जिसकी जितनी आबादी उसकी उतनी हिस्सेदारी की तर्ज पर मंत्रीमंडल में कब जगह देंगे लोगों को – प्रशांत किशोर

रिपोर्ट-मोनीश ज़ीशान
न्यूज़लाइन नेटवर्क वैशाली(बिहार)

शिक्षा की व्यवस्था है नहीं, कैसे देंगे लोगों को आरक्षण का लाभ ?

वैशाली (09 नवंबर)। बिहार सरकार के पचहत्तर प्रतिशत आरक्षण देने के कैबिनेट के फैसले पर तंज कसते हुए जन सुराज के संस्थापक और पदयात्रा के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से जानना चाहा है कि जिसकी जितनी आबादी उसकी उतनी हिस्सेदारी की तर्ज पर अपने मंत्रीमण्डल में जातिगत सर्वेक्षण के अनुपात में लोगों को कब जगह देंगे? क्या नीतीश कुमार जी तथा उनके उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव जी अपने पास रखे महत्वपूर्ण विभागों को अल्पसंख्यकों, दलितों, अतिपिछड़ों में जल्दी ही बांट देंगे या फिर उन्हें लौलीपौप ही दिखाते रहेंगे। प्रशांत ने जन सुराज पदयात्रा के दौरान मधुबनी के हरलाखी प्रखण्ड में जन सभा को सम्बोधित करते हुए उक्त सवाल खड़े किए। उक्त जानकारी आज यहां जारी एक बयान में जन सुराज के वैशाली जिला मुख्य प्रवक्ता डॉ .विनय पासवान ने दी। उन्होंने बताया कि
प्रशांत किशोर ने सरकार द्वारा आरक्षण को पचहत्तर प्रतिशत बढ़ाने के फैसले पर तंज कसते हुए कहा कि यह महज़ एक चुनावी स्टंट है। शिक्षा की चौपट व्यवस्था में गांव के गरीब ठीक से पढ़ नहीं रहे हैं तो उन्हें नौकरियां कैसे मिलेंगी? नौकरियां सृजित नहीं किए जा रहे और न हीं खाली पदों को भरने की कोशिश की जा रही है। ऐसे में आरक्षण का लाभ कहां और कैसे दे सकेंगे? केवल आरक्षण का‌ झुनझुना थमा देने से समाज को लाभ नहीं मिलने वाला। सरकार को यह भी सर्वे कराना चाहिए था कि इतनी बड़ी आबादी वाले समाज के बच्चे कितने प्रतिशत पढ़ रहे हैं? उनके तथा समाज के अन्य जातियों – धर्मों के गरीब बच्चों के पढ़ने की कौन सी अच्छी व्यवस्था की गई है? क्या पिलुआ वाली खिचड़ी खाने से बच्चे विद्वान बन पाएंगे? प्रशांत किशोर ने स्पष्ट कहा है कि ग़रीब गरीबी से तब बाहर निकलेंगे जब उनके लिए उच्च स्तरीय शिक्षा और रोजगार की ठोस व्यवस्था की जाएगी। वैशाली जिला मुख्य प्रवक्ता डॉ.विनय पासवान ने बताया कि प्रशांत किशोर सरकार के जातिगत सर्वेक्षण जारी किए जाने के पहले से ही बिहार की बदहाली, फटेहाली, गरीबी, अशिक्षा, बेरोज़गारी तथा रोजगार के लिए निरंतर जारी पलायन पर सरकार की ग़लत नीतियों की आलोचना करते रहे हैं। जन सुराज का सरकार पर यह आरोप साबित है कि लालू , नीतीश और भाजपा ने मिलकर बिहार को देश का सबसे गरीब, अशिक्षित और बेरोज़गारी वाला राज्य बना दिया है।‌ डॉ . विनय पासवान ने कहा है कि जन सुराज पदयात्रा के प्रणेता प्रशांत किशोर का स्पष्ट मानना है कि जबतक गांव के आम लोगों के बच्चों को पढ़ाई का बेहतर इंतजाम नहीं होगा, शिक्षा व्यवस्था को उच्च स्तरीय नहीं बनाया जाएगा तब तक अति पिछड़ों, दलितों, अल्पसंख्यकों और समाज के सभी वर्गों के बच्चों का भविष्य बेहतर नहीं बनाया जा सकता। लोग अच्छी शिक्षा हासिल करेंगे तभी तो उन्हें आरक्षण का लाभ मिलेगा।‌‌ उन्होने कैबिनेट द्वारा आरक्षण का प्रतिशत बढ़ाने के फैसले को चुनावी स्टंट और लौलीपौप बताया। प्रशांत किशोर ने लालू – नीतीश को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि पिछले बत्तीस वर्षों से तो यही दोनों बड़े भाई और छोटे भाई सरकार चलाते रहे हैं पर उन्हें तब अति पिछड़ों, दलितों, अल्पसंख्यकों और समाज के सभी वर्गों के गरीबों की चिन्ता कहां चली गई थी? सामाजिक न्याय और समता मूलक समाज की बात करने वाले ये दोनों नेता बत्तीस वर्षों से कहां छुपे हुए थे? जब संसदीय चुनाव की धमक सुनाई पड़ी है तब इनकी नींद खुली है। डॉ . विनय पासवान ने कहा है कि प्रशांत किशोर शुरू से कहते रहे हैं कि जिसकी जितनी आबादी उसकी उतनी हिस्सेदारी के फार्मूले पर काम होना चाहिए । नौकरियों में, सरकार के मंत्रीमण्डल में भी उसी अनुपात में जगह दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि आज़ इसलिए याद आया क्योंकि माथे पर संसदीय चुनाव है। प्रशांत किशोर ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से जानना चाहा है कि मंत्रीमंडल में जातिगत सर्वेक्षण के अनुसार आनुपातिक रूप से कब अति पिछड़ों, दलितों, अल्पसंख्यकों और समाज के अन्य वर्गों को जगह देंगे? मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री कब अपने अतिरिक्त विभागों को दूसरे समाज के विधायकों को सौंपेंगे? प्रशांत किशोर ने उन दोनों नेताओं पर समाज के लोगों के साथ हकमारी का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री अपने पास रखे विभागों को दलितों, अल्पसंख्यकों और अति पिछड़े समाज के विधायकों में क्यों नहीं बांट रहे हैं? सामाजिक न्याय की बातें मंचों पर तो शोभा देती है किन्तु जमीन पर लाने में ये दोनों फिसड्डी साबित हो रहे। उनकी हकमारी कर मालदार विभाग मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री के पास हैं जिन्हें वे दोनों किसी को नहीं देना चाहते हैं।

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