताया कि इस समस्या को लेकर कई बार ज्ञापन सौंपे गए, सीईओ और अन्य जनप्रतिनिधियों से गुहार लगाई गई, लेकिन केवल आश्वासन ही मिले, कोई समाधान नहीं हुआ।गांव के खेतों के बीच एक पुल का निर्माण तो करवा दिया गया, लेकिन सड़क न होने के कारण वह पुल भी बेकार पड़ा है। ग्रामीणों ने बताया कि यह पुल 03 से 04 साल से उपयोग में नहीं है और सरकारी धन की बर्बादी का प्रतीक बन चुका है। उनका आरोप है कि अधिकारियों और ठेकेदारों की मिलीभगत से बिना किसी योजना के यह निर्माण कराया गया। ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि इस पुल निर्माण की जांच कराई जाए और जल्द से जल्द पक्की सड़क का निर्माण हो, ताकि गांव शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य आवश्यक सुविधाओं से जुड़ सके, खासकर बरसात के दिनों में जब यह सबसे ज्यादा जरूरी होता है।

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