जंगल धधक रहे, सरकार बनी मूकदर्शक: सिंगरौली के चितरंगी क्षेत्र में तीन दिन से भीषण आग।

न्यूजलाइन नेटवर्क – चितरंगी संवाददाता आदर्श तिवारी

चितरंगी/सिंगरौली। सिंगरौली जिले के वन परिक्षेत्र चितरंगी अंतर्गत मौहरिया और घोघरा के घने जंगलों में पिछले तीन दिनों से भीषण आग लगी हुई है। आग ने विकराल रूप धारण कर लिया है, और वन संपदा भारी नुकसान झेल रही है। बावजूद इसके, अब तक प्रभावी नियंत्रण के कोई बड़े प्रयास नहीं दिखाई दे रहे हैं। अगर गहराई से देखा जाए तो सरकार हर वर्ष वृक्षारोपण अभियानों पर लाखों-करोड़ों रुपए खर्च करती है, लेकिन पौधे पूरी तरह विकसित होने से पहले ही जंगलों में आग लगने की घटनाओं से सारा परिश्रम और धन पानी में चला जाता है। विडंबना यह है कि जहां एक ओर नए वृक्ष लगाने के नाम पर भारी राशि खर्च की जाती है, वहीं वर्षों पुराने हरे-भरे जंगल आग की भेंट चढ़ते जा रहे हैं और इस समस्या के स्थायी समाधान पर गंभीरता से विचार नहीं किया जा रहा।
विशेषज्ञों और स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर सरकार समय रहते हेलीकॉप्टर सुविधा मुहैया कराए और हवाई स्तर से अग्निशमन तकनीकों का उपयोग करे, तो पहाड़ी और दुर्गम इलाकों में तेजी से आग पर काबू पाया जा सकता है। विदेशों में ऐसी व्यवस्था आम है, लेकिन भारत में हर साल केवल योजनाओं और आंकड़ों का जाल बुना जाता है। फिलहाल चितरंगी क्षेत्र में लगी आग को बुझाने के लिए ज़मीनी स्तर पर वन विभाग की टीम संघर्ष कर रही है, परंतु आग की भीषणता और भौगोलिक कठिनाइयों के चलते सफलता नहीं मिल पा रही है।
इस भयावह स्थिति में जिम्मेदार विभागों की निष्क्रियता और संसाधनों की कमी एक बार फिर उजागर हो गई है। स्थानीय ग्रामीणों ने शासन से अपील की है कि ऐसी आपदाओं से निपटने के लिए स्थायी और ठोस नीति तैयार की जाए, ताकि हर साल जंगलों का यह विनाश न दोहराया जाए।

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