मंगलवार सुबह हुई भारी बारिश के बाद, केरल के वायनाड जिले के मेप्पाडी क्षेत्र के पहाड़ी इलाकों में बड़े पैमाने पर भूस्खलन हुए। इन भूस्खलनों के कारण कम से कम 106 लोगों की मौत हो गई, 128 लोग घायल हो गए, और सैकड़ों लोगों के फंसे होने की आशंका है।
एक वरिष्ठ जलवायु वैज्ञानिक ने चेतावनी दी है कि अरब सागर के गर्म होने के कारण गहरे बादल प्रणाली का निर्माण हो रहा है, जिससे केरल में अत्यधिक भारी बारिश हो रही है और कम समय में ही बड़ी मात्रा में वर्षा हो रही है। इससे भूस्खलनों का खतरा बढ़ गया है।
वायनाड में मौतों की संख्या 100 के पार हो गई है। क्लाइमेट वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि अरब सागर के गर्म होने का संबंध भूस्खलनों से है। यहाँ इस विषय पर विस्तार से जानकारी दी जा रही है:
वायनाड में मौजूदा स्थिति
केरल के वायनाड जिले में हाल ही में भारी बारिश और बाढ़ के कारण भूस्खलन की घटनाएं बढ़ गई हैं। इन भूस्खलनों के कारण कई लोगों की जान चली गई है और कई लोग बेघर हो गए हैं। मरने वालों की संख्या अब 100 के पार हो चुकी है और अभी भी कई लोग लापता हैं। बचाव कार्य जारी हैं और प्रशासन लगातार स्थिति को नियंत्रित करने में लगा हुआ है।
अरब सागर के गर्म होने का प्रभाव
क्लाइमेट वैज्ञानिकों का कहना है कि अरब सागर के तापमान में हो रही बढ़ोतरी का सीधा संबंध वायनाड में हो रहे भूस्खलनों से है। गर्म होते समुद्र के कारण मौसम प्रणाली में बदलाव हो रहा है, जिससे अधिक वर्षा और तीव्र तूफान आ रहे हैं। यह मौसम परिवर्तन पहाड़ी क्षेत्रों में भूस्खलनों को ट्रिगर कर रहा है, जिससे जान-माल का भारी नुकसान हो रहा है।
विशेषज्ञों की चेतावनी
विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि यदि ग्लोबल वार्मिंग और समुद्र के तापमान में वृद्धि को नियंत्रित नहीं किया गया, तो आने वाले समय में इस तरह की घटनाएं और अधिक हो सकती हैं। जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि प्राकृतिक आपदाओं के प्रभाव को कम किया जा सके।
समाधान के उपाय
सरकार को सख्त नीतियाँ बनानी होंगी ताकि ग्लोबल वार्मिंग को रोका जा सके। स्थानीय प्रशासन को भूस्खलन और बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए बेहतर तैयारी करनी होगी। जनता को भी जलवायु परिवर्तन और इसके दुष्प्रभावों के बारे में जागरूक किया जाना चाहिए ताकि वे सावधानी बरत सकें।
वायनाड में हुई त्रासदी ने यह स्पष्ट कर दिया है कि जलवायु परिवर्तन एक गंभीर समस्या है जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। इसके प्रभावों को कम करने के लिए वैश्विक स्तर पर सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता है।